आजकल रिलेशनशिप के कई अलग-अलग ट्रेंड चल गए हैं, ओपन रिलेशनशिप से लेकर फ्रेंड्स विद बेनिफिट, सिचुएशनशिप तक। मगर क्या आप जानती हैं कि बिना कमिटमेंट और प्यार के बने हुए ये रिश्ते आपके मानसिक स्वास्थ्य को कितना बर्बाद कर रहे हैं? फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स और सिचुएशनशिप जैसी टर्म सुनने में भले ही फैंसी लगें, मगर इनमें से अधिकांश रिश्ते सेकंड चॉइस के रूप में अपनाए जा रहे हाेते हैं। किसी भी रिश्ते में दूसरी प्राथमिकता होना, दूसरी पत्नी या पति होने से भी अधिक खतरनाक है।
आज़ादी, मस्ती या हालात का दबाव, एक्सक्यूज चाहें जो हो, ऐसे रिश्ते कभी भी आपको भावनात्मक संतुष्टि नहीं दे पाते। कई बार लोग एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर करते हैं या अपने पार्टनर पर दूसरे व्यक्ति के लिए चीट करते हैं। ऐसे में इस रिश्ते में शामिल तीनों ही लोग गहन मानसिक दबाव, एंग्जाइटी और तनाव का सामना करते हैं। यह न सिर्फ आपके सुकून, आपकी सेहत, प्रोडक्टिविटी और कभी-कभी आपके जीवन के लिए भी घातक साबित हो सकता है (second choice in relationship)।
हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य मकसद लोगों के बीच बढ़ रहे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है। वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे 2024 (World Mental health Day) का थीम “कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य” “mental health at work” रखा गया है। आज के समय में तनाव, डिप्रेशन, एंजायटी जैसी मानसिक स्थितियां बिल्कुल आम हो गई हैं। ऐसे में यदि समय रहते इन समस्याओं पर नियंत्रण न पाया जाए तो यह बाद में अल्जाइमर, डिमेंशिया जैसी अन्य गंभीर समस्याओं में परिवर्तित हो सकती हैं। इस स्थिति को देखते हुए लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जुड़ी सभी जानकारी होना जरूरी है, ताकि एक स्वस्थ एवं संतुलित मानसिक स्वास्थ्य की रचना की जा सके।
जब कोई व्यक्ति अपने पार्टनर के लिए सेकंड चॉइस बन जाता है, तो इस स्थिति से डील करना बेहद मुश्किल हो सकता है। यह अधिक घातक तब बन जाता है जब सामने वाला व्यक्ति आपकी प्राथमिकता होता है, और वे आपको सेकंड चॉइस की तरह ट्रीट करना शुरू कर देता है।
आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (world mental health day) के मौके पर फॉर्टिस हेल्थकेयर की मेंटल हेल्थ और बिहेवियर साइंस डिपार्टमेंट की हेड कामना छिब्बर ने रिलेशनशिप में सेकंड चॉइस होने पर एक व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात की है और उन्होंने बताया है कि किस तरह सेकंड चॉइस (second choice in relationship) होना आपके मेंटल हेल्थ को डिस्ट्रॉय कर सकता है। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।
आमतौर पर सेकंड चॉइस लव रिलेशनशिप में अधिक मैटर करता है। यदि कोई व्यक्ति शादीशुदा होने के बाद भी किसी और से संबंध रख रहा है, जिसे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर कहते हैं, तो इस स्थिति में वह अपनी वाइफ को सेकंड चॉइस की तरह ट्रीट कर सकता है। जरूरी नहीं है कि उसकी वाइफ ही उसकी सेकंड चॉइस हो कई बार वे अपनी प्रेमिका को भी सेकंड चॉइस पर रख सकता है। इस स्थिति में दोनों में से जो सेकंड चॉइस होती हैं, उनकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है।
कामना छिब्बर के अनुसार जब कोई व्यक्ति आपको एक विकल्प के तौर पर अपने साथ रिश्ते में रखता है, तो ऐसे में वह आपके साथ किसी भी चीज को लेकर कमिटेड नहीं होता और यदि आप उनके प्रति कमिटेड हैं, तो ऐसे में आपको चिड़चिड़ापन महसूस होता है। वहीं आप धीरे-धीरे बेहद चिड़चिड़ी हो जाती है, समय के साथ एंजायटी होना शुरू हो जाता है।
