नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हो चुका है, ज़ाहिर है कि आप में से कई लोग व्रत रख रहे होंगे। इसमें लोग नियम धर्म से चलते हैं और एक निश्चित समय पर ही खाना खाते हैं। इसके अलावा वे हर चीज़ नहीं खाते। यह शरीर को विषाक्त पदार्थों को निकालने, शांति की भावना को प्रेरित करने और तनाव को कम करने में सक्षम बनाता है।
तनाव किसी भी परिस्थिति पर प्रतिक्रिया करने का शरीर का तरीका है। शरीर इन परिस्थितियों पर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के साथ रिएक्ट करता है। तनावपूर्ण घटनाओं के दौरान, शरीर रसायनों का एक विस्फोट करता है जो मांसपेशियों में तनाव, सिरदर्द, थकान और नींद की कमी का कारण बनता है।
अमेरिका के नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रकाशित शोध के अनुसार, तनाव को भावनाओं के संज्ञानात्मक विनियमन में हानि के लिए एक प्रमुख कारक के रूप में बताया गया है। इसके अलावा, जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार, तनाव को कैंसर, फेफड़ों की बीमारी, मधुमेह, थायराइड और लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियों से जोड़ा गया है।
उपवास एक खाने का पैटर्न है जिसमें खाने और उपवास (खाने से परहेज) के एक चक्र के भीतर कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है। यह पारंपरिक भारतीय प्रथा अनियमित खाने की आदतों को प्रबंधित करने में मदद करती है, और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर पाचन तंत्र को बढ़ावा देती है।
विषाक्त पदार्थों को हटाने से आपके पेट के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलेगा और आपके दिमाग को शांत करने में मदद मिलेगी। वास्तव में, हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग द्वारा प्रकाशित शोध के अनुसार, अच्छी गट हेल्थ मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी हुई है। इसलिए, उपवास के दौरान तनाव और चिंता का स्तर कम हो सकता है।
नवरात्रि के दौरान उपवास करते समय बहुत सारे फल खाने पड़ते हैं। संतरा, सेब और अनार जैसे फलों का व्यापक रूप से सेवन किया जाता है, जो शरीर को फाइबर प्रदान करते हैं। फाइबर पाचन के लिए शानदार ढंग से काम करता है, क्योंकि इसका पाचन तंत्र पर प्राकृतिक रेचक प्रभाव पड़ता है, जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं। उपवास खाने के पैटर्न को बदल देता है। व्रत रख रहे व्यक्ति को निश्चित समय पर खाना चाहिए और ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो कैलोरी में कम और पोषक तत्वों से भरपूर हों।
तो लेडीज, इस नवरात्रि में अपने पेट और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को बढ़ावा दें!
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