दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके जीवन में कभी कोई समस्या न रही हो। हर किसी की अपनी समस्याएं और उनको सुलझाने के तरीके होते हैं। कुछ लोग अपनी परेशानियां अपनों से शेयर कर पाते हैं, लेकिन वही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी परेशानियां न किसी से शेयर कर पाते हैं और न ही खुद उनका समाधान कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में यें लोग अंदर से घुटते रहते हैं, और बाहर से खुश रहने की कोशिश करते हैं। खुद को और दूसरों को समझाने की कोशिश करते हैं, कि उन्हें किसी दुख से कोई फर्क नहीं पड़ता। साथ ही वो किसी भी समस्या से खुद को आसानी से बाहर निकाल लेते हैं। पर क्या समस्याओं से भागने की ये आदत (avoidance behavior) वाकई आपकी मेंटल हेल्थ के लिए अच्छी है? आइए समझने की कोशिश करते हैं।
इस समस्या को गहनता से समझने के लिए हमनें बात कि जयपुर की प्रैक्टिसिंग साइकोथेरैपिस्ट एंड काउन्सलर सुनीता पाण्डेय से, जिन्होंने हमें इस समस्या के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कई लोग समस्याओं से बचने के लिए उन्हें नजरअंदाज करना बेहतर मानते हैं। काउन्सलर सुनीता पाण्डेय का कहना है कि ऐसा करना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। क्योंकि जिस तरह गंदगी को कालीन के नीचे छुपा देने पर घर बाहरी तौर पर तो साफ हो जाता है, लेकिन गंदगी ज्यों की त्यों बनी रहती है और बीमारियों के कीटाणु के पनपने का कारण बनती है।
ठीक उसी प्रकार अपनी परेशानियों और दर्द को नजरंदाज करना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक हो सकता है। इस स्थति को अवॉइडेन्स की स्थिति कहा जाता है।
कई बार हम अपने दुख को भुलाने की कोशिश करते है, उसके लिए हम खुद को व्यस्त करने की कोशिश करते हैं या अकेले रहना भी अवॉइड करने लगते हैं। लेकिन हमारी यही आदत हमें अवॉइडेन्स की स्थिति की और घसीटने लगती है।
काउन्सलर सुनीता पाण्डेय के अनुसार अगर आपने समस्या को जड़ से खत्म नहीं किया या उसे हल करने पर काम नहीं किया है। तो यह आपको अल्पकालिक रिलीफ दे सकता है, लेकिन परमानेंट रिलीफ नही। क्योंकि इसके कारण आपके सब कॉन्शियस माइंड में समस्या पहले जैसी बनी रहती है, जो कुछ समय बाद और गंभीर तरीके से हमला करती है।
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अवॉइडेंस की स्थिति बेहद गंभीर स्थति है, क्योंकि इसमें व्यक्ति अपनी समस्या से अंदर ही अंदर लड़ रहा होता है, और सबके सामने खुद को खुश दिखाने की कोशिश करता है।
इसके लक्षणों के बारें में बात करते हुए साइकोथेरैपिस्ट सुनीता पाण्डेय कहती हैं कि अवॉइडेंस की स्थिति वाला व्यक्ति समस्याग्रस्त होने पर खुद को झूठा दिलासा दे रहा होता है। अगर सभी चीज़े ठीक चल भी रही हैं, तो उसके व्यवहार में गुस्सा, चिड़चिड़ापन नजर आने लगता है। इसके अलावा इस प्रकार के व्यक्ति कई बार नशे की लत के शिकार होने लगते हैं। क्योंकि वो किसी से अपनी समस्या पर बात नहीं करते और खुद उस स्थति को भुलाने के लिए नशे का सहारा लेना ठीक मानते हैं।
सेल्फ एनालाइज करें
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कस्टमाइज़ करेंअपनी परेशानी को नजरअंदाज करने के बजाय इस पर ध्यान देने की कोशिश करें। आपको खुद को शांत करके सेल्फ एनालाइज करना होगा कि आखिर इस समस्या का समाधान क्या हो सकता है। साथ ही आपके साथ यह क्यों उत्पन्न हुई, जिससे भविष्य में आपको इसका फिर से सामना न करना पड़ें।
मेडिटेशन या मनपसंद एक्टिविटी करें
मेडिटेशन करने से आपको अपनी मानसिक स्थिति शांत करने और परेशानी पर काम करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही अपनी मनपसंद एक्टिविटी करना या मनपसंद गाने सुनना आपको बेहतर महसूस कराने में मदद करेगा।
अपनों की मदद लें
आपको समस्या नजरअंदाज करने के बजाय किसी अपने से शेयर करनी चाहिए। इसके लिए आप अपने किसी भी बहुत करीबी व्यक्ति की मदद ले सकती है। लेकिन अगर बात किसी अपने से शेयर नहीं कर सकते, तो किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट की मदद लेने की कोशिश करें।
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