यदि आपका पार्टनर आपको सेकंड चॉइस की तरह ट्रीट कर रहा है, तो जाहिर सी बात है वह आपकी जरूरत को नहीं समझेगा। वहीं उन्हें पूरा करने के लिए किसी प्रकार की कोशिश नहीं करेगा, जिसकी वजह से आप अपने रिश्ते में संतुष्ट नहीं होने लगती हैं। असंतोष एक नकारात्मक भावना है, जो मानसिक स्वास्थ्य को कई नुकसान पहुंच सकता है और आप एंजायटी, डिप्रैशन जैसी मेंटल हेल्थ कंडीशन की शिकार हो सकती हैं।
किसी भी रिश्ते में पार्टनर का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। जब आपका पार्टनर आपको सेकेंडरी चॉइस की तरह ट्रीट कर रहा हो, तो ऐसे रिश्ते में सारे कंप्रोमाइज केवल एक व्यक्ति को करने पड़ते हैं ताकि रिश्ता बना रहे। ऐसे में उन्हें जो रिस्पेक्ट, प्यार और कमिटमेंट मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाती। यदि आप लगातार किसी जगह पर एडजस्ट और कंप्रोमाइज करती रहती हैं, ऐसे में आपके अंदर तनाव बढ़ता है जिसकी वजह से लंबे समय में आप डिप्रेशन की शिकार हो सकती हैं।
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जब आप एक रिश्ते में होती हैं, तो कम्युनिकेशन एक महत्वपूर्ण रोल निभाता है। वहीं जब आप प्राथमिक पार्टनर नहीं होते हैं, तो आप दोनों के बिच संचार यानि की बातचीत एक चुनौती बन जाती है। पार्टनर से बात करने के लिए कई रुकावटों का सामना करना पड़ सकता है।
जब आप अपनी जरुरत और भावनाओं को अपने साथी के साथ शेयर नहीं कर पाती हैं, तो वह इमोशनल बर्डन बन जाता है और धीरे-धीरे आप तनाव और एंजाइटी का शिकार होने लगती हैं।
किसी भी रिश्ते में शारीरिक और भावनात्मक जुड़ाव बहुत जरुरी होता है। पर जब आप अपने पार्टनर के लिए केवल एक विकल्प होती हैं, तो ऐसे में आपके पार्टनर की शारीरिक और भावनात्मक जरूरतें कहीं और से पूरी हो जाती हैं और आपकी जरूरतें आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगती हैं।
कामना छिब्बर बताती हैं “सबसे पहला और सबसे बेसिक नियम है कि ऐसे किसी भी रिश्ते से बाहर आएं, जहां आप सेकंड चॉइस रही हों। फिर चाहें आपने उस रिश्ते में कितना भी समय और ऊर्जा खर्च कर दी हो।”
अगर आप शादीशुदा हैं और आपका पति आपको चीट कर रहा है, तो बिना आपा खोए उनसे इस बारे में खुलकर बात करें। मौजूदा रिश्ते को इस बातचीत से कोई नुकसान होगा या नहीं, इसके बारे में पहले से कल्पना न करें।
अगर आप अपने पार्टनर को सेकंड चॉइस की तरह ट्रीट कर रही हैं, तो आत्ममंथन करें और सोचें कि आखिर इसकी शुरूआत कैसे हुई। आपके लिए भी रिश्ते के वही नियम लागू होते हैं, जो आपके पार्टनर के लिए। यानी तुरंत उस रिश्ते को छोड़कर आगे बढ़ें, जो तनाव बढ़ा रहा है।
इस स्थिति में आपको अपनी भावनाओं को संभालना बहुत जरूरी है। अपने परिवार के लोगों के से समन्वय स्थापित करें। क्वालिटी टाइम निकालें और एक साथ पॉजीटिक एक्टिविटीज में हिस्सा लें।
कभी भी न, न कह पाने की आदत आपको बहुत सारे झमेलों में डाल देती है। हर उस चीज के लिए न कहना सीखें, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं है।
डॉ कामना कहती हैं,” अपने मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के लिए अपने पार्टनर से खुलकर बातचीत करें। हर समस्या का कोई न कोई समाधान जरूर होता है। यदि परिणाम आपके पक्ष में आये तो रिश्ते को एक और मौका देने में कोई परेशानी नहीं है। पर यदि आपके पार्टनर आपके पक्ष की बात नहीं करते हैं, तो ऐसे रिश्ते से बाहर आना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए अधिक फायदेमंद रहेगा।”
यदि आप फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स, सिचुएशनशिप और एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशनशिप को फैंसी और गिल्ट फ्री मानती हैं, तो जान लें ये सभी आपके मानसिक तथा भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकते हैं। कमिटमेंट हमेशा से प्यार के रिश्तों का आधार रही है।
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