Overthinking : आखिर क्यों लोग जरूरत से ज्यादा सोचने लगते हैं? एक्सपर्ट बता रहे हैं ओवरथिंकिंग के बारे में सब कुछ

आज कल स्ट्रेस का एक कारण ओवरथिंकिंग भी बन चुका है। हम छोटी छोटी चीजों को लेकर इतना सोचते है कि डिप्रेशन का एक कारण बन जाता है। क्या हो सकते है ओवरथिंकिंग के कारण आइए जानते है।
overthinking ke kya karan hai
कई बार ओवकथिंक करना आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।
संध्या सिंह Updated: 18 Oct 2023, 03:29 pm IST
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हर जगह प्रतिस्पर्धा खुद को दूसरों से बेहतर बनाने की दौड़ में आज कल लोग इतने व्यस्त हो चुके है कि छोटी छोटी चीजों को लेकर इतना ओवर थिंक करते है कि स्ट्रेस और डिप्रेशन का शिकार हो जाते है। सोशल मीडिया के जमाने में सब कुछ सोशल मीडिया पर दिखावटी है और लोग नंबर, संख्या और फ्लोवरस के पीछे भाग रहे है। कई लोग सोशल मीडिया की चीजों को अपनी जिंदगी पर लागू करते है जिसका जिंदगी से कुछ लेना देना नही होता है। ऑफिस में एक कर्मचारी से बेहतर खुद को दिखाने के लिए प्रतिस्पर्धा करना सभी चीजें आपको ओवरथिंक करने के लिए मजबूर करती है। की बार ओवकथिंक करना आपके स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।

क्या शुरू हो जाती है ओवरथिंकिंग

ओवरथिंकिंग एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति किसी स्थिति, समस्या या घटना के बारे में अत्यधिक और बार-बार सोचता है। इसमें व्यक्ति एक ही विचारों पर बहुत देर तक सोचता रहता है, मन में स्थितियों को बार-बार दोहराता है, और विभिन्न दृष्टिकोणों से विश्लेषण करता है। ओवरथिंकर्स को विचारों को छोड़ने में कठिनाई होती है और बहुत अधिक विचार करने से और चिंता के कारण कोई एक निर्णय लेने में संकट आ सकता है।

हालांकि किसी भी विषय पर विचार करना समस्या का समाधान करने में आपकी मदद कर सकती है और निर्णय लेने के लिए आवश्यक होते हैं, लेकिन ओवरथिंकिंग तब समस्या का कारण बन जाती है, जब इसका दैनिक कार्यक्षमता में हस्तक्षेप होन लगता है, पीड़ा उत्पन्न करती है, और सही निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।

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तनाव आपकी सेहत के लिए हानिकारक है। चित्र शटरस्टॉक

ओवरथिंकिंग के क्या कारण हो सकते है ये जानने के लिए हमने बात की डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव ने। डाॅ आशुतोष श्रीवास्तव सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट हैं।

यहां हैं ओवरथिंकिंग के लिए जिम्मेदार कुछ कारण

1 हमेशा परफेक्ट होने की चाहत (Perfectionism)

पूर्णता या पर्फेक्शन को पाने के लिए या प्रयास करने से यह आपको अत्यधिक विश्लेषण और सोचने पर मजबूर कर सकती है। गलतियाँ करने या उच्च मानकों को पूरा न करने का डर अक्सर व्यक्तियों को हर विवरण पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है, उन्हें कुछ भी काम करने से रोकता है।

2 असफलता का डर

ज्यादा सोचने वालों को अक्सर असफलता या नकारात्मक परिणामों का गहरा डर रहता है। वे अपने दिमाग में लगातार कुछ चीजों को दोहराते रहते हैं, हर संभावित परिणाम की आशा करने और योजना बनाने की कोशिश करते है, जो मानसिक रूप से थका देने वाला हो सकता है।

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भविष्य के बारे में अधिक सोचने से मन और तन दोनों प्रभावित होता है। चित्र : शटरस्टॉक

3 आत्मविश्वास की कमी

कम आत्म-सम्मान या किसी की क्षमताओं में आत्मविश्वास की कमी से अधिक सोचने में योगदान दे सकता है। व्यक्ति अपने फैसलों पर संदेह कर सकते हैं और लगातार खुद से सवाल कर सकते हैं, जिससे विश्लेषण करना और अपने से सवाल करने का चक्र कभी खत्म नही होता है।

4 पिछले ट्रॉमा या नकारात्मक अनुभव

पिछले नकारात्मक अनुभव या आघात समान स्थितियों से खुद को बचाने के तरीके के रूप या वो स्थ्ति दोबारा न हो इसलिए भी व्यक्ति ओवरथिंक कर सकता है। मन अति-सतर्क हो सकता है और संभावित जोखिमों या खतरों पर अत्यधिक विचार कर सकता है।

5 माइंडफुलनेस की कमी

ओवरथिंकर अक्सर पल में उपस्थित होने के साथ संघर्ष करते हैं। वे पिछली घटनाओं पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं या भविष्य के बारे में अत्यधिक चिंता कर सकते हैं, जिससे उन्हें वर्तमान में पूरी तरह से शामिल होने और वर्तमान क्षण का आनंद लेने से रोका जा सकता है।

डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव कहते है कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बहुत से व्यक्तियों के लिए बहुत अधिक सोचना एक आम संघर्ष है, और इसे आत्म-जागरूकता, माइंडफूलनेस अभ्यास और ज़रूरत पड़ने पर मित्रों, परिवार या डॉक्टर की मदद से प्रबंधित किया जा सकता है।

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लेखक के बारे में

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। ...और पढ़ें

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