ओसीडी को नजरंदाज करना हो सकता है खतरनाक, एक्सपर्ट बता रहे हैं इसके नुकसान और मददगार थेरेपी

कभी-कभी हम अपने आसपास के व्यक्ति के ओसीडी व्यवहार को नजरंदाज कर देते हैं, तो कभी उससे इरिटेट होने लगते हैं। जबकि ये दोनों ही तरीके गलत हैं। समय रहते ओसीडी के लक्षणों को पहचानना और विशेषज्ञ की मदद लेना जरूरी है।
ocd se deal krne ke tareeke jaanein
ओसीडी किसी व्यक्ति के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। चित्र- अडोबी स्टॉक
जान्हवी शुक्ला Published: 20 Sep 2024, 05:48 pm IST
  • 175

“सौम्या, इधर आओ। यह कुशन टेढ़ा किसने रखा? कप कोस्टर के ऊपर क्यों नहीं है? और बिस्तर पर इतनी सिलवटें क्यों हैं?” ये वाक्य सुनते हुए मेरी दोस्त सौम्या को रोज ऐसा लगता था कि उसकी मम्मी हमेशा इन छोटी-छोटी चीजों को लेकर कितना परेशान करती हैं। पर वास्तव में वे परेशान कर नहीं रहीं थीं, बल्कि खुद भी परेशान थीं। घर की साफ-सफाई, अपनी हाइजीन और यहां तक कि सिक्योरिटी को लेकर भी वे एक अजीब तरह का व्यवहार करने लगीं थीं। जब डॉक्टर से बात की गई, तब पता चला कि ये सभी संकेत ओसीडी की हैं। इन लक्षणों पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह पीड़ित व्यक्ति और उसके परिवार-दोस्तों, सभी के लिए एंग्जाइटी और तनाव का कारण बन सकते हैं।

क्या है ओसीडी? 

OCD, या Obsessive-Compulsive Disorder, एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जिसमें व्यक्ति को लगातार अनावश्यक और परेशान करने वाले विचार (obsessions) आते हैं। इनसे निपटने के लिए वह बार-बार ऐसा व्यवहार करता है, जिसे कंट्रोल कर पाना उसके लिए भी मुश्किल होता है।

ओसीडी के लक्षण

1. बार-बार एक ही तरह के विचार (obsessions):

व्यक्ति को बार-बार ऐसे विचार आते हैं जो उसे बहुत परेशान करते हैं।

  1. कीटाणुओं, गंदगी, या बीमारी की चिंता
  2. अपने आप को या किसी और को नुकसान पहुंचने का डर
  3. कुछ आपत्तिजनक या अश्लील कहने का डर
  4. अपनी चीजों को संभालने, व्यवस्थित करने की जरूरत महसूस हाेना
  5. स्पष्ट यौन या हिंसक विचार
  6. चीजें फेंकने की चिंता
  7. अपनी यौन इच्छाओं या व्यवहार को लेकर फिक्र
  8. अपने प्रियजनों या अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा की चिंता
  9. बार-बार डिस्टर्ब करने वाले ख्याल या ध्वनियां
ocd ke lakshano ka pahchan kar unka upchar zaruri hai
यह जरूरी है कि ओसीडी के लक्षणों को समय रहते पहचान कर उसके उपचार के लिए प्रयास किए जाएं। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. कंपल्सिव बिहेवियर (compulsions) :

यह समस्या पहली समस्या से निपटने के लिए सामने आती है। बार-बार आने वाले अनावश्यक ख्यालों के समाधान के रूप में व्यक्ति ऐसा व्यवहार करने लगता है। जो उसके अपने वश के बाहर होता है।

  1. अपने हाथों, वस्तुओं, या शरीर को धोना
  2. वस्तुओं को विशिष्ट तरीके से व्यवस्थित करना
  3. विशिष्ट वाक्यों की गिनती या पुनरावृत्ति करना
  4. किसी चीज को एक निर्धारित संख्या में बार बार छूना
  5. दूसरों से आश्वासन प्राप्त करना
  6. कुछ वस्तुओं को एकत्रित करना या समान वस्तुओं की कई बार खरीदारी करना
  7. ऐसी वस्तुएं छिपाना जिनका उपयोग आप खुद को या किसी और को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकते हैं।
  8. मानसिक रूप से अपनी क्रियाओं की समीक्षा करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया हो।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सीनियर कन्सलटेंट और साइकिएट्रिस्ट डाॅ कृष्णा मिश्रा के अनुसार, इसे एक गंभीर बीमारी के रूप में माना जाना चाहिए। इसे सिर्फ तनाव या याददाश्त की समस्या मानकर नहीं छोड़ा जा सकता।

