मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, एक स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी है। पर अगर आपको लगता है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं सिर्फ बड़ों को ही होती हैं, तो आप बिल्कुल गलत हैं। असल में बच्चे भी मानसिक तनाव, निराशा और अवसाद के शिकार हो सकते हैं। एक नए शोध में सामने आया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान वयस्क ही नहीं बच्चे भी एंग्जायटी, तनाव और अवसाद के शिकार हुए हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने घर के नन्हें शैतानों की मानसिक सेहत पर भी ध्यान दें।
तनाव मुक्त होने से बच्चे के डेवलपमेंट में भी काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। हाल ही में हुए एक अध्ययन में एक ऐसी तकनीक के बारे में बताया गया, जिसके माध्यम से माता-पिता अपने छोटे बच्चों को तनावमुक्त रख सकते हैं। ज्यादातर बच्चों को मानसिक तनाव, मानसिक दबाव के कारण होता है, जिसमें पढ़ाई सबसे पहले आती है।
इस स्टडी में शोधकर्ताओं द्वारा 65000 से ज्यादा बच्चों का हेल्थ डाटा जमा किया गया और फिर उस डाटा का विश्लेषण किया गया। जिन बच्चों का डाटा जमा किया गया था, उनमें सभी की उम्र 5 से 6 साल की थी। सभी बच्चे प्राइमरी स्कूल के थे। इन 65000 बच्चों में 3000 से अधिक बच्चे हाई रिस्क वाले थे, जिन्होंने मिसबिहेवियर का अनुभव किया।
इस अध्ययन को यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया। इस शोध के परिणाम एकेडमिक जर्नल चाइल्ड एब्यूज एंड नेगलेक्ट में प्रकाशित किए गए। यह अध्ययन दावा करता है कि यदि बच्चों को ऊंची आवाज में कविताएं या कहानियां सुनाई जाएं, तो माता-पिता और टीचर बच्चों के मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं।
बच्चों को बुलवा बुलवाकर पढ़ाने से और तेज आवाज में पढ़ाने से उन पर पॉजिटिव इफेक्ट पड़ता है। दरअसल यह अध्ययन यह जानने के लिए किया गया था कि आखिर बचपन में सुनाई जाने वाली कहानियों का बच्चों पर क्या असर पड़ता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया की प्रोफेसर लियोनी सेगल बताती हैं कि जब किसी बच्चे को ऊंची आवाज में पढ़ कर सुनाया जाता है तो उनकी नकारात्मक मानसिकता कम होती है। इसके अलावा बच्चों में पॉजिटिव एनर्जी भी आती है। इस तरह उनका ध्यान नकारात्मक बातों से हटकर कविता या कहानी की ओर हो जाता है। जिससे वे पॉजिटिव सोच की तरफ आगे बढ़ते हैं। यही कारण है कि स्कूलों में बच्चों को जोर-जोर से बोलकर पढ़ाया जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया की प्रोफेसर और इस पूरे अध्ययन की लीड राइटर लियोनी सेगल का कहना है कि यह इस प्रकार का पहला अध्ययन था। जिसमें उनकी टीम ने पाया कि कहानी पढ़कर सुनाने से बच्चों का मानसिक तनाव काफी हद तक कम हो जाता है। यदि बच्चे किसी प्रकार के मानसिक शोषण का शिकार हैं, तो हम उन्हें इससे भी बाहर निकाल सकते हैं।
कोरोना वायरस महामारी के बाद से ज्यादातर छोटे बच्चों की पढ़ाई घर पर ही हुई है। ऐसे में माता-पिता द्वारा ही बच्चों को पढ़ाया जाता है। तो लेडीज आप भी प्रयास करें कि जब भी अपने बच्चों को कोई कहानी या कविता पढ़ा रहे हैं, तो उन्हें ऊंची आवाज में पढ़कर सुनाएं।
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