scorecardresearch

रिश्ते में झगड़े से भी ज्यादा खतरनाक है चुप्पी, जानिए क्यों विशेषज्ञ इसे इमोशनल टॉर्चर मानते हैं

गलती होने पर माफी मांगने जितना ही स्वभाविक है अपने पार्टनर की गलती पर उसे टोका जाना। पर चुप रहकर उससे संवाद बाधित कर देना भावनात्मक अत्याचार का ही एक दूसरा रूप है।
Updated On: 4 Jul 2022, 06:31 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
silent treatment
एक दूसरे को इग्नोर करना बन सकता है आपके रिश्ते के लिए खतरा, चित्र: शटरस्टॉक।

कल्पना कीजिए कि आपने अपने पार्टनर को अपने किसी बात या काम से  परेशान किया है और वे आपसे नाराज हैं। आप उम्मीद करती हैं कि वे आप पर चिल्लाएं, बताएं कि आपने उन्हें कैसे हर्ट किया या आपसे लड़ाई और बहस की, लेकिन ऐसा करने के बजाय वे आपसे बात करना या आपकी ओर देखना बंद कर देते हैं। वे आपको इमोशनल टॉर्चर देते हैं। खामोशी या पार्टनर की चुप्पी से आपको दुख पहुंचता है क्योंकि हर कोई चाहता है कि किसी बात के बुरा लगने पर उसका पार्टनर खुल के अपनी बात कहे।

सज़ा के तौर पर दिए जाने वाले साइलेंट ट्रीटमेंट में साथी कम्यूनिकेशन के रास्ते उसके लिए भी बंद कर देता है, जो बात करना चाहता है। सजा देने वाला व्यक्ति किसी तरह की बातचीत नहीं करता, बल्कि कोई इलेक्ट्रॉनिक कॉन्टेक्ट भी नहीं रखता है। यहां तक कि वह आपके साथ नज़रें तक नहीं मिलाता। यह इग्नोर किया जाना अपमानजनक है और आपके रिश्ते को किसी भी और दुर्व्यवहार की तरह नुकसान पहुंचाता है। 

यदि आपके साथ साइलेंट ट्रीटमेंट किया जाए तो यह आपको कितना अकेलापन महसूस करा सकता है यह समझा जा सकता है और अगर आपने यह किसी और के साथ किया है, तो आपने दूसरे व्यक्ति को भी वही बात महसूस कराई है। न तो यह एक हेल्दी स्थिति है और न ही भावना। 

आम तौर पर लोग यह मानते हैं कि जब वे किसी से नाराज़ हो जाते हैं, तो उनके लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने और अपनी फ्रस्टेशन निकालने के बजाय, वे उन्हें साइलेंट ट्रीटमेंट देकर अपने रिश्ते को टॉक्सिक होने से रोक रहे होते हैं। पर यह सच्चाई से और दूर नहीं हो सकता। मौन व्यवहार उतना ही अपमानजनक है जितना किसी पर अपशब्द कहना या मुंह पर थप्पड़ मारना, कुछ का मानना ​​है कि यह और भी बुरा है।

साइलेंट ट्रीटमेंट है एक अपरिपक्व उपाय

डॉ. जेन एंडर्स जो कि एक मनोवैज्ञानिक हैं, ने अपनी हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया कि पार्टनर से हुई लड़ाई या अप्रिय बात के बदले में प्रतिक्रया न देकर चुप्पी साध लेना कितना और कैसे एक अपमानजनक तरीका है। इसमें व्यक्ति अपनी भावनाओं को ठीक से व्यक्त करने में असमर्थ रहता है। वह उन स्थितियों से निपट नहीं सकता, जहां बात करने की ज़रुरत थी और संवाद की कमी के कारण समाधान संभव नहीं हो सका।

युवाओं में अकेलेपन की समस्‍या बढ़ती जा रही है।चित्र: शटरस्‍टॉक
संवाद की कमी आपके बीच ख़त्म हो रहे प्यार की निशानी तो नहीं ? चित्र: शटरस्‍टॉक

