सिजोफ्रेनिया का नाम आप सभी ने सुना होगा, परंतु आप में से कई ऐसे भी लोग हैं जो इस शब्द से अनजान होंगे। यह एक प्रकार की मानसिक (Mental health problem) बीमारी है, जो आजकल तेजी से बढ़ रही है। बदलता वातावरण, खराब लाइफ़स्टाइल, स्ट्रेस इत्यादि इसके लक्षण को ट्रिगर करते हैं। वहीं यदि समय रहते इसका इलाज न करवाया जाए या सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को अकेला छोड़ दिया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए यदि आपके आसपास कोई भी व्यक्ति सिजोफ्रेनिया जैसी किसी भी मानसिक बीमारी से पीड़ित है, तो उन्हें उचित देखभाल देने की कोशिश करें।
अकसर लोग यह सवाल पूछा करते हैं कि क्या सिजोफ्रेनिया की स्थिति को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है? क्या प्यार और स्नेह इसके लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करते हैं? तो आपके इन सभी सवालों का जवाब यहां है। आज हम लेकर आए हैं सिजोफ्रेनिया के कारण से लेकर बचाव तक के कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स।। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
सिजोफ्रेनिया का एक सबसे आम कारण जेनेटिक्स को माना जाता है। यदि आपके माता-पिता या परिवार में किसी को इस तरह की समस्या रही है तो इसके ट्रांसफर होने की संभावना बनी रहती है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति का ब्रेन डेवलपमेंट सामान्य लोगों की तुलना में अलग तरीके से होता है। इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति मानसिक समस्या से पीड़ित है और इसका इलाज पूरी तरह नहीं करवाता, तो उसे सिजोफ्रेनिया का जोखिम बना रहता है।
प्रेगनेंसी के दौरान इंफेक्शन की समस्या, प्रीमेच्योर डिलीवरी, डिलीवरी में कॉम्प्लिकेशंस आना, कम वजन के बच्चे का जन्म, प्रेगनेंसी के दौरान अधिक मोटापा, इत्यादि जैसे कॉम्प्लिकेशंस सिजोफ्रेनिया से पीड़ित बच्चे के जन्म का कारण हो सकते हैं।
बचपन में किसी प्रकार के मानसिक पीरा का शिकार होना। जैसे कि छोटी उम्र से ही मां-बाप में से किसी एक की मृत्यु होना भी बच्चे को सिजोफ्रेनिया जैसी गंभीर समस्या से पीड़ित कर सकता है।
अधिक मात्रा में ड्रग्स लेना सिजोफ्रेनिया या इससे मिलते-जुलते अन्य मानसिक बीमारी का कारण हो सकता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति कम उम्र से अधिक मात्रा में ड्रग्स जैसे कि कोकेन, एलएसडी, इत्यादि ले रहा है। तो सिजोफ्रेनिया के लक्षण तेजी से ट्रिगर हो सकते हैं।
नेशनल हेल्थ सर्विस द्वारा प्रकाशित एक डेटा के अनुसार इस स्थिति में कुछ ऐसी आशंकाएं और भ्रम मन में बैठ जाते हैं, जो वास्तव में सच नहीं होते। ऐसे में आपको लगता है कि कोई व्यक्ति है जो आप को नुकसान पहुंचा सकता है, परेशान कर सकता है, या आपसे इशारों में कुछ कहना चाह रहा है। वहीं कोई दूसरा व्यक्ति आपसे प्यार करता है, या कोई बड़ी आपदा आने वाली है। हालांकि, यह सभी चीजें पूरी तरह काल्पनिक होती है जो एक सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति अपने दिमाग में बिठा लेता है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने आसपास आवाजें सुनाई देती हैं और किसी के होने का आभास होता है। यह माया किसी भी रूप में नजर आ सकती है। परंतु आमतौर पर सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति को यह आवाज के रूप में सुनाई देती है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के सोचने और बोलने का तरीका काफी अलग होता है। खासकर यदि उनसे किसी प्रकार का सवाल किया जाए तो उनका जवाब सामान्य व्यक्ति की जवाब की तुलना में पूरी तरह अलग रहेगा। इसके साथ ही कुछ अर्थहीन शब्दों का प्रयोग करना जिसे समझना आम व्यक्ति के बस में नहीं होता है।
यह लक्षण कई रूपों में नजर आ सकते हैं जैसे कि, बच्चों जैसी मूर्खता से लेकर अप्रत्याशित उत्तेजना तक। वहीं व्यवहार भी बदल जाता है जैसे की किसी की बात न मानना, अनुचित या विचित्र मुद्रा मैं बैठना और सोना, प्रतिक्रिया न दिखाना, इसके साथ ही कई अन्य चीजें शामिल हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार विटामिन बी से युक्त सप्लीमेंट सिजोफ्रेनिया की स्थिति में फायदेमंद माने जाते हैं। वहीं विटामिन B6, B8, B12 सप्लीमेंट्स सिजोफ्रेनिया में नजर आने वाले लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करते हैं।
