लॉकडाउन के कारण भविष्‍य लगने लगा है अंधकारमय, तो इन 4 तरीकों से करें नेगेटिव थिंकिंग को कंट्रोल

कोविड-19 के बाद आइसोलेशन और भविष्‍य के प्रति असमंजस को बढ़ाया है। पर इस अंधकार में खोने की बजाए जरूरी है कि आप अपने भीतर उम्‍मीद की किरण पैदा करें।
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नेगेटिव भावनाओं को समझना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
योगिता यादव Updated: 10 Dec 2020, 11:46 am IST
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कोरोनावायरस महामारी की शुरुआत में ही मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि लॉकडाउन और घर में आइसोलेट रहने के कारण नौकरियां जाने और अन्य कारणों से मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आएगी। अब यह हमें हमारे बिल्‍कुल आसपास दिखने लगा है। बहुत से युवा आर्थिक और कॅरियर संबंधी कारणों के चलते नेगेटिव थिंकिंग से घिर गए हैं। ऐसे युवाओं की संख्‍या भी कम नहीं है, जो खुदकुशी या आत्‍मघाती कदम उठाने के बारे में भी सोचने लगे हैं।

अमेरिकी एजेंसी सीडीसी ने वृहत स्‍तर पर एक सर्वेक्षण किया जिसमें सामने आया कि लॉकडाउन के कारण बहुत से युवाओं ने आत्‍मघात जैसे कदम उठाने की कोशिश की। हालांकि यह विचार नए नहीं हैं, पर कोरोनावायरस से उपजे मौजूदा हालात में युवाओं में इस तरह की टेंडेंसी ज्‍यादा बढ़ गई है।

क्‍या कहता है सीडीसी का सर्वेक्षण

2018 में इसी अवधि के दौरान 4.3 फीसदी लोगों ने आत्महत्या करने की बात सोची थी। जातीय और नस्लीय अल्पसंख्यक और आवश्यक कार्यकर्ताओं के बीच आत्महत्या की प्रवृति ज्यादा देखी गई।

अकेलेपन ने युवाओं में तनाव को और बढ़ाया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

5,412 अमेरिकियों का सर्वेक्षण करने वाली रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लगभग एक चौथाई में चिंता के लक्षण थे और लगभग इतने ही प्रतिशत में अवसाद के लक्षण थे। यह संख्या 2019 की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा है।

क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

18 से 24 साल के 30.7 फीसदी युवाओं ने जीवन का अंत करने के बारे में सोचा। इंडियाना की एक मानसिक चिकित्सक ब्रिटेनी जॉनसन ने कहा कि वे इस सर्वे के परिणाम से बिल्कुल भी आश्चर्यचकित नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम अप्रिय यादों, विचारों और भावनाओं से निपटने के लिए खुद को व्यस्त रखते हैं, इसलिए मुझे पता था कि कुछ लोगों के लिए घर पर रहने के आदेश के कारण मुश्किलें होंगी।

शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस शोध के परिणाम से महामारी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े गहरे प्रभाव का पता चलता है। इसके लिए जल्दी कुछ करने की जरूरत है।

लॉकडाउन के कारण नकारात्‍मक विचार बढ़े हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

भविष्‍य के बारे में नकारात्‍मक विचार आना किसी के लिए भी स्‍वभाविक है। पर उन विचारों के आगे घुटने टेक देना या खुद को हारा हुआ महसूस करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। यहीं नेगेटिव थिंकिंग आत्‍मघा‍ती प्रवृत्तियों में बदलने लगती है। जिसका ब्‍यौरा उपरोक्‍त सर्वेक्षण में दिया गया।

इन विचारों को तत्‍काल काबू करना बहुत जरूरी होता है। थोड़ी सी भी लापरवाही किसी के जीवन के लिए सबसे बड़ी गलती साबित हो सकती है।

हालांकि यह मुश्किल लग सकता है, पर नकारात्‍मक विचारों को काबू कर खुदकुशी की प्रवृत्ति से खुद को दूर रखना इतना भी मुश्किल नहीं है।

