रजोनिवृत्ति (Menopause) वह समय है जो आपके मासिक धर्म के अंत का प्रतीक है। यह तब होता है जब आपको 12 महीने तक पीरियड्स नहीं आते हैं। यह आमतौर पर 40 के दशक के मध्य से 50 के दशक के मध्य तक होता है। रजोनिवृत्ति महिलाओं के लिए आसान नहीं है और यह अक्सर हार्मोनल परिवर्तन का कारण बनती है। हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव के कारण महिलाओं में बहुत सारे शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन देखे जाते हैं।
एक महिला को पेरिमेनोपॉज़ (perimenopause) के दौरान अपने भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पीरियड्स के दौरान किसी भी बड़े परिवर्तन से अवसाद हो सकता है।
मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा के वरिष्ठ सलाहकार प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ तनवीर औजला, कहते हैं – “ऐसा देखा गया है कि बड़े जीवन परिवर्तन अवसाद का कारण बन सकते हैं। जैसे कि बच्चों का घर छोड़ना, तलाक, आदि। साथ ही, यह रजोनिवृत्ति के बाद भी हो सकता है। इस समय, महिलाओं को हॉट फ्लैश के कारण रातों की नींद हराम हो सकती है और योनि के सूखेपन के कारण सेक्स लाइफ पर असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर आपके यौन जीवन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।”
अध्ययन बताते हैं कि रजोनिवृत्ति के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण से मूड में बदलाव और हॉट फ्लैश जैसे लक्षणों के बिगड़ने की संभावना अधिक होती है। इसलिए जीवन के इस चरण के दौरान जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
अनुशासित दिनचर्या की कमी या धूम्रपान जैसी आदतें कुछ महिलाओं के लिए पेरिमेनोपॉज को मुश्किल बना सकती हैं। अनहेल्दी आदतों के कारण उन्हें प्रतिकूल लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है।
डॉ औजला कहते हैं – “न केवल आपका दृष्टिकोण बल्कि आपकी जीवनशैली भी रजोनिवृत्ति के लक्षणों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, धूम्रपान और कसरत की कमी हॉट फ्लैश से जुड़ी हैं। यह किसी भी उम्र में अवसाद के बढ़ते जोखिम से भी जुड़ा हुआ है। मेनोपॉज के अन्य सामान्य प्रभाव हैं मूड स्विंग, गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन या आसानी से परेशान होना।”
केवल तनावग्रस्त होने या मूड स्विंग और डिप्रेशन के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है।
डॉ औजला कहते हैं – “मेजर डिप्रेशन एक ऐसी स्थिति है जो मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन के कारण होती है। यह ज्यादातर समय उदास मनोदशा से चिह्नित होती है। साथ ही, सामान्य गतिविधियों और रिश्तों में रुचि न रहना। पेरिमेनोपॉज़ के दौरान उतार-चढ़ाव वाले हार्मोन इस असंतुलन से जुड़े हो सकते हैं।”
यदि आप कम से कम दो सप्ताह से हर दिन इनमें से कुछ लक्षणों का अनुभव कर रही हैं, तो आप क्लीनिकल डिप्रेशन का अनुभव कर सकती हैं। ऐसे में आपको एक डॉक्टर से मिलना चाहिए।
किसी भी गतिविधि को करने में कम रुचि
निराशा की भावना या हर समय लो महसूस करना
अनिद्रा
एकाग्रता की कमी, निर्णय लेने में असमर्थता
बेचैनी या सुस्ती महसूस होना
मृत्यु या आत्महत्या के आवर्ती विचार
भूख में परिवर्तन
असफल होने का अहसास
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देते हैं और यदि आप लो फील कर रही हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
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