कोरोनावायरस के मामले बढ़ने के साथ ही अवसाद और खुदकुशी के मामलों में भी हुआ है इजाफा

कोरोनावायरस अपने साथ ढेर सारी समस्‍याएं लेकर आया है। अलग-अलग कारणों से लोग मानसिक अवसाद और तनाव की गिरफ्त में आ रहे हैं।
कोरोनावायरस ने सिर्फ आपकी शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत को भी नुकसान पहुंचाया है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कोरोनावायरस ने सिर्फ आपकी शारीरिक ही नहीं मानसिक सेहत को भी नुकसान पहुंचाया है। चित्र: शटरस्‍टॉक
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महीनों तक घरों में बंद रहने के बाद अब लाखों लोग ऐसी दुनिया में बाहर निकल रहे हैं, जो पूरी तरह बदल गयी है। घर और संसार के बीच समायोजन के इस असहज से माहौल में लोग अवसाद से लेकर आत्महत्या के बारे में सोचने तक मानसिक सेहत की समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं।

जहां महामारी ने बहुत सी चीजों को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर दिया है, वहीं खराब सेहत, बेरोजगारी, वित्तीय संकट तथा रोजाना की चिंताओं ने लोगों की मानसिक समस्याओं को भी बढ़ा दिया है।

कंट्रोल से बाहर हो रहीं हैं मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं

नई दिल्ली स्थित अशोक सेंटर फॉर वैल-बींग के निदेशक और मनोचिकित्सक अरविंद सिंह ने कहा, ”लंबे अनिश्चितता के दौर ने लोगों को अधिक चिड़चिड़ा बना दिया है। जो लोग हल्की-फुल्की चिंता की समस्या से जूझ रहे थे, उनकी परेशानी थोड़ी गंभीर हो गयी है। इस तरह की परेशानी बढ़ने से खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार भी पनपने लगते हैं।

युवाओं में कोरोनावायरस का अनुपात बढ़ता जा रहा है। चित्र: शटरस्‍टॉक

आत्‍महत्‍या की प्रवृत्ति में भी हुई है बढ़ोतरी

देशभर में जगह-जगह से लोगों के खुद को नुकसान पहुंचाने, खुदकुशी करने की खबरें आ रही हैं, तो अनेक लोग अवसाद और तनाव से जूझ रहे हैं।

उदाहरण के लिए गुजरात में 108 आपात एंबुलेंस सेवा को अप्रैल, मई, जून और जुलाई के महीने में लोगों द्वारा खुद को क्षति पहुंचाने के 800 से अधिक मामलों की सूचनाएं मिलीं। वहीं 90 मामले आत्महत्या के उनके सामने आए। अधिकारियों के अनुसार 25 मार्च को लॉकडाउन लगने के बाद से इस तरह की शिकायतों की संख्या अचानक से बढ़ गयी।

लॉकडाउन ने लोगों को अकेला कर दिया

अधिकारी विकास बिहानी के अनुसार आत्महत्या रोकथाम और परामर्श हेल्पलाइन पर सामान्य दिनों में हर महीने आठ से नौ फोन कॉल आते थे, लेकिन मार्च महीने से यह संख्या दोगुनी हो गयी।

अकेलेपन ने युवाओं में तनाव को और बढ़ाया है। चित्र: शटरस्‍टॉक

बेंगलुरू स्थित राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहन्स) के निदेशक बी एन गंगाधर ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता चलने के बाद कुछ लोगों ने खुद को चोट पहुंचाई क्योंकि वे इस निराशा को सहन नहीं कर पा रहे थे।

जरूरत है त्‍वरित एक्‍शन की

निमहन्स के ही मनोचिकित्सा विभाग के समन्वयक वी सेंथिल कुमार रेड्डी ने कहा कि इस तरह की घटनाओं के कारणों का अध्ययन होना चाहिए।

गुजरात के मनोचिकित्सक प्रशांति भिमानी के अनुसार आर्थिक संकट से आत्महत्या की सोच को और बल मिल रहा है।

कोलकाता की मनोचिकित्सक संचिता पकराशी ने कहा कि भविष्य को लेकर हर तरह की चिंता भी इस तरह की घटनाओं की बड़ी वजह है।

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