यह स्‍टडी बताती है कि आपके सपनों को भी प्रभावित कर रहा है कोरोनावायरस, जानिए कैसे

अगर आपको लगता है कि कोरोनावायरस सिर्फ आपको खांसी, बुखार जैसी समस्याएं ही दे रहा है, तो शायद यह स्टडी आपको हैरान कर देगी।
अधूरी नींद शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचाती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
अधूरी नींद शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचाती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
विदुषी शुक्‍ला Updated: 10 Dec 2020, 11:26 am IST
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कोविड-19 महामारी से सारा विश्व परेशान है। हम पिछले छह महीनों से घरों में बन्द हैं, काम ठप है और जीवन पूरी तरह बदल चुका है। हमारा घर ही हमारा ऑफिस और जिम इत्यादि बन चुका है। यही नहीं, इस महामारी ने पूरे विश्व को आर्थिक रूप से हिला कर रख दिया है। हर दिन कोरोनावायरस से जुड़ी नई जानकारी आती ही रहती है और इसके कारण हम नियमित रूप से तनाव से घिरे हुए हैं।

कोरोनावायरस सिर्फ आपके फेफड़ों पर ही नहीं दिमाग पर भी असर डालता है, यह तो आप जानते ही होंगे। लेकिन अब एक नए शोध में सामने आया है कि कोरोनावायरस का प्रभाव हमारी नींद और सपनों पर भी पड़ रहा है।

मस्तिष्क में भी प्रवेश कर सकता है कोरोना वायरस, बता रही है यह रिसर्च।
मस्तिष्क में भी प्रवेश कर सकता है कोरोना वायरस, बता रही है यह रिसर्च। चित्र- शटरस्टॉक।

क्या कहती है यह स्टडी?

फ्रंटियर इन साइकोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च पेपर के अनुसार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से शोधकर्ताओं ने सपनों और अन्य अंतर्मन की प्रतिक्रियाओं पर कोरोना वायरस का प्रभाव देखा और उसे स्टडी किया। ‘स्लीप एंड माइंड रिसर्च ग्रुप’ द्वारा किये गए इस रिसर्च में कोरोना वायरस के हमारे मनोस्थिति पर पड़े प्रभाव को स्टडी किया गया, जिसमें यह पाया गया कि कोविड-19 संक्रमण आपको बुरे सपने देता है।

कैसे बुरे सपनों और कोविड-19 में है सम्बन्ध?

इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने फिनलैंड के 4,000 लोगों से उनकी नींद और सपनों से जुड़ा डेटा लिया। सपनों के एनालिसिस के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया। इस शोध में पाया गया कि संक्रमित मरीजों को बार-बार एक जैसे सपने आते हैं। यही नहीं, कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ी एंग्जायटी और तनाव ने लोगों की मनोस्थिति पर बुरा प्रभाव डाला है, जिससे आमतौर पर भी लोगों को बुरी नींद और सपने आ रहे हैं।

कोरोना वायरस से आते हैं बुरे सपने. चित्र: शटरस्‍टाॅॅक

इस रिसर्च की हेड कैटरीना पैसोनेन कहती हैं,”हम इस रिसर्च के नतीजों से आश्चर्यचकित हो गए थे। हमें उम्मीद थी कि महामारी के कारण लोगों की मानसिक शांति पर प्रभाव पड़ा है, लेकिन एक ही जैसे सपने आना अपने आप में हैरानी की बात है। बहुत अधिक लोगों को एक जैसे सपने भी आएं हैं, जो यह साफ साफ स्पष्ट करता है कि बड़े स्तर पर लोग एक ही मानसिकता से गुजर रहे हैं।”

हमारे सपने हमारे सब कॉन्शियस दिमाग की ही उपज होते हैं। सपने में दिखने वाले सभी दृश्य हमारी याद में कहीं न कहीं मौजूद होते हैं। एक जैसे सपने देखने का अर्थ है कि हर व्यक्ति के एक जैसे अनुभव हैं।

स्टडी में पाया गया बुरे सपने भी कोविड-19 का लक्षण हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

हर व्यक्ति देख रहा है एक जैसे ही सपने

कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से शोधकर्ताओं ने चार हजार से अधिक लोगों के सपनों को पढ़ा और सभी सपनों को 33 थीम में बांट दिया। यानी लोग मात्र इन 33 कैटेगरी में से ही सपने देख रहे हैं। इन 33 में से 20 बुरे सपने थे।
अब आप समझ सकते हैं कि इस महामारी का विश्व भर की मानसिक स्थिति पर कैसा असर है।

क्यों जरूरी है हमारे लिए यह रिसर्च?

कोरोनावायरस हमें एक जैसे और बुरे सपने दिखा रहा है यह जानकारी हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों होनी चाहिए? इसका जवाब देते हुए कैटरीना कहती हैं,”एक जैसे सपने का मतलब है एक जैसी सोच और विचार। इससे हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि इन परिस्थितियों का प्रभाव हर व्यक्ति पर एक जैसा ही पड़ रहा है। यह मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रिसर्च है।”

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लेखक के बारे में

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते। ...और पढ़ें

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