आज की बदलती लाइफस्टाइल में लोग खुद के लिए टाइम देना एक तरह से भूल ही गए है। ऐसे में नीरस जीवनशैली लोगों में चिंता, घबराहट और बेचैनी की समस्याएं बढ़ने लगी हैं। जिसे हम एंग्जाइटी (Anxiety) के नाम से जानते हैं। हाल ही में एंग्जाइटी को दूर करने के उपायों पर एक रिसर्च प्रकाशित हुई है। इसमें यह दावा किया गया है कि अगर आप नियमित व्यायाम करते हैं, तो एंग्जाइटी के खतरे को कम कर सकते हैं। यह रिसर्च जर्नल फ्रंटियर्स साइकियाट्री में पब्लिश हुई है। यानी हर रोज़ की एक्सरसाइज न केवल आपको फिट रखती है, बल्कि आपको मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याओं से भी बचाती है।
दरअसल, एंग्जाइटी एक तरह का डिसऑर्डर है, जिसमें इंसान चिंता, भय, डर, घबराहट, भावुकता या नर्वसनेस महसूस करता है। लंबे समय तक इसके बने रहने के कारण भावनाएं हमारे व्यवहार पर असर करने लगती है। कुछ समय बाद इसका प्रभाव शारीरिक रूप से दिखाई देने लगता है। एंग्जाइटी या चिंता के कारण इंसान बेचैन और अस्थिर हो जाता है।
अगर, इसके लक्षणों को शुरुआत में पहचान लिया जाये इसके प्रभाव को रोका जा सकता है। बढ़ती एंग्जाइटी के कारण डेली रूटीन बिगड़ जाता है। इसका असर हमारे काम और व्यवहार दोनों पर पड़ता है। बता दें कि चिंता होना एक सामान्य बात है, लेकिन जब इसके कारण नियमित रूप नींद नहीं आना और काम में एक्टिव न रहने की समस्या एंग्जाइटी के लक्षण हो सकते हैं।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एंग्जाइटी एक आम समस्या बन गई है। इस स्टडी में यह बात सामने आई कि उन लोगों में एंग्जाइटी का खतरा 60 फीसदी कम हो जाता है जो रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं। इसके लिए 4 लाख लोगों के हेल्थ डेटा का एनालिसिस किया गया। इस अध्ययन से स्वीडन में लुंड विश्वविद्यालय (Lund University) के उन दावों की भी पुष्टि होती है, जिसमें नियमित व्यायाम करने वाले लोगों और व्यायाम न करने वाले लोगों के अंतर को पहचाना जा सकता है।
इस स्टडी को मार्टीन स्वेन्सन और उनके सहयोगी टॉमस डीयरबोर्ग ने किया है। उन्होंने दावा किया कि एंग्जाइटी संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए एक्टिव लाइफस्टाइल फायदेमंद है। जो लोग 21 साल तक सक्रिय जीवनशैली जीते है उनमें एंग्जाइटी का खतरा 60 फीसदी कम हो जाता है। सक्रिय जीवन शैली और एंग्जाइटी के कम जोखिम का अंतर महिला और पुरुषों दोनों में देखा गया है।
स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि मेंटल हेल्थ (Mental Health) के लिए रेगुलर एक्सरसाइज ही नहीं बल्कि दूसरी एक्टिविटी जैसे नियमित पैदल चलना या किसी खेल में हिस्सा लेना भी फायेदमंद है। यह सभी एक्टिविटी मानसिक स्वास्थ्य में सुधार और उसे भविष्य में बनाए रखने में कारगर है। इसके लिए किसी विशेष व्यायाम की आवश्यकता नहीं है।
गौरतलब है कि दुनिया में एंग्जाइटी डिसआर्डर के 10 फीसदी ऐसे मामले है जो उम्र से पहले ही आने लगे। वहीं, एंग्जाइटी डिसआर्डर की समस्या महिलाओं में ज्यादा देखी गई। इसलिए सब काम छोड़िए और अपने लिए रेगुलर एक्सरसाइज करने का वक्त निकालिए।
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