पर्सनल और प्रोफेशनल काम के कारण व्यक्ति दवाब में आ जाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि कई तरह के खेल भी उन्हें तनाव से मुक्ति दिला सकते हैं। यदि कुछ दिनों की ब्रेक ले ली जाए, तो माउंटेन क्लाइम्बिंग जैसी एक्टिविटी का भी सहारा लिया जा सकता है। गाइड की मदद से किसी को भी ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ने का रोमांच हासिल हो सकता है। साथ ही, इस खेल की तीव्र शारीरिक गतिविधि मन और शरीर दोनों को तनावमुक्त कर सकता है। बिना ट्रेनिंग के माउंटेन क्लाइम्बिंग जोखिम भरा हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति ने अब तक इसकी ट्रेनिंग नहीं ली है या उन्हें किसी प्रकार का फोबिया है, तो वह एक्सपर्ट से सीखकर माउंटेन क्लाइम्बिंग पोज़ भी कर सकते है। इससे स्टेमिना, बैलेंस, कूलनेस और ब्रेव माइंड (mountain climbing for mental health) भी पाया जा सकता है।
पहाड़ों का नाम सुनते ही मन में ठंडक और ख्यालों में दूर दूर तक फैली वादियां नज़र आने लगती है। ये सोचकर ही मन अंदर से गुदगुदाने लगता है और एक नए अनुभव को पाने के लिए तैयार हो जाता है। बहुत से लोग अपनी डे टू डे लाइफ से ब्रेक लेकर माउनटेन क्लाइबिंग के लिए समय निकालते हैं। इससे न केवन शरीर फिट और एक्टिव बनता है बल्कि मेंटल हेल्थ भी बूस्ट होने लगती है। दिनभर काम में मसरूफ रहने के बाद खुद को समय देने के लिए पहाड़ों की यात्रा वाकई किसी विसमरणीय अनुभव से कम नहीं है। जानते हैं माउंटेन क्लाइबिंग मेंटेल हेल्थ के लिए किस प्रकार से है फायदेमंद।
इस बारे में बातचीत करते हुए मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि माउनटेन क्लाइबिंग से चारों ओर हरियाली और उंची वादियों का अनुभव होता है। इससे शारीरिक तनाव बढ़ने लगता है, मगर मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है। साथ ही मेंटल हेल्थ बूस्ट होने लगती है। सोलो माउनटेन क्लाइबिंग से जहां एकाग्रता और कुछ करने की इच्छा बढ़ने लगती है, तो वहीं ग्रुप में माउनटेन क्लाइबिंग करने का अवसर मिलने से पर्सनल ग्रोथ में मदद मिलती है। इसके अलावा व्यक्ति का सोशल सर्कल मज़बूत बनने लगता है और अकेलापन महसूस नहीं करता है।
हर ओर फैली हरियाली और पहाड़ तन और मन दोनों को तरोताज़ा बनाए रखने में मदद करते है। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं और फील गुड केमिकल्स प्रोडयूस होने लगते हैं। माउनटेन क्लाइबिंग से मस्तिष्क में सकारात्मकता बढ़ने लगती है और बार बार मूड स्विगं की समसया दूर होने लगती है। कुछ दिन तक लगातार ऐसे माहौल में रहने से मेंटल हेल्थ इंप्रूव हो जाती है।
वे लोग जो जीवन में किसी कारणवश तनाव और चिंता से घिरे रहते हैं, उन्हें अक्सर नेचर वॉक की सलाह दी जाती है। इससे जीवन में नया अनुभव प्राप्त होता है और शरीर में उमड़ने वाले विचारों को रोकने में भी मदद मिलती है। अपने विचारों को नई दिशा देने के लिए पहाड़ों की सैर बेहद फायदेमंद साबित होती है। एक्सपर्ट के अनुसार शारीरिक क्षमता के अनुसार ही हाइकिंग को तय करना चाहिए।
प्रकृति के संपर्क में रहने से जीवन में फोक्स क्लीयर होने लगता है। हर वक्त जल्दबाज़ी में रहने की बजाय व्यक्ति एकांत में अपनी मनोदशा से बेहतर तरीके से डील कर पाता है। इसके अलावा जीवन में अपने उद्देश्य को तय करने मे मदद मिलती है और व्यक्ति उस ओर अग्रसर होने लगता है। पहाड़ों की खूबसूरती से व्यक्ति के विचारों में परिवर्तन आता है और किसी भी कार्य को करने के लिए एकाग्रता बढ़ने लगती है।
पहाड़ों की सैर के दौरान नेटवर्क की समस्या का हर पल सामना करना पड़ता है, जिससे डिजिटल डिटॉक्स में मदद मिलती है। व्यक्ति एक मन से पूरी तरह आसपास के माहौल का लुत्फ उठाने लगता है, जिससे तनाव और बेवजह की चिंता दूर हो जाती है। बार बार फोन देखने की आदत कम होने लगती है और आंखों को भी सुकून की प्राप्ति होती है।
एक्सपर्ट के अनुसार वे लोग जो पहाड़ों की यात्रा पर जाते हैं, उनमें सेल्फ मोटिवेशन की भावना बढ़ने लगती है। सभी रूकावटों और परेशानियों के बावजूद अपने माइल स्टोन के पाने के लिए वे आगे बढ़ते चले जाते हैं। वे अपने लिए चैलेंज खुद तय करते हैं। इससे पॉजिटिव माइंडसेट को बनाए रखने में भी मदद मिलती है।
माउंटेन क्लाइबिंग के लिए जाने से पहले वहां के मौसम के बारे में जानकारी एकत्रित कर लेना बेहद ज़रूरी है। इससे किसी भी प्रकार की परेशानी से बचा जा सकता है।
चेहरे की त्वचा को हेल्दी बनाए रखने के सनस्क्रीन का अवश्य इस्तेमाल करें। इससे त्वचा मौसम के प्रभाव से बची रहती है।
ऐसे लोग जो तनाव में हैं और सयुसाइड के लिए कोशिश कर चुके हैं, उन्हें सोलो माउंटेन क्लाइकिंग से बचने की सलाह दी जाती है।
अपनी शारीरिक क्षमता के हिसाब से ही मांउटेन क्लाइबिंग का समय तय करें ताकि शरीर स्वस्थ बना रहे।
अपने साथ पानी और खाने की चीजें अवश्य रखें। इससे रास्ते में किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सकता है।
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