बच्चों के साथ समय बिताने के अलावा उन्हें अच्छी आदतें सिखाना और आगे बढ़ने के लिए मोटिवेट करना भी पेरेंट्स की बेसिक रिसपॉन्सिबिलिटी (basic responsibility) है। कई बार माता-पिता बच्चों को लेकर इतने ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते हैं, कि उनके हर काम में उनकी मदद करने लगते हैं। जिन्हें हम मदद कहते हैं, दरअसल वो बातें, बच्चों की मेंटल ग्रोथ (Mental growth) का प्रभावित करती हैं। पेरेंट्स दिन भर में ऐसी कई बातें करते हैं, जो बच्चों के कॉन्फिडेंस को कम कर सकती हैं। इसलिए अगर आप अपने बच्चे को आत्मनिर्भर और कॉन्फिडेंट बनाना चाहते हैं, तो इन 5 गलतियों (parenting mistakes) से बचना जरूरी है।
अगर बच्चा गिर गया है और उसे चोट आई है, तो सबसे पहले उसे देखो और उसकी डॉक्टरी जांच करवाओ। ये कहना कि तुम ठीक हो, कई बार बच्चे का मनोबल बढ़ाने की जगह उसे आपसे दूर कर सकता है। वो ये समझने लगता है कि पैरेंटस उसकी ओर ध्यान नही दे रहे हैं और उसे महत्वपूण नहीं मान रहे हैं। जाहिर है कि आप बचपन से यही सुनकर बढ़े हुए हैं, मगर उसी बा तको अपने बच्चों पर इम्पलीमेंट करना सही नहीं है। उसके अच्छे दोस्त बनें और उससे जुड़ी हर समस्या को गंभीरता से लें।
अक्सर बच्चों को खेलते हुए देखकर कई बार हम डरने लगते हैं। घबरा जाते हैं कि कहीं बच्चा झूले से गिर न जाए, कहीं बॉल न लग जाए या कहीं वो धूप में बीमारी की चपेट में आ जाए। ओवर प्रोटेक्टिव पैरेंटस बच्चों की ग्रोथ को जाने अनजाने में बाधित करने का काम कर रहे हैं। अगर गिरेंगे तभी संभलना आएगा। माता पिता को कुछ वक्त बच्चों को अकेला छोड़ना चाहिए, ताकि वो अपने मन मुताबिक खेल सकें। आप उन्हें मॉनिटर ज़रूर करें। मगर उनको खेलते हुए देख दखलअंदाज़ी करने से बचें। इस बात को समझना चाहिए कि
बच्चे दिनभर खेलते कूदते रहते हैं, जिससे उन्हें बार बार भूख सताती है। अगर बच्चा आपसे खाने की डिमांड कर रहा है, तो आपको उसे मना करने की जगह हेल्दी फूड देना चाहिए। दूध, नट्स, मौसमी फल, पत्तेदार सब्जियां, स्मूदीज़, पनीर, दही और लस्सी बच्चों के विकास के लिए बेहद ज़रूरी है। बच्चे की डाइट को अपने खान पान से कंपेयर न करें। बच्चों को हेल्दी रेसिपीज़ दें। इसके अलावा बच्चों को हर चीज़ खाने के लिए टोकना बंद कर दें। कभी कभार उन्हें बाहर का खाना खाने से न रोकें। मगर उसे रूटीन में शामिल न करें। बच्चों को एक बार में ज्यादा खिलाने की जगह छोटी मील्स दिन में 5 से 6 बार दे सकते हैं। अगर आप मोटापे को लेकर चिंतित है, तो डॉक्टर से इसके लिए सलाह ज़रूर लें।
बच्चे जब भी कोई काम करें, तो उन्हें ज़रूर सराहें। अगर बच्चे ने कुछ गलत किया है, तो उसे डांटने या मारने की जगह उसकी सिचुएशन को समझें। उसकी लाइकिंग और डिसलाइकिंग का ख्याल रखें। ये समझें कि बच्चा क्या चाहता है। उसे बार बार ये कहना कि तुम ठीक से कोई काम नही कर पाते हो यानि आप उसे ये बार बार समझा रहे हो कि तुम कुछ भी ठीक से नहीं कर पाओगे। इसके बदले बच्चे के साथ बैठें, समय बिताएं और उसे उसकी गलती को प्यार से समझा दें, ताकि अगली बार जब भी वो काम करने लगे, तो आपकी सिखाई बातें, उसे हर समय याद रहें।
ये कहकर आप उसे आत्म निर्भर होने से रोक रहे हैं। अगर आप हर वक्त स्पूनफीडिंग करेंगे, तो बच्चा हर क्षेत्र में आपके सपोर्ट को ही ढूढेगा। जाहिर है कि पैरेंटस हर समय और हर जगह पर बच्चों के साथ नहीं रह पाते है। अगर आप बच्चों की ग्रोथ चाहते हैं, तो उन्हें रिस्पॉसिबिलिटीज़ देना शुरू करें। उन्हें धीरे धीरे जिम्मेदार बनाएं। इससे वो आपकी एबसेंस में आसानी से चीजों को मैनेज करना सीख जाएंगे। अगर आप उनके स्कूल प्रोजेक्टस से लेकर उसकी हर ज़रूरत को खुद पूरा कर रहे है, तो इससे बच्चे धीरे धीरे काम से जी चुराने लेगेंगे, जो आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
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