लंबी दूरी कई बार रिश्तों के मध्य चिंता का विषय बन जाती है। फिजिकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ को ये कई प्रकार से प्रभावित करती है। रिश्ते में आने वाली पेरशानी से खुद को बचाने के लिए यूं तो हम कई प्रयास करते है। मगर साथ ही लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में आने वाली इस समस्या को समझना भी बेहद ज़रूरी है। जानते हैं वो कौन से कारण है, जिसके चलते लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप (Stress in Long distance relationship )में हमारी हेल्थ प्रभावित होती है।
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ मेडिसिन के मुताबिक अगर आप शारीरिक, मानसिक और इमोशनल तौर पर अपने पार्टनर के नज़दीक नहीं हैं, तो इससे आपके शरीर को फील.गुड न्यूरोट्रांसमीटर या हैप्पी हार्मोन की प्राप्ति नहीं हो पाती है। इसके चलते शरीर में डोपामाइन और सेरोटोनिन की कमी होने लगती है। इसका प्रभाव आपकी गट हेल्थ पर भी दिखने लगता है। दरअसल, डोपामाइन हमारे शरीर की मूवमेंट पर असर डालता है।
जीवन में खुशी का अनुभव न होने के चलते डोपामाइन के स्तर में गिरावट आने लगती है। इसके चलते आपके न्यूरोकॉग्निटिव फंक्शन पर निगेटिव प्रभाव नज़र आने लगता है। इससे व्यक्ति तनाव का शिकार हो जाता है।
इस बारे में बातचीत करते हुए राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि लॉन्ग डिसटेंस रिलेशनशिप में अत्यधिक एक्सपेक्टेंशन से रिश्ते में गलत फहमियां बढ़ने लगती है। एक दूसरे से हर मिनट का हिसाब लेना और देना रिश्ते में घुटन का कारण बनने लगता है। एक्सपेक्टेंशन को कम करके एक दूसरे का समझना बेहद ज़रूरी है। अगर आप बात बात पर अपने पार्टनर को शक के कटघरे में खड़ा करती हैं, तो इससे रिश्तों में खींचतान बढ़ती है, तो तनाव का कारण साबित होते हैं।
नींद पूरी न होना
किसी बात को गहराई से सोचना
चीजों को भूल जाना
बार बार मूड स्विंग होना
किसी काम पर फोक्स न कर पाना
अगर आप लॉन्ग डिसटेंस रिलेशन में हैं, तो धीरे धीरे आप इनसिक्योर महसूस करने लगती है। इसके प्रभाव आपके व्यवहार और बातचीत के तरीके में नज़र आने लगता है। आप हर वक्त अपने पार्टनर को शक की नज़र से देखने लगते हैं। दरअसल, जब आप रिश्ते को लेकर अत्यधिक सेंसिटिव होने लगते हैं, तो उसका असर आपकी मेंटल हेल्थ पर भी दिखने लगता है। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोंस रिलीज़ नहीं होते हैं।
एक दूसरे से मिलना, हाथ पकड़ना, हगिंग व किसिंग हमें नज़दीकी का एहसास करवाते हैं। इससे रिश्ते में स्नेह और नज़दीकी बनी रहती है। ऑक्सीटोसिन एक कडल हार्मोन है, जो हमें रिश्ते में एक.दूसरे से बांधे रखने में हमारी मदद करता है। फिज़िकल इंटिमेसी की कमी रिश्ते में परेशानी का कारण बनने लगती है।
ऐसे में खुद को मेंटली फिट रखने के लिए अपने पार्टनर से संपर्क में रहें। इसके अलावा उनके बातचीत करें और जहां तक संभव हो सके, तो उनसे मिलें। इसके अलावा खुद को तनाव मुक्त रहख्ने के लिए परिवार से मिल जुलें और मसाज की भी मदद ले सकते हैं।
रिश्ते को लेकर जब आप ओवर पोजेसिव हो जाते हैं, तो वो भी आपकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अपने पार्टनर को समझने का प्रयास करें और उनकी गलतियो को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करें। दोनों के मध्य फासला होने से समय न दे पाने के कारण आप हर चीज़ के पार्टनर को जिम्मेदार ठहराते है। मगर ये व्यवहार पूर्ण रूप से गलत है। इससे तनाव की स्थिति दोनों ओर बढ़ने लगती है। ऐसे में दोस्तों से मिलें, आउटिंग प्लान करें और खुद को किसी एक्टिविटी में बिजी रखें।
रोज़ाना बात नहीं कर पाने से हम टेंशन में रहने लगते हैं। ऐसा महसूस होने लगता है कि आपका पार्टनर आपको अवॉईड कर रहा है। अगर बात करने के दोनों के पास एक ही समय पर खाली वक्त नहीं है, तो आप टैक्सट मैसेज और ऑडियो मैसेज के ज़रिए एक दूसरे से जुड़े रहें।
इसके अलावा विडियो कॉल भी आपको एक दूसरे से कनेक्टिड रखने का आसान तरीका है। