सद्गुरु यानी जग्गी वासुदेव मशहूर योगी, शिक्षक, दिव्यदर्शी और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे साथ ही लेखक के रूप में भी दुनिया भर में मशहूर है। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु को, उनके जन सेवा कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “पद्म भूषण” से भी सम्मानित किया जा चुका है। अपने सेवा कार्यों और योग के ज्ञान के चलते सद्गुरु को दुनिया भर में काफी सम्मान दिया जाता है।
ये अजीब, अप्रत्याशित समय है। इससे पहले आपने कभी ऐसे दुखों को सामना नहीं किया होगा। कभी-कभी आप आशंकाओं से घिर जाती होंगी कि जाने कब, क्या हो जाए। वहीं कभी-कभी जीवन में दृढ़ बने रहने का संघर्ष आपको थकाता भी होगा। ऐसे में खुद को संभाले रखने के लिए आप सद्गुरु की शिक्षाओं को फॉलो कर सकती हैं।
ऐसा कहा जाता है कि परिवर्तन ही जीवन का नियम है। हमारे जीवन में कुछ भी स्थिर नहीं रहता है जैसे – अचानक से लॉकडाउन में घर में बंद हो जाना, किसी पारिवारिक सदस्य का नौकरी के कारण दूर चले जाना या असमय उसका हमारा साथ छोड़ जाना। जिस दिन आप इसे सृष्टि का नियम समझकर स्वीकार कर लेंगे, उस दिन आप अवसाद से बाहर आ जायेंगे और अतीत को भुलाकर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे।
जब आपके परिवार में किसी नये शिशु का आगमन होता है तब हर किसी के चेहरे पर एक ख़ुशी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय आप ख़ुशी बाँट रहे होते हैं न कि खोज रहे होते हैं। जब तक हम भौंतिक संसाधनों में अपनी ख़ुशी ढूंढते रहेंगे तब तक हमें ख़ुशी नहीं मिल सकती है। इसलिए, कोशिश करें कि जो ईश्वर ने दिया है उसमें संतोष करना सीखें।
कभी – कभी आपको ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जिनके लिए आप तैयार नहीं होते हैं। परन्तु, आप धैर्य रखकर उससे बाहर आने का प्रयत्न करें तो समाधान आपको स्वतः ही मिल जाएगा। फिर आपको लगेगा ये समस्या उतनी भी गंभीर नहीं थी इसलिए, हार न माने और निरंतर प्रयास करते रहें।
जब आप हर समय अपने सुखों की तुलना दूसरों के सुख से करने लगते हैं तभी आप दुखी रहने लगते हैं। पहले ज़माने में जब इतने संसाधन उपलब्ध नहीं थे, तब भी व्यक्ति सुखी रहता था उसे नींद पेड़ के नीचे भी आ जाती थी, और आज आप उसी नींद के लिए क़र्ज़ लेकर अपने आप को सुखी बनाने का प्रयत्न करते हैं।
जब तक आप ध्यान को महज़ एक क्रिया समझेंगे तब तक आप इससे नही जुड़ सकते। जिस दिन आप यह समझ लेंगे कि जिस तरह विनम्रता, दयालुता एक गुण है उसी तरह ध्यान में रहना भी एक गुण है। क्योंकि इससे आपका व्यक्तित्व निखारता है सोचने समझने की दिशा बदल जाती है और आप खुद को और दूसरों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। इसलिए अवश्य करें!
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