अक्सर हम टीवी देखते हुए मेल सेंड कर देते हैं और बच्चों को भी निर्देश देते जाते हैं। गाड़ी चलाते हुए फोन कॉल रिसीव करना तो आम बात है। ऑफिस में भी हम कई प्रोजेक्ट पर एक साथ काम करने लगते हैं। हमें बचपन से मल्टीटास्कर बनने की सीख दी जाती है।
ऑफिस में भी मल्टीटास्कर बनने की अपेक्षा की जाती है। पर कई शोधार्थियों के अध्ययन ने मल्टीटास्किंग के नकारात्मक पक्ष पर प्रकाश डाला है। असल में मल्टीटास्किंग तनाव और दबाव को भी बढ़ाती है। इसलिए विशेषज्ञ मल्टीटास्किंग की बजाए मोनोटास्किंग (monotasking vs multitasking) की सलाह दे रहे हैं। जानिए क्या है ये और मल्टीटास्किंग से कैसे बेहतर है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग एक साथ कई काम करते हैं, वे आसानी से डिस्ट्रैक्ट हो जाते हैं। साथ ही, वे प्रोडक्टिव भी कम हो पाते हैं। यदि उन्हें कुछ दिन पहले कुछ महत्वपूर्ण इन्फॉर्मेशन दी जाए, और फिर सूचनाओं को आधार बनाकर उनका टेस्ट लिया जाए, तो वे कम स्कोर कर पाते हैं। उनमें गलतियां भी बहुत अधिक निकलती हैं।
अध्ययनकर्ताओं ने माना कि एक समय में कई पहलुओं पर काम करने के लिए हमारा मस्तिष्क नहीं बना है। इसलिए मल्टीटास्किंग की बजाय मोनोटास्किंग पर ध्यान देना चाहिए। मोनोटास्किंग से न केवल हास्यास्पद और छोटी-मोटी गलतियां कम हो पाती हैं, बल्कि प्रोडक्शन भी अधिक हो पाता है। व्यक्ति की क्रिएटिविटी भी सामने आ पाती है।
रिसर्चर और लेखक स्टाफन नोटबर्ग ने मोनोटास्किंग पर एक किताब लिखी है- मोनोटास्किंग : हाउ टू फोकस योर माइंड, बी मोर प्रोडक्टिव एंड इंप्रूव योर ब्रेन हेल्थ। इस किताब में स्टाफेन अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि एक एक्टिविटी से दूसरी एक्टिविटी पर लगातार स्विच करने की बजाय हमें किसी एक लक्ष्य पर केंद्रित होकर काम करना चाहिए।
क्या मल्टीटास्क मेंटल हेल्थ को प्रभावित करता है, इस विषय पर रिसर्चर डॉ. पॉल हेमरनेस और मार्गरेट ने भी लंबे समय तक शोध किया।
डॉ. पॉल के अनुसार मल्टीटास्क हमें फील गुड करा सकता है, लेकिन इसे पूरा करने के दौरान व्यक्ति में चिड़चिड़ापन और स्ट्रेस भी हो जाता है। मल्टीटास्क से कई समस्याएं सामने आती हैं।
निगेटिव इमोशंस
चिड़चिड़ापन, किसी काम को जल्दी निपटाने की अधीरता
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंदुखी रहना
लंबे समय का तनाव
आक्रामकता
कॉन्सन्ट्रेशन बनाने में दिक्कत
मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अरविंद कुमार बताते हैं, जिन लोगों की अप्रोच मोनोटास्किंग की होती है, वे सेल्फ केयर ज्यादा अच्छी तरह से कर पाते हैं। वे अपने काम, हॉबी और परिवार को भी समय दे पाते हैं। एक बार में एक काम करने के कारण उनका दिमाग कॉन्सनट्रेट हो पाता है और वे थकान अनुभव न करने के कारण एनर्जेटिक भी महसूस करते हैं।
यदि आप मोनोटास्कर बनती हैं, तो यह कई तरह से आपकी मदद कर सकता है।
मल्टीटास्कर की अपेक्षा मोनोटास्कर को तनाव कम होता है।
चिड़चिड़ापन, आक्रामकता, क्रोध आदि जैसी समस्याएं न के बराबर हो पाती हैं।
माेनोटास्कर दूसरे लोगों से ज्यादा अच्छे तरीके से कम्युनिकेट कर पाते हैं। वे लोगों से जल्दी जुड़ जाते हैं।
मजबूत रिलेशनशिप बनाने के कारण लोगों को खुश भी कर देते हैं।
लोगों का ध्यान अपनी ओर अधिक आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं।
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