इन 4 तरीकों से कंट्रोल करें नेगेटिव थिंकिंग

सबसे पहले खुद से वादा करें

यह सबसे जरूरी और सबसे पहला कदम है कि आप खुद से एक वादा करें – ‘कोई भी नकारात्‍मक कदम न उठाने का।’ यह पहला बचाव है अपने जीवन को बचाए रखने का। अगर आपके आसपास कोई नहीं है, आप आइसोलेशन में हैं, घर से-परिवार से दूर हैं, तब भी अपने आप से वादा करें कि आप ऐसा कुछ नहीं करेंगी।

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गहरी सांस लेना आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए लाभदायक है। चित्र: शटरस्‍टॉक

अपने घर को सुरक्षित बनाएं

नेगेटिव विचारों से जब हम हार जाते हैं तो खुद को चोट पहुंचाने के तरीके खोजने लगते हैं। तो दूसरी जरूरत है कि उन चीजों, उपकरणों या हथियारों से खुद को दूर करें। घर में ऐसी चीजों को बिल्‍कुल जगह न दें, जिनसे आप खुद को चोट पहुंचा सकती हैं। यह रसोई के उपकरण भी हो सकते हैं और कुछ दवाएं भी। बस आपको यह प्रोमिस करना है कि आप उनका गलत इस्‍तेमाल नहीं करेंगी।

ध्‍यान हटाने की कोशिश करें

अमूमन यह होता है कि भविष्‍य के बारे में सोचकर हम लगातार नेगेटिव थिंकिंग में डूबने लगते हैं। जिससे आप उन चीजों से भी दूर हो जाती हैं, जो आपके पास अभी हैं। भविष्‍य के नकारात्‍मक ख्‍यालों से ध्‍यान हटाकर अपनी अभी की खुशियों पर ध्‍यान लगाने की कोशिश करें।

जब आप जिंदगी के प्रति सकारात्‍मक सोच रखते हैं तो ज्‍यादा स्‍वस्‍थ रहते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

यह खुशी बहुत छोटी सी भी हो सकती है, कोई नई ड्रेस निकालकर पहनना, अपने लिए कुछ अच्‍छा पकाना या कोई पसंदीदा मूवी देखना।

बात करें

आपने कभी सोचा है कि बात करना हर बार जरूरी क्‍यों कहा जाता है? क्‍योंकि इससे आपके खाली दिमाग में कुछ पॉजिटिव चीजें आती हैं और नेगेटिव चीजें निकलने लगती हैं। इसे अपने  मनीप्‍लांट के वॉटर वाज की तरह समझ सकती हैं। जब आप टैप से उसमें ताजा पानी डालती रहती हैं, तो पुराना, गंदा पानी खुद ब खुद बाहर निकलने लगता है।

अपने दोस्‍तों से बात करते हुए आप भी उसी प्रक्रिया से गुजरती हैं। इसलिए जब भी किसी नेगेटिव थॉट की गिरफ्त में आएं तो किसी से बात करें, किसी भी विषय पर।

किसी से बात करना, आपको तनाव से बाहर आने में मदद कर सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

प्रोफेशनल से हेल्‍प लें

अगर बार-बार इस तरह के विचार आ रहे हैं और आप खुद को कंट्रोल नहीं कर पा रहीं हैं,तो जरूरी है कि अकेली न रहें और किसी से मदद मांगे। आजकल इस तरह की हेल्‍पलाइन भी मौजूद हैं, जिन पर आप अपनी मेंटल हेल्‍थ के लिए मदद मांग सकती हैं। अगर जरूरी लगे तो किसी प्रोफेशनल की भी हेल्प ले सकती हैं।

जीवन बहुत सुंदर है। परिवर्तन इसका नियम है। बस यह याद रखें कि जैसे पुराना वक्‍त नहीं रुका, यह वाला भी नहीं रुकेगा। आने वाले सुंदर समय के लिए खुद को बचाए रखें।

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लेखक के बारे में

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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