ऐसे में अगर पार्टनर से कोई ग़लती हो भी जाए, तो यह ज़रूरी है कि मामले का समाधान परिपक्व तरीके से बातचीत के जरिए हो। न कि साइलेंट ट्रीटमेंट जैसी बातों से। एंडर्स यह भी बताते हैं कि साइलेंट ट्रीटमेंट से दूसरे पक्ष को इतनी तकलीफ क्यों होती है:

1. साइलेंट ट्रीटमेंट भी भावनात्मक दुर्व्यवहार है

अध्ययनों से पता चलता है कि अनदेखा किया जाना शारीरिक दर्द के समान ही मस्तिष्क को सक्रिय करता है। इसके कारण मन को उतनी ही चोट पहुंचती है जितनी शारीरिक चोट लगने पर । यह किसी को तकलीफ देने का एक ऐसा तरीका है जिसके ज़ख्म आपके रिश्ते में चुपके से सेंध लगा सकते हैं। क्योंकि एक-दूसरे के लिए फ्रस्टेशन जो गुस्से में अनजाने ही निकल जाती है, अन्दर रह कर जमा होती रहती है।

Pollपोल
स्ट्रेस से उबरने का आपका अपना क्विक फॉर्मूला क्या है?

2. संवाद की कमी यानी प्रेम का कम होना

मनुष्य अकेले रहने के लिए नहीं बना हैं। संबंध बनाने और दूसरों के साथ जुड़ने के लिए यह सबसे ज़रूरी-प्राथमिक आवश्यकता है। लेकिन जब कोई प्रिय व्यक्ति आपसे संवाद करना बंद कर देता है, तो यह डिटैचमेंट को जन्म देता है। जिससे आप लगातार निराशा और चिंता की स्थिति में घिर जाती हैं। 

Emotional detachment bhi hai zarooree
डिटैचमेंट की वजह बन सकती है आपकी चुप्पी, चित्र: शटरस्टॉक

3. यह ‘स्पेसिंग स्पेस’ से बहुत अलग है

जिस व्यक्ति ने आपको चोट पहुंचाई है, उससे ब्रेक लेना सामान्य बात है। लेकिन उसे साइलेंट ट्रीटमेंट देना निश्चित रूप से न तो मी स्पेस देना है, न रिश्ते में सांस लेने की जगह देना। यह जानबूझकर अपनी पार्टनर को तकलीफ देने और मानसिक रूप से चोट पहुंचाने का तरीका है। किसी को इग्नोर करना इन्सल्ट करने जैसा है और फिर अगर बात पार्टनर की हो, तो यह निश्चित रूप से कहीं ज़्यादा बुरा है। 

साइलेंट ट्रीटमेंट आपके पार्टनर की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने का काम करता है और यह किसी भी रिश्ते के लिए अच्छी बात नहीं है।

इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि साइलेंट ट्रीटमेंट  देने के बजाय आप पार्टनर को एब्यूज करना या उसे फिजिकली चोट पहुंचाना शुरू कर दें। पर मौन का असर शरीर ही नहीं मन को भी चोटिल करता है, यह बात ध्यान में रहनी चाहिए। बेहतर है कि दोनों पार्टनर्स मैच्योरिटी दिखाएं और बातचीत करके अपनी भावनाओं को व्यक्त करें और अपने बीच के संघर्षों को सुलझाने की कोशिश करें। कहते हैं न ‘अ कॉफ़ी कैन क्रिएट अ मैजिक’ तो अगली बार चुप हो कर नहीं कॉफ़ी डेट पर अपने पार्टनर के साथ बातचीत करके मामले का हल निकालें।

यह भी पढ़ें:डायबिटीज है और आलू खाने की शौकीन हैं, तो जानिए इसे आहार में शामिल करने का सही तरीका

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
टीम हेल्‍थ शॉट्स
टीम हेल्‍थ शॉट्स

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं।

अगला लेख