डाय‍टीशियन बता रहीं हैं, कैसे आपका फूड करता है आपके मूड को प्रभावित

आप भले ही अपने आसपास के माहौल को दोष दें, लेकिन वास्‍तविकता यह है कि आपका फूड आपके मूड और मेंटल हेल्‍थ दोनों को प्रभावित करता है। 
Dt. Anshika Srivastava Updated: 10 Dec 2020, 11:18 am IST
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क्या आपने कभी सोंचा है कि कुछ फूड्स खाने से हमारा मूड बहुत अच्छा रहता है! वहीं कुछ फूड्स को खाने के बाद शरीर मे आलस, भारीपन, चिड़चिड़ापन आदि समस्याएं होती हैं। खाने और मूड का एक अनोखा और जटिल संबंध है, जिसे जानने के लिए लगातार रिसर्च किये जा रहे हैं।

समझिए मूड और फूड का कनैक्‍शन 

हम कैसा अनुभव कर रहे हैं कि हमारे शरीर के रासायनिक पदार्थ, हार्मोन्स एवं न्यूरोट्रांसमिटर्स यह सब तय करते हैं। जिससे हमारी भावनाएं गहराई तक प्रभावित होती हैं। हार्मोन्स हमारे पूरे शरीर पर प्रभाव डालते हैं। जब हम अपने मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ की बात करते हैं, तो तीन मुख्य न्यूरोट्रांसमीटर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है- सेरोटोनिन, एंडोर्फि‍न और डोपामाइन।

आपके पेट और आपके मूड का सीधा संबंध। चित्र: शटरस्टॉक

सेरोटोनिन मूड बूस्टर का काम करता है और मस्तिष्क को रिलेक्स रखता है। इसे हैप्पी हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। डोपामाइन प्लेज़र हार्मोन्स का काम करता है और एंडोर्फिन हमें खुश रखने, चिड़चिड़ापन व डिप्रेशन से बचाने में मदद करता है।

खानपान की आदतों से जन्‍मी हैं लाइफस्‍टाइल डिजीज 

जिस तरह से लोगो की जीवनशैली बदल रही है, उसने लोगों की खानपान की आदतों को भी बदल दिया है। लोग आजकल फास्ट फूड्स, जंक फूड्स की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। उन्हे घर में बना भोजन पसंद नहीं आता। कभी-कभी समय के अभाव में भी लोग बाहर स्ट्रीट फूड्स या रेस्तरां मे खाना ज्यादा पसंद करते है या बाहर से खाना घर पर ऑर्डर कर लेते हैं। भोजन समय पर न करना, मील स्किप करना,  भोजन मे अनियमितता ये सब लाइफस्टाइल डिजीज का कारण हैं।

आइये जानते हैं क्‍या है क्रेविंग के पीछे का विज्ञान। चित्र- शटरस्टॉक।

हमारी फूड हैबिट्स और चॉइसेस हमारे शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है। हम जैसा आहार ग्रहण करते हैं हमारा मानसिक स्वास्थ्य या मूड भी वैसा ही होता है। इसलिए कहा जाता है कि यदि हम अच्छा और पौष्टिक भोजन खाएंगे, तो हम अच्छा सोचेंगे,  खुश रहेंगे।

स्‍वास्‍थ्‍य पर होता है इनका खतरनाक प्रभाव 

अनहेल्थी फूड्स खाने से लोगों को पेट संबंधी समस्या तो होती ही है। साथ ही ये ब्लड शुगर मे उतार- चढ़ाव और हार्मोन्स असंतुलन जैसी समस्याओं का भी कारण होते हैं।

रोड के किनारे मिलने वाले फास्ट फूड्स, आमतौर पर अनहाईजेनिक और अनहेल्थी होते हैं। इन्हें खाने से हमें स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं होती हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर होता है। इन फूड्स में रिफाइंड प्रोडक्ट्स,  खराब क्वालिटी का तेल,  प्रतिबंधित फूड कलर्स आदि का इस्‍तेमाल किया जाता है। जो कि सस्ते दामों में आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं। बार-बार एक ही तेल को लंबे समय तक इस्तेमाल करना भी सेहत के लिए हानिकारक होता है।

इस तरह के फूड्स का लगातार सेवन करने से हमारे शरीर का हॉर्मोनल संतुलन बिगड़ जाता है और हमारा मस्तिष्क भी रिलेक्स नहीं रह पता। ऐसे फूड्स को खाने के बाद चिड़चिड़ापन, आलस, थकान, मूड स्विंग्स जैसी समस्‍याएं होने लगती हैं।

जंक फूड की क्रेविंग हो सकती है समस्या का संकेत, क्योंकिं आप दुखी होने पर खाती हैं। चित्र- शटरस्टॉक।

इसके साथ ही शरीर मे इंफ्लेमेशन,  नींद न आना भी आम बात है, क्योंकि इनमें पौष्टिक तत्व न के बराबर पाया जाता है।

वहीं पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन हमारे शरीर एवं मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन्स एवम न्यूरोट्रांसमीटर्स को बनाने एवं उनको स्रावित करने मे मदद करता है। ये हार्मोन्स भरपूर नींद लेने में और इनफ्लेमेशन को कम करने मे मदद करते हैं।

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मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर रखना है, तो इन बातों का रखें ध्‍यान

स्‍वस्‍थ आहार लें

अपनी डाइट में साबुत अनाज, दालें,  दूध एवं उससे बने पदार्थ, प्रोबायोटिक्स,  प्रीबायोटिक्स, ताजे फल एवं सब्जी जैसे- केला, बेरीज़, पालक, शिमला मिर्च, फैटी फिश, अंडा, नट्स एवं सीड्स जैसे- अखरोट, बादाम, पीनट्स, पंपकिन सीड्स, सूरजमुखी के बीज, फ्लैक्सीड्स इत्यादि का सेवन करना चाहिए।

आदतों में सुधार लाएं

डार्क चॉकलेट भी मूड और ब्रेन को रिलेक्स करने मे मदद करती है, लेकिन इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।

चॉक्लेट आपकी करती है मदद।चित्र: शटरस्टॉक

मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए उत्‍तम एवं पौष्टिक आहार लें, भरपूर नींद लें, अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा वक़्त बिताएं, रिलेक्सिंग म्यूज़िक सुनें। जिससे आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे।

चलते-चलते

नियमित रूप से व्यायाम,  योगा या मेडिटेशन करें, क्योंकि व्यायाम के दौरान हमारे मस्तिष्क में एंडोर्फि‍न  और सेरोटोनिन हार्मोन रिलीज़ होते हैं। शोध में भी यह पाया गया है कि जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य उन लोगों की तुलना में ज्यादा संतुलित और अच्छा होता है, जो लोग व्यायाम नहीं करते। स्ट्रीट फूड्स  और बाहर का अनहेल्थी खाना खाने से बचें।

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लेखक के बारे में

Dt. Anshika Srivastava is Founder of Nutri Hub. Chief Clinical Nutrition Consultant. ...और पढ़ें

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