यूं तो दुनिया में कई तरह के लोग है। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो खुद से अंदर ही अंदर एक जंग लड़ते हैं। उन्हें हर समय ऐसा लगता है कि मैं कहीं कुछ गलत कर रहा हूं। हर वक्त यहीं चिंता सताती है कि कोई मुझ से नाराज न हो जाएं। ऐसे लोगों का खुद पर ज्यादा विश्वास नहीं होता है। लोगों की खुशी के लिए वे बार बार माफी मांगना और उनकी हां में हां मिलाते नहीं थकते है। अगर आप भी ऐसे सोशली ऑक्वर्ड (socially awkward) लोगों के बारे में जानना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए इन प्वांइटस को ध्यान से पढ़ें। हो सकता है कि आपके आसपास भी कोई ऐसा शख्स मिल जाएं (signs of an Awkward person)।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि ऐसे लोगों का चेहरा भावविहीन होता है। मगर आप इन्हें खुशी और गम का एहसास करवाकर इनमें भावनाओं का संचार कर सकते हैं। ऐसे लोग आपसे बात करते समय कहीं और खोए हुए रहते हैं। मगर आपको इनसे ज्यादा से ज्यादा वार्तालाप करता है, ताकि ये बातचीत में दिलचस्पी ले सकें। सेल्फ सेंटर्ड रहने वाले इन लोगों को बचपन से ऐसा माहौल मिलता है, जिसमें इनका पूर्ण मानसिक विकास नहीं हो पाता है। ऑफिस में क्लीग्स के साथ घुलने मिलने से इनके व्यवहार में बदलाव महसूस किया जा सकता है।
पारिवारिक माहौल का असर किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है।
हर वक्त पेरेंटस का डॉमिनेटिंग नेचर हमारे व्यवहार को भद्दा बना देता है। बहुत से बच्चे इसके चलते सहमे सहमे भी रहते है।
आउटडोर स्पोर्टस में हिस्सा न लेने से भी व्यक्ति अन्य लोगों से पिछड़ जाता है।
दोस्तों से कम बातचीत हमारे व्यवहार को असामान्य बना सकती है।
ऐसे लोगों को किसी भी बात को बार बार कहना पड़ता है। ये जानते है कि आप इन्हें बुला रहे हैं। बावजूद इसके ये सामने वाले व्यक्ति की बातों को इग्नोर करते हुए अपने काम में ही व्यस्त रहते हैं। इसके अलावा खाने, सोने, उठने यहां तक नहाने के लिए भी इन्हें एक से अधिक बार टोकना पड़ता है। ये लोग बिना कहे कोई काम करने में इंटरस्ट नहीं लेते है।
लोगों से ज्यादा मेलजोल और बातचीत करना ये पसंद नहीं करते हैं। ऑनलाइन शांपिंग, टेक अवे ऑर्डर और मेल्स या टेक्सट मैसेज करना इन्हें ज्यादा भाता है। ये लोगों से आमने सामने बात करने से हिचकिचाते हैं। इसके अलावा सोशल इंटरेक्शंस से खुद को दूर रखना पसंद करते हैं। बहुत बार सोशल गैदरिंग में एंजॉय नहीं कर पाते। दरअसल, खुलकर अपनी बात न रख पाने के कारण ऐसे लोग अधिकतर कटे कटे रहते हैं।
ऐसे लोगों का फ्रेंड सर्कल बहुत वाइड नहीं होता। ये लोग ज्यादा अकेला रहना और खुद से बातें करना पसंद करते हैं। छोटी छोटी बातों को गहराई से सोचने की इनकी आदत आसपास के लोगों से दूर करने लगती है। ये लोग दोस्तों के साथ मेलजोल को समय की बर्बादी बताते हैं।
ऐसे लोग वाकई बहुत अजीब होते हैं, जो कुछ भी कहने के बाद उसके बारे में दिनभर विचार करते हैं। अपने किए कामों और अपनी ही कही बातों पर ये लोग पछतावा महसूस करते है, जो इनके मानसिक तनाव का कारण भी बन जाता है। अपने मन की बात कहने के बाद ये व्यक्ति के पास माफी मांगने पहुंच जाते हैं। ऐसे लोग उन चीज़ों के लिए भी सॉरी फील करते हैं, जहां पर ये गलत नहीं होते हैं।
ऐसे लोगों के साथ चाय गिराना, चीजें भूलना, डाक्यूमेंट मिस प्लेस होना और हर वक्त एब्सेंट माइंडिड रहना आम बात है। बेढ़ग तरीके से जिंदगी जीने वाले इन लोगों में आत्मविश्वास की कमी झलकती है। कभी कभी देरी होने के कारण चीजों को करने की जल्दबाज़ी इनके लिए परेशानी का कारण बन जाती है। समय पर किसी काम को न करना इनकी आदत में शुमार होता है। घंटों पहले जानते हुए भी काम को आखिरी वक्त पर करने में ये लोग विश्वास रखते हैं। इनका हर प्रयास अनमैनेज्ड होता है। दूसरे लोग भी धीरे धीरे इनकी कमियों से वाकिफ होने लगते हैं।
घड़ी के अनुसार चलें। काम को वक्त से पहले खत्म करने की आदत डालें
आलस्य को जीवन से त्याग दें।
दूसरों से ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश करें।
मेंटली तौर पर मज़बूत बनने के लिए अलग अलग एक्टिविटीज़ में खुद को इन्वाल्व करें।
इंटरएक्टिव होना ज़रूरी है।
हर गलती के लिए खुद को दोषी मानना छोड़ दें।
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