प्यार दुनिया की सबसे खूबसूरत भावना है, है ना? हम सभी ने अपने जीवन के किसी न किसी पल में प्यार को महसूस किया है। लेकिन कभी सोचा कि ऐसा क्यों होता है?
दरअसल प्यार में खुशी महसूस करना, अपने पार्टनर को देखकर उत्साहित होना, इसमें आपके पार्टनर से ज्यादा असर आपके हॉर्मोन्स का है। आपको प्यार दिल से नहीं दिमाग से होता है।
प्यार, सोचने पर तो हमें आसान लगता है। लेकिन यह एक बहुत जटिल प्रक्रिया है। आसान शब्दों में कहें तो जब आपको प्यार होता है, डोपामाइन (खुशी का हॉर्मोन) और ऑक्सिटोसिन (प्यार का हॉर्मोन) आपके दिमाग पर हावी हो जाते हैं। जैसे फिल्मों में दिखाते हैं कि प्यार होने पर हर चीज प्यारी लगती है, वो असल मे इन्हीं दोनों हॉर्मोन का खेल है।
इसके साथ ही दिमाग मे वैसोप्रेसिन और एड्रनलाईन भी निकलते हैं, जो आपको उत्साह और उमंग महसूस कराते हैं।
सायराक्यूज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में पाया कि जब हम प्यार में होते हैं तो हमारे दिमाग के 12 हिस्से एक साथ काम कर रहे होते हैं। शोधकर्ताओं ने MRI की मदद से देखा प्यार में हमारे दिमाग मे खून का बहाव बढ़ जाता है।
दिमाग के यह तीन हिस्से- अमिगडाला, हिप्पोकैम्पस और प्रीफ्रंटल कोर्टेक्स इस दौरान सबसे ज्यादा एक्टिव होते हैं। इससे हमें सुख, प्यार और लगाव महसूस होता है।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के दो प्रोफेसर रिचर्ड श्वार्ट्ज और जैकलीन ओल्डस बताते हैं कि प्यार बढ़ता और कम होता रहता है, यह सब हॉर्मोन्स पर ही निर्भर करता है।
प्रोफेसर जैकलीन ओल्डस बताती हैं,”प्यार महसूस करने के लिये हमारे दिमाग से डोपामाइन निकलती है जो हमें खुश करने के लिए ज़िम्मेदार होती है। आपके हैप्पी हॉर्मोन्स बढ़ाने के साथ-साथ प्यार में नकारात्मक भावनाएं कम हो जाती हैं। प्यार होने पर हम डर और दर्द जैसे इमोशन्स को कम महसूस करते हैं।”
अब तक आप यह तो जानते थे कि प्यार हमें खुश करता है, लेकिन अब आप जान गए हैं क्यों। तो फिर प्यार से रहिए और प्यार में रहिए। दुनिया थोड़ी ज्यादा खूबसूरत लगने लगेगी।