खाद्य पदार्थों को लेकर कई ऐसी स्टडी की गई है जिसमें विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियां, इत्यादि सामने आए हैं। जो दिमाग से जुड़ी समस्याएं जैसे कि सिजोफ्रेनिया में कारगर हो सकते हैं। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा की गई स्टडी के अनुसार एंटी इन्फ्लेमेटरी डाइट इसके लक्षणों को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार अमीनो एसिड सप्लीमेंट और इससे युक्त खाद्य पदार्थ शिजोफ्रेनिया की समस्या में फायदेमंद होते हैं। विज्ञान की माने तो अमीनो एसिड और दिमाग के बीच का संबंध मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में अमीनो एसिड के इस्तेमाल को कारगर बनाता है। ऐसे में इस समस्या में क्विनोआ, डेयरी प्रोडक्ट्स, नट्स, सीड्स, इत्यादि का सेवन फायदेमंद होता है।
यदि आप सिजोफ्रेनिया से पीड़ित है तो ऐसे में तनाव इसमें नजर आने वाले लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है। इसलिए स्ट्रेस मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। इसके लिए आप सबसे पहले अपने स्ट्रेस ट्रिगर्स को पहचाने। उसके बाद एक्सरसाइज, मेडिटेशन, ब्रीडिंग एक्सरसाइज, योगा, बैलेंस डाइट, इत्यादि आपकी मदद करेंगे। वहीं अल्कोहल और अन्य प्रकार के नशीले पदार्थों से पूरी तरह परहेज रखें। साथ ही सोने के समय का ज्ञान होना भी बहुत जरूरी है।
मेलाटोनिन एक प्रकार का हॉर्मोन है जो शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सिजोफ्रेनिया में मेलाटोनिन का स्तर कम हो जाता है। जिस वजह से कमजोरी, नींद की कमी, इत्यादि जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में मेलाटोनिन सप्लीमेंट सिजोफ्रेनिया में नजर आने वाले लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करेगा। हालांकि, मेलाटोनिन सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए खुद का इलाज करवा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके साथ ही वह कभी कबार खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते। ऐसे में परिवार दोस्त और साथी का प्यार उनकी मदद कर सकता है। यदि कोई सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति का साथ दे रहा है तो सबसे पहले उन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत रखने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार हम दूसरों की स्थिति को संभालते संभालते अपने मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर बैठते हैं।
यदि आप प्यार और अफेक्शन के साथ सिजोफ्रेनिया के मरीज को ठीक करना चाहती हैं, तो सबसे पहले उनके आसपास रहने की कोशिश करें। समय पर दवाइयां देना, डॉक्टर्स के अपॉइंटमेंट को पूरा करना जरूरी है। इसके साथ ही उन्हें उन कार्यों में इंवॉल्व कराएं जिनसे उन्हें खुशी मिलती है साथ ही साथ उन्हें इनकरेज करना न भूलें।
सिजोफ्रेनिया एक प्रकार की गंभीर बीमारी है, जिसमें व्यक्ति मानसिक रूप से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया कर सकता है। ऐसे में अपने दिमाग को इन सभी चीजों के लिए तैयार कर लें और हमेशा याद रखें कि यह प्रतिक्रियाएं आपके लिए बिल्कुल भी नहीं हैं। क्योंकि सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति नहीं जान रहा होता कि वह किससे और क्या बातें कर रहा है साथ ही उसे अपनी प्रतिक्रियाओं का भी अंदाजा नहीं होता। ऐसे में उनसे इस विषय पर खुलकर बात करें ताकि उन्हें उनकी बीमारी के बारे में पता रहे और वह भी खुद को ठीक करने की कोशिश करें।
इतना ही नहीं यदि कोई व्यक्ति मानसिक तौर पर बीमार है, तो कई ऐसे मेंटल हेल्थ एक्ट बनाए गए हैं जिसके तहत आप उनका इलाज करवा सकती हैं। ऐसे में यदि समस्या हद से ज्यादा बढ़ जाए तो लोगो को नुकसान से बचाने के लिए इसकी मदद ले सकती हैं।
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