‘पापा कह रहे हैं कि जाओ कह दो कि पापा नहीं हैं’ – ये वाक्य मैंने तब बोला था जब मेरे घर में कोई आया और पापा उससे मिलना नहीं चाहते थे। पापा ने कहा कि जाओ कह दो मैं नहीं हूँ और फिर मैंने वही वाक्य बोला और झूठ पकड़ा गया। अंततः पापा को उस शख्स से मिलने आना पड़ा। फिर बाकायदा मेरी ट्रेनिंग हुई कि अगली बार कैसे बोलना है। इस घटना का जिक्र मैं इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि आज हम बात करने वाले हैं कि बच्चों को झूठ बोलने की आदत क्यों (why do kids lie) लगती है और उसमें पैरेंटिंग का कितना बड़ा रोल है। कई दफे बच्चों की झूठ बोलने की आदत से सबसे ज्यादा परेशान पेरेंट्स की पैरेंटिंग ही बच्चों की इस आदत की जिम्मेदार होती है। लेकिन पेरेंट्स कुछ कोशिशें करके ऐसी दिक्कत से आसानी से बच सकते हैं।
दिल्ली बेस्ड चाइल्ड एण्ड फेमिली काउन्सलर निकिता देशमुख से हमने यही सवाल पूछा। उनका कहना था कि सबसे पहले तो ये समझना पड़ेगा कि बच्चों में झूठ बोलना (why do kids lie) ऐसी आदत नहीं जो उन्हें बाकी चीजों की तरह गर्भ से ही मिली हो। यह आदत उन्हें इसी दुनिया में लगती है और हम बतौर पैरेंट्स भी ज्यादातर बार जिम्मेदार होते हैं। बच्चे कुछ परिस्थितियों में खासकर झूठ बोलते हैं, जैसे –
छोटे बच्चे झूठ बोलने का एक कारण अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करना हो सकता है। उदाहरण के लिए अगर उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ गलत किया है और उस पर सजा मिल सकती है तो वे खुद को बचाने के लिए झूठ (why do kids lie) बोल सकते हैं। यह उनके मानसिक विकास का हिस्सा है क्योंकि वे ये नहीं समझ पाते कि झूठ बोलने के रिजल्ट क्या हो सकते हैं।
छोटे बच्चे अक्सर अपनी कल्पना और वास्तविकता के बीच अंतर नहीं समझ पाते। उनके लिए जो वे कल्पना करते हैं वही सच होता है। इसलिए कभी-कभी वे जो बातें कहते हैं वह सच नहीं होतीं लेकिन वे उसमें ही रहने के नाते (why do kids lie) अक्सर झूठ का सहारा लेते हैं। यह बहुत नॉर्मल है और गैर इरादतन भी।
निकिता बताती हैं कि अटेन्शन बड़ी चीज है, जिसके लिए बच्चे झूठ का सहारा लेते हैं। बच्चे ऐसा अक्सर तब करते हैं जब उन्हें लगता है कि उसके मां बाप, दोस्त या कोई और उन पर ध्यान नहीं दे रहा और वे कमतर हैं।
उन्हें लगता है कि अगर किसी झूठ से उन्हें प्रशंसा मिल सकती है या कोई खास ध्यान मिल सकता है तो वे झूठ (why do kids lie) बोलते हैं। ऐसा खासकर तब होता है जब उन्हें अपने पैरेंट्स से या अपनी फ्रेंड सर्कल में अटेन्शन की तलाश होती है। यह बहुत कॉमन देखा गया है।
कुछ बच्चों के लिए झूठ बोलना एक खेल की तरह होता है। ऐसा वो अमूमन इसलिए करते हैं ताकि सामने वालों को चौंका सकें या हंसा सकें। वे इसे सीरियसली नहीं लेते। ज्यादातर बार ये आदत बन जाती है।
अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट में बच्चों की झूठ बोलने के तरीके और कारणों को उम्र के हिसाब से बांटा गया है। रिपोर्ट कहती है कि बचपन में बच्चों के झूठ बोलने के तरीके अलग-अलग होते हैं और ये उनकी उम्र के हिसाब से बदलते रहते हैं।
2-4 साल के बच्चों में अक्सर ये होता है कि वे कल्पना और असलियत को अलग नहीं कर पाते, तो वो बिना मतलब के छोटे-मोटे सफेद झूठ बोल देते हैं। ऐसा सिर्फ उनकी कल्पना (why do kids lie) कराती है, उनका इरादा नहीं ऐसा होता। वो बस ये मानना चाहते हैं कि जैसा उन्हें उनकी कल्पना में दिख रहा है वही हकीकत है।