ओसीडी के कारण (Causes of Obsessive-Compulsive Disorder)

1. जैविक कारक (Biological Factors):

इसमें दिमाग के केमिकल बैलेंस, जेनेटिक प्रवृत्तियां और न्यूरोलॉजिकल असामान्यताएं शामिल होती हैं। ये सब कारण मिलकर व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं और ओसीडी के विकास में योगदान दे सकते हैं।

पोल

ज्यादातर औरतें करवा चौथ व्रत रखती हैं, क्योंकि…

2. सामाजिक कारक (Social Factors):

जीवन की तनावपूर्ण स्थितियां, परिवार का माहौल, और समाज का दबाव ओसीडी (ऑब्सेसिव-कंपल्सिव डिसऑर्डर) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जब किसी व्यक्ति को मानसिक या भावनात्मक तनाव का सामना करना पड़ता है, तो इससे उनके व्यवहार और सोचने के तरीके पर असर पड़ सकता है। इसके अलावा, परिवार में अगर ऐसे मुद्दे होते हैं या समाज में अपेक्षाएँ होती हैं, तो वे भी ओसीडी को बढ़ावा दे सकते हैं।

3. मनोवैज्ञानिक कारक (Psychological Factors):

इसमें व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य, उसकी सोचने की आदतें और पहले के अनुभव जैसे मानसिक पहलू शामिल होते हैं। ये सभी चीजें मिलकर यह तय करती हैं कि किसी व्यक्ति को ओसीडी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है या नहीं। तनाव और नशा भी ओसीडी को ट्रिगर कर सकते हैं।

खतरनाक हो सकता है ओसीडी को इग्नोर करना 

ओसीडी का इलाज सही समय पर होना अत्यधिक ज़रूरी है। अन्यथा, यह अपने साथ कई और मानसिक विकार उत्पन्न कर सकता है। ओसीडी का इलाज आमतौर पर काउंसलिंग और दवाइयों के माध्यम से किया जाता है।

Counseling aur therapies OCD se overcome hone me helpful ho sakti hain
काउंसलिंग और थेरेपीज ओसीडी के लक्षणों से उबरने में मदद कर सकती हैं। चित्र : अडोबीस्टॉक

दवाइयों के कुछ साइड इफेक्ट्स भी संभव हैं, इसलिए दवा लेते समय किसी भी असामान्य लक्षणों के बारे में अपने डाॅ. को सूचित करना हमेशा अच्छा होता है। साइकिएट्रिस्ट आमतौर ट्रीटमेंट पूरा करने के लिए थेरेपी की सलाह देते हैं।

ओसीडी के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न थेरेपी

कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT):

ओसीडी के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली CBT थेरेपी व्यक्ति को अनुपयुक्त या नकारात्मक विचारों और व्यवहारों के पैटर्न को पहचानने और समझने में मदद कर सकती है।

एक्सपोजर और रिस्पांस प्रिवेंशन (ERP):

यह CBT का एक प्रकार है इसमें डराने वाली स्थितियों या ओब्सेशन और कंपल्शन के मूल कारणों के प्रति धीरे-धीरे एक्सपोजर दिया जाता है। ERP का उद्देश्य है कि आप ओब्सेशन से होने वाले तनाव को बिना किसी कंपल्सिव व्यवहार के सामना करना सीखें।

माइंडफुलनेस-बेस्ड कॉग्निटिव थेरेपी:

इसमें ओब्सेसिव विचारों से होने वाले तनाव से निपटने के लिए माइंडफुलनेस कौशल सीखना शामिल है।

डॉ. कृष्णा अंत में कहते हैं कि OCD की लड़ाई सिर्फ पीड़ित की नहीं, बल्कि उसके परिवार की भी होती है और सबके संयुक्त प्रयास से ही यह संभव है।

यह भी पढ़ें- Heart Health : कोर्टिसोल और कोलेस्ट्रॉल दोनों हैं आपके दिल के दुश्मन, जानिए कैसे करना है इनसे बचाव

  • 175
लेखक के बारे में

कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट जान्हवी शुक्ला जर्नलिज्म में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं। लाइफस्टाइल, फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस उनके लेखन के प्रिय विषय हैं। किताबें पढ़ना उनका शौक है जो व्यक्ति को हर दिन कुछ नया सिखाकर जीवन में आगे बढ़ने और बेहतर इंसान बनाने में मदद करती हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख