किसी को मनाना एक कला है और सभी में यह कला नहीं होती कि वे दूसरों को अपनी बात के लिए राजी कर सकें। जहां एक ओर कुछ लोग इसे हेरा फेरी या टिगड़म का दर्जा देते हैं, वहीं दूसरी ओर इसे व्यवहार कौशल माना जाता है।
आप दोनों में से किसी भी पक्ष में हों, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि मनाना एक कला है। मनाने की कला आती हो तो आप सामने वाले व्यक्ति की सोच अपने अनुसार ढाल सकते हैं।
ईमानदारी से बात करें तो हम सभी जीवन में कभी न कभी ऐसी स्थिति में जरूर रहे हैं, जहां सामने वाले व्यक्ति को मनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। ऑफिस में बॉस, क्लाइंट, कलीग से लेकर घर पर किसी को मनाना हो, यह कला आना आवश्यक है। अच्छे परसुएडर अपने साथ-साथ औरों का भी भला कर सकते हैं।
सवाल यह उठता है कि पर्सुएशन की कला सही है या गलत? और इसका सीधा सा जवाब है दोनों ही, और कोई भी नहीं। दरअसल यह कला सही गलत नहीं होती, व्यक्ति का इरादा सही और गलत होता है।
1. कहानी के रूप में स्थिति को समझाएं
कहानियां हम बचपन से सुनते आए हैं और आज भी कहानी से बेहतर माध्यम अपनी बात रखने के लिए है ही नहीं। इसलिए व्यक्ति को कहानी के माध्यम से स्थिति समझाएं और अपने मनचाहे निष्कर्ष पर पहुंचने दें। इससे आपका अर्थ स्पष्ट हो जाएगा और स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकेगा।
2. अपने संदेश को स्पष्ट रखें
अगर आपको लगता है कि लोग जटिल समाधान चुनना पसन्द करते हैं, तो यहां आप गलत हैं। व्यक्ति हमेशा सरल और स्पष्ट रास्ता ही चुनता है। इसलिए अपनी बात को घुमा फिरा कर रखने के बजाय स्पष्ट रखें। यह ज्यादा असरदार होता है।
3. आपकी बात में खास क्या है? इस पर सबका ध्यान केंद्रित करें
अगर आपको दूसरों से अपनी बात मनवानी है, तो उन्हें यह समझाएं कि क्यों आपका रास्ता खास है, यूनीक है। लोग हमेशा अनोखी चीजों को महत्व देते हैं।
4. बहुत अधिक विकल्प ठीक नहीं होते
जितने ज्यादा विकल्प, उतना कमजोर निर्णय। अगर आप हमारी यह बात नहीं मानते तो हम बता दें, मनोविज्ञान कहता है कि व्यक्ति को जब बहुत अधिक विकल्प मिलते हैं, तो वह या तो कुछ भी नही चुनता या चुनते वक्त ध्यान नहीं देता। अगर आपको दूसरों को अपनी बात के लिए राजी करना है तो उन्हें कम विकल्प दें। कम विकल्प होने पर हर विकल्प के लिए सोचने का मौका मिलता है।
5. सहमत न होने पर भी सहमति जताएं
अगर सामने वाला व्यक्ति आप से अलग विचार रखता है, खासकर जब उनके विचार आपके विचारों के ठीक उलट होते हैं, आपके लिए उनकी बात से सहमत होना मुश्किल होता है।
जब आप कितनी भी कोशिश कर लें उन्हें नहीं मना पा रहे हैं, तो उनकी बात पर सहमति जताना ही बेहतर है। इससे यह नजर आएगा कि उनके विचारों से सहमत ना होने के बाद भी आप उनके विचारों का सम्मान करते हैं। और यह आगे चल कर आपको फायदा पहुंचाएगा।
6. दूसरों को समझना जरूरी है
जब आप दूसरों के मन की बात करते हैं, तब तो मनाना आसान होता है, लेकिन जब वे आपकी बात से सहमत नहीं होते तो उन्हें मनाना मुश्किल हो जाता है।
ऐसी स्थिति में उन्हें अपने विचार समझाने से पहले उनकी बात को समझें। जब तक आप उनकी बात समझेंगें नहीं तब तक उन्हें अपनी बात भी नहीं समझा पाएंगे।
7. सुनना सीखें
आपने दूसरों की बात तो सुन ली, समझ भी ली, लेकिन अपनी बात को भी खुद सुनें। आप सामने वाले से क्या कहने जा रहे हैं, आपकी बात सुनने में कैसी लग रही है ये आपको पता होना चाहिए। सीधे-सीधे अपने विचार न रखने लगे। शुरुआत में कुछ प्रश्न करें, यह अच्छे वार्तालाप की निशानी होती है।
8. नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं
अपनी बात मनवाना ठीक है, लेकिन अपनी नैतिक जिम्मेदारी को न भूलें। कोई भी कदम उठाने से पहले यह जरूर सोचें कि उस कदम का दूसरों पर क्या प्रभाव होने वाला है।
9. सराहना करें
कई बार जब सामने वाला आपकी बात मानता है, तो उसकी नजर में उसके विचार छोटे लगने लगते हैं। ऐसे में अगर आप उनकी किसी भी अच्छी आदत की तारीफ कर देते हैं तो उनकी नजरों में आप भी उठ जाते हैं और वो खुद भी। यह भविष्य के लिए अच्छे सम्बंध स्थापित करता है।
10. अपना होम वर्क कर के रखें
आप जो बात कहने जा रहे हैं, उसके बारे में पूरी जानकारी रखें। इससे आप दूसरों की नजर में अपने विषय के विशेषज्ञ के रूप में नजर आएंगे और आपकी बात को ज्यादा तवज्जो दी जाएगी।
इन छोटे-छोटे कदमों से आप दूसरों को परसुएड कर सकते हैं। बस सही तरीके के साथ साथ सही इरादा भी होना जरूरी है।