4-5 साल के बच्चों में अब थोड़ी समझ (why do kids lie) आनी शुरू होती है तो वो जानबूझकर झूठ बोलने लगते हैं, खासकर सजा से बचने या कुछ पाने के लिए। जैसे अगर वो कुछ तोड़ दें और कह दें मुझे नहीं पता। ऐसा अक्सर किसी सजा से बचने के लिए हो सकता है।
साइंस डाइरेक्ट की एक रिपोर्ट कहती है कि 6-12 साल के बच्चों में ये झूठ और स्मार्ट हो जाते हैं। अब वो दूसरों की सोच समझने लगे होते हैं और थोड़ा-सा जटिल झूठ बोलने लगते हैं। अब वो कहानी बना सकते हैं, जिसे झूठ मानने के लिए आपको थोड़ा सोचना पड़े।
किशोरों यानी 12 साल से ऊपर के बच्चों में ये झूठ बोलना (why do kids lie) और भी बढ़ सकता है और उसके कारण भी बदल जाते है। अब ये लोग खुद को कूल दिखाने के लिए या दोस्तों के बीच कुछ छुपाने के लिए झूठ बोल सकते हैं। कई बार अपनी प्राइवेसी बचाने के लिए भी बच्चे ऐसा कर सकते हैं।
निकिता के अनुसार, अगर बच्चों को हर छोटी सी गलती पर सजा मिलती है तो वे डर के मारे झूठ बोल सकते (why do kids lie) हैं। अगर उन्हें लगता है कि सजा से बचने के लिए झूठ बोलना बेहतर है। तो ऑफकोर्स वे झूठ बोलना ही चुनेंगे। ऐसा अधिकतर होता है जब बच्चे किसी सजा के डर से झूठ का सहारा लेते हैं और बाद में ये आदत में तब्दील हो जाती है।
बच्चों से कम्यूनिकेशन गैप भी झूठ बोलने की उनकी आदत का बड़ा कारण (why do kids lie) है। कई बार बच्चों को नहीं लगता कि उनके पेरेंट्स उन्हें समझेंगे और फिर वे पेरेंट्स के अनुसार कुछ भी झूठ गढ़ लेते हैं।
यह धीरे धीरे आपके बच्चे को आपसे इमोशनली दूर तो करता ही है, बच्चों के झूठ बोलने की आदत और जगह भी दिखाई देने लगती है।
बच्चे अपने माता-पिता को रोल मॉडल मानते हैं। अगर पेरेंट्स खुद झूठ बोलते हैं या छिपाते हैं तो बच्चे भी यही आदतें सीखते हैं। इसलिए कम से कम बच्चों के सामने तो माता-पिता को हमेशा ईमानदारी बरतनी चाहिए।
बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि झूठ बोलने (why do kids lie) के बजाय सच बोलना क्यों बेहतर होता है। उन्हें यह बताएं कि सच बोलने से उनके रिश्ते मजबूत होते हैं और केवल एक झूठ से लोग उनसे दूर हो सकते हैं। जब बच्चा झूठ बोले तो उसे प्यार और समझ के साथ यह समझाना चाहिए कि झूठ से क्या गलत होता है।
जब बच्चा सच बोलता है तो उसकी तारीफ करें। इससे बच्चा यह समझेगा कि सच बोलने के परिणाम हमेशा अच्छे होते हैं। हमेशा ये ध्यान रखें कि सबसे पहले पेरेंट्स ही बच्चों को ये बता सकते हैं कि सही क्या है और गलत क्या है। इसलिए अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
बच्चों को यह महसूस होना चाहिए कि वे घर में सुरक्षित हैं और अपनी गलतियों के बावजूद उन्हें प्यार किया जाएगा। जब बच्चों को डर नहीं होगा तो वे अपनी गलतियों को स्वीकार करने में सहज होंगे और झूठ नहीं बोलेंगे।
जब बच्चा झूठ (why do kids lie) बोले तो उससे यह समझने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों हुआ। हो सकता है कि वह डर या शर्मिंदगी से झूठ बोल रहा हो। उस स्थिति को समझ कर उसे गाइड करें न कि उसकी ग़लती पर फोकस करते हुए केवल सजा ही दें।
बच्चों की उम्र के हिसाब से उनकी समझ भी अलग होती है। छोटे बच्चों से यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि वे हमेशा सच (why do kids lie) बोलेंगे, लेकिन उन्हें धीरे-धीरे यह सिखाया जा सकता है कि क्या सही है और क्या गलत। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उन्हें सच बोलने की महत्व और उसके परिणामों को बेहतर ढंग से समझाया जा सकता है।
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