मेनोपॉज के साथ बढ़ने लगता है मेंटल हेल्थ समस्याओं का जोखिम , जानिए कारण और समाधान

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में शारीरिक बदलावों के अलावा मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन भी आने लगते है। अधिकतर महिलाएं मेनोपॉज़ल डिप्रेशन के अलावा तनाव और एंग्ज़ाइटी का सामना करती है।
menoopause ke kya symptoms hain
प्रत्येक महिला के जीवन में होने वाली ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। आमतौर पर 50 से 51 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Published On: 5 Oct 2024, 06:00 pm IST
  • 140
Dr. Arti Anand
इनपुट फ्राॅम

मेनोपॉज के दौरान शरीर को हार्मोनल परिवर्तनों (hormonal imbalance) का सामना करना पड़ता है। कभी मोटापा, तो कभी चेहरे झुर्रिया और कभी चिड़चिड़ापन। जी हां मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में शारीरिक बदलावों के अलावा मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन भी आने लगते है। अधिकतर महिलाएं मेनोपॉज़ल डिप्रेशन (menopausal depression) के अलावा तनाव और एंग्ज़ाइटी का सामना करती है। जानते हैं मेनोपॉज के दौरान कैसे मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है और इससे उबरने के उपाय भी (menopause effect on mental health) ।

मेनोपॉज और मेंटल हेल्थ में क्या है कनेक्शन (How menopause and mental health connected)

इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ आरती आनंद बताती हैं कि रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं को क्रोध, चिड़चिड़ापन, चिंता, मेमोरी लॉस और अनियंत्रित भावनाओं का सामना करना पड़ता है। मूड में आने वाले उतार चढ़ाव के चलते आत्मविश्वास की कमी और ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता पाई जाती है। रजोनिवृत्ति में एस्ट्रोजन के कम स्तर से बायपोलर डिसऑर्डर और सिज़ोफ्रेनिया जैसी समस्याएं पनपने लगती हैं। रजोनिवृत्ति यानि मेनोपॉज एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इससे प्रभावित प्रत्येक महिला का अनुभव अलग होगा।

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में मेनोपॉजल डिप्रेशन की समस्या बढ़ने लगती है। इसके अलावा बहुत सी महिलाओं खुद को सोशली आइसोलेट कर लेती है। इसके अलावा महिलाओं में गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है। जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म के अनुसार पेरिमेनोपॉज़ के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्राडियोल जो एस्ट्रोजेन का सबसे शक्तिशाली रूप है, उसमें बदलाव आता है। इससे अवसाद के लक्षणों में वृद्धि होती है।

Menopause mei mental health ko kaise sambhaalein
पेरिमेनोपॉज़ के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्राडियोल में बदलाव आता है। इससे अवसाद के लक्षणों में वृद्धि होती है।

मेनोपॉज के दौरान किन मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है

1. बाइपोलर डिसऑर्डर

महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान बड़ी मात्रा में बाइपोलर डिसऑर्डर का सामना करना पड़ता है। इसके चलते चिड़चिड़ापन, निराशा, तनाव और नींद की कमी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा बिना किसी कारण रोना भी इस समस्या का लक्षण है।

2. मेनोपॉजल डिप्रेशन

इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं को एंग्ज़ाइटी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा चीजों को भूलना, एकाग्रता की कमी और आत्मविश्वास की कमी का भी सामना करना पड़ता है। हार्मोनल असंतुलन इस समस्या का कारण बनने लगता है।

3. एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मेनोपॉज के दौरान एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर का खतरा बना रहता है। ये साइकोलॉजिकल फेस 40 से 55 वर्ष की महिलाओं में देखने को मिलता हैं। इससे किसी भी बात पर अत्यधिक चिंता का बढ़ना, परेशान रहना, पसीना आना, मेटाबॉलिज्म का स्लो हो जाना और थकान का सामना करना पड़ता है।

anxiety symptoms se kaise niklein
मेनोपॉज के दौरान एंग्ज़ाइटी डिसऑर्डर का खतरा बना रहता है। ये साइकोलॉजिकल फेस 40 से 55 वर्ष की महिलाओं में देखने को मिलता हैं। चित्र : एडॉबीस्टॉक

मेनोपॉज में मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए इन टिप्स को अपनाएं

1. डाइटरी हेबिट्स में लाएं बदलाव

हार्मोन में बदलाव आने से शरीर में कमज़ोरी, थकान और तनाव बढ़ने लगता है। ऐसे में मैग्नीशियम रिच फूड्स का सेवन करने से एंग्ज़ाइटी और अनिद्रा दूर होने लगती है। इसके अलावा प्रोटीन और हेल्दी फैट्स से हड्डियों को मज़बूती व मोटापे की समस्या से बचा जा सकता है।

पोल

ज्यादातर औरतें करवा चौथ व्रत रखती हैं, क्योंकि…

2. भरपूर नींद लें

नींद की कमी के चलते तनाव का सामना करना पड़ता है। मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए 8 घंटे की नींद लें। इससे गुस्सा और चिड़चिड़ेपन की समस्या हल होने लगती है। साथ ही शरीर दिनभर एक्टिव बना रहता है। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन रिलीज़ होते है और कॉर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।

Neend ke fayde
नींद की कमी के चलते तनाव का सामना करना पड़ता है। मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए 8 घंटे की नींद लें।

3. व्यायाम और मेडिटेशन

सुबह और शाम कुछ वक्त मेडिटेशन और व्यायाम के लिए निकालें। इससे मेंटल और इमोशनल हेल्थ को बूस्ट किया जा सकता है। साथ ही शारीरिक अंगों में बढ़ने वाला दर्द और ऐंठन भी कम होने लगता है। दिनभर में 30 मिनट व्यायाम करने से शरीर में एनर्जी का स्तर बढ़ने लगता है।

4. सोशली आइसोलेट होने से बचें

अकेलापन चिंता, मेनोपॉज़ल डिप्रेशन और तनाव का कारण बनने लगता है। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं और आउटिंग पर जाएं। अपना सोशल सर्कल बढ़ाने के लिए लोगों से मिलें जुलें और खुद को आइसोलेट करने से बचें।

5. अपना पंसदीदा कार्य करें

दिनभर ऑफिस और घर की जिम्मेदारियों को पूरा करने के अलावा अपने लिए समय निकालें और अपना पसंदीदा कार्य करें। चाहे चित्रकारी हो, संगीत हो या कुकिंग, अपनी किसी भी हॉबी के लिए समय निकालें। इससे माइंड डायवर्ट होने लगता है, जिसकी मदद से तनाव से बचा जा सकता है।

ये भी पढ़ें- Menopause Age : क्या मेनोपॉज के लिए कोई सही उम्र होती है? एक एक्सपर्ट से जानते हैं इसके बारे में और विस्तार से

  • 140
लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

अगला लेख