हर थोड़ी देर में हाथ धोना या चीजें साफ करते रहना हो सकता है मायसोफोबिया का संकेत, ओसीडी से भी है ज्यादा कंपल्सिव

स्वच्छता को बनाए रखना आवश्यक है, मगर हर थोड़ी देर में हाथ धोना मायसोफोबिया कहलाता है। इस प्रकार के फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति में धूल, मिट्टी और कीटाणुओं के प्रति डर की भावना बनी रहती है।
Jaanein mysophobia yaani OCD ke kya hain lakshan
इसमें कोई एक भावना इतनी प्रबल हो जाती है कि आप चाहे-अनचाहे उसे बार-बार दोहराते रहते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 15 Sep 2024, 01:00 pm IST
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इनपुट फ्राॅम

बहुत से लोगों को किसी काम को बार बार करने की आदत होती है। इस मेंटल डिसऑर्डर को ओसीडी (OCD) भी कहा जाता है, जो लोगों में आमतौर पर देखने को मिलती है। फिर चाहे, वो साफ सफाई हो या हाथों को धोना ही क्यों न हो। स्वच्छता को बनाए रखना आवश्यक है, मगर हर थोड़ी देर में हाथ धोना (benefits of hand wash) मायसोफोबिया कहलाता है। इस प्रकार के फोबिया से ग्रस्त व्यक्ति में धूल, मिट्टी और कीटाणुओं के प्रति डर की भावना बनी रहती है। जानते हैं मायसोफोबिया (mysophobia) क्या है और इससे बचने के लिए किन टिप्स को फॉलो करें।

सबसे पहले जानते हैं मायसोफाबिया किसे कहते है (What is mysophobia)

इस बारे में डॉ युवराज पंत बताते हैं कि मायसोफोबिया ओसीडी यानि ओबसेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर (obsessive compulsive disorder) है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों के मन मे बार बार अनचाहे विचार उठने लगते हैं। मायसोफोबिया एक प्रकार का फोबिया , जिसमें व्यक्ति हर समय हाथों पर कीटाणुओं और गंदगी रहने के भय का सामना करता है। मगर बावजूद इसके व्यक्ति खुद को सेटिसफाई महसूस नहीं करता है। मरीज चाहते हुए भी अपने इन विचारों को रोक नहीं पाता है।

इस समस्या से ग्रस्त लोग हाथों को धोने के लिए ज्यादा मात्रा में हैंड वॉश (hand wash) और पानी का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा ऐसे लोग नहाने में भी सामान्य से ज्यादा वक्त लगाने लगते हैं। अगर वे अपने कार्यों को नहीं दोहराते हैं, तो उन्हें एंग्ज़ाइटी का सामना (causes of anxiety) करना पड़ता है। इसके अलावा ये लोग चीजों को बार बार चेक करते है। समय के साथ ये समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में डॉक्टरी जांच बेहद आवश्यक होती है।

hand wash ki samasya
इस समस्या से ग्रस्त लोग हाथों को धोने के लिए ज्यादा मात्रा में हैंड वॉश और पानी का इस्तेमाल करते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

इन संकेतों से पहचानें कि आप है मायसो फोबिया के शिकार (Signs of mysophobia)

  • हर थोड़ी देर में हाथों को धोना और देर तक धोते रहना
  • हाथों को गंदगी से बचाने के लिए दस्ताने पहनना और लोगों से हाथ मिलाने से बचना
  • रोजमर्रा की चीजों को कवर करके रखना और साफ सफाई में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना
  • कड़ीबद्ध तरीके से कार्यो को करना और अगर कुछ भूल हो जाएं, तो दोबारा से सभी कार्यों को दोहराना
  • हैंड सेनिटाइज़र और हैंड वॉश का ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल करना
  • दिन में 2 से 3 बार नहाना और देर तक नहाते रहना

जानते हैं मायसोफोबिया से बचने के उपाय (Tips to deal with mysophobia)

1. कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी यानि सीबीटी (Cognitive behavior therapy)

फोबिया से ग्रस्त लोगों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी फायदेमंद साबित होती है। इससे नकारात्मक विचारों को दूर करके रिएलिटी से अवगत करवाया जाता है। हर समय महसूस होने वाली गंदगी से राहत मिलने लगती है। इसके अलावा एक्सपोज़र थेरेपी की मदद से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

2. डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ (Deep breathing exercise)

मन का विचलित होना और एक ही कार्य को हर थोड़ी देर में दोहराना मानसिक अस्वस्थता का कारण बन जाता है। ऐसे में डीप ब्रीदिंग की मदद से मन को निंयत्रित करने में मदद मिलती है। साथ ही तनाव और एंग्ज़ाइटी को नियंत्रित किया जा सकता है।

Deep breathing ke fayde
डीप ब्रीदिंग की मदद से मन को निंयत्रित करने में मदद मिलती है। साथ ही तनाव और एंग्ज़ाइटी को नियंत्रित किया जा सकता है।चित्र : अडोबी स्टॉक

3. मेडिसिन (Medicine)

दवाओं का सेवन करने से मानसिक तनाव से राहत मिलती है। इसके अलावा व्यवहार में परिवर्तन आने लगता है। हर वक्त कीटाणुओं से घिरे रहने की भावना व्यक्ति को परेशान करने लगती है। डॉक्टर के अनुसार दी दवाओं की मदद से एंग्जाइटी को दूर किया जा सकता है।

4. सोने और उठने का समय तय करें (Follow Sleep pattern)

देर तक सोना और रात में देर तक जागना व स्क्रीन एक्सपोज़र का बढ़ना तनाव का कारण बनने लगता है। इसके चलते ओसीडी का सामना करना पड़ता है। सोने और उठने का समय तय करने से शरीर में हैप्पी हार्मोन का रिलीज़ बढ़ने लगता है, जिससे व्यक्ति खुद को दिनभर रिलैक्स महसूस करता है।

5. कैफीन इनटेक को करें कम (Caffeine intake)

ज्यादा मात्रा में चाय और कॉफी का सेवन करने से ब्रेन अलर्ट रहता है, जिससे नींद न आने की समस्या बढ़ जाती है। कैफीन ब्रेन केमिकल डोपामाइन को स्टीम्यूलेट करती है। इसकी कम मात्रा मूड सि्ंवग, एंगज़ाइटी और तनाव का कारण बनने लगती है। इसके अलावा स्मोकिंग और तंबाकू के सेवन से भी बचे।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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