खराब खानपान, खराब लाइफस्टाइल के कारण इन दिनों पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पीसीओएस के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में यह 4% – 20% महिलाओं को उनकी रिप्रोडक्टिव एज में परेशान करता है। इसकी वजह से महिलाओं की न सिर्फ फिजिकल हेल्थ, बल्कि मेंटल हेल्थ भी प्रभावित (PCOS effect on mental health) होती है। जो स्ट्रेस, डिप्रेशन, मूड स्विंग्स के रूप में सामने आ सकती हैं। पीरियड्स के समय सामान्य लगने वाले ये लक्षण जब हद से बढ़ जाएं, तब आपको एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए। आइए जानते हैं, इस स्थिति के बारे में सब कुछ।
वर्ष 2018 में अमेरिका में क्लेरी ब्रूटोको, फराज जईम की टीम ने 1 लाख 72 हजार से भी अधिक पीसीओएस मरीजों पर 57 स्टडीज की। इस स्टडीज के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के एंग्जाइटी, डिप्रेशन, बायपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित होने की संभावना 3% से भी अधिक हो जाती है।
जब मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं के लक्षण दिखने लगें, तो शुरुआत में ही ट्रीटमेट शुरू कर देना चाहिए। यह रिपोर्ट पबमेड सेंट्रल में भी प्रकाशित हुई।
पीसीओएस और मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं पर अमेरिका के अलावा, पोलैंड, इटली, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों में भी रिसर्च हुई हैं। इन सभी में इस बात के संकेत दिए गए हैं कि पीसीओएस से मेंटल हेल्थ भी प्रभावित होती है।
अलग-अलग स्टडी बताती हैं कि पीसीओएस से प्रभावित होने वाली ज्यादातर महिलाएं खुद को कम फिजिकली अट्रैक्टिव मानती हैं। वे खुद को फिजिकली फिट नहीं, बल्कि बीमार मानने लगती हैं। इससे कुछ महिलाओं का आत्मविश्वास घट जाता है।
ऑब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, पीसीओएस से पीड़ित होने पर कुछ न्यूरोट्रांसमीटर के लेवल लो हो जाते हैं। इससे खुशी महसूस करने में मदद करने वाले हार्मोन सेरोटोनिन का स्तर घट जाता है।
स्टडी से पता चला है कि पीसीओएस वाले लोग जिनमें सेरोटोनिन और अन्य न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर कम होता है, उनमें अवसाद और चिंता के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं।
स्टडी में शोधकर्ता चेतावनी देते हैं कि पीसीओएस से प्रभावित महिला में मेंटल हेल्थ प्रभावित होने के कई लक्षण दिखाई देने लगते हैं। वे अधिक समय तक उदास रहने लगती हैं या चिंतित महसूस कर सकती हैं या मूड स्विंग होने लगता है। ये सभी लक्षण दिखने पर किसी भी प्रकार की स्वयं चिकित्सा करने की बजाय तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर की सलाह पर चिकित्सा लेने पर ही पीड़ित को अवसाद और चिंता से निपटने में मदद मिल सकती है।
वर्ष 2014 में अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च मैगजीन वुमन हेल्थ में लॉरेन के बैंटिंग और एम गिब्सन हेम का रिसर्च आलेख प्रकाशित हुआ। इसके अनुसार पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं पर फिजिकल एक्टिविटी, आहार और व्यायाम के प्रभाव पर शोध किया गया। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि असंतुलित आहार समस्या को बढ़ा सकते हैं।
वहीं यदि सामान्य रूप से सक्रिय जीवनशैली अपनाई जाए, तो मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है। पीसीओएस वाली जिन महिलाओं ने नियमित रूप से व्यायाम करने की सूचना दी, उनमें चिंता और अवसाद के कम लक्षण देखे गए।
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कस्टमाइज़ करेंजिन महिलाओं ने हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट मीडियम एक्सरसाइज किया, उनमें उदास होने की भी संभावना कम देखी गई। इसलिए आहार, एक्सरसाइज और स्वस्थ जीवनशैली मेंटल हेल्थ में सुधार लाने के लिए बेहद जरूरी है।
पीसीओएस पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है। यह समस्या आमतौर पर महिलाओं के अंदर हॉर्मोनल असंतुलन के कारण उत्पन्न हो जाती है। इसमें महिला के शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोजन का लेवल बढ़ जाता है। इससे अंडाशय पर एक से अधिक सिस्ट डेवलप होने लगते हैं। यदि पीसीओएस से अपना बचाव करना चाहती हैं, तो अपने भोजन में दालचीनी, ब्रॉकली, मशरूम, टूना मछली, टमाटर, अंडा, दूध, दही, पालक आदि को जरूर शामिल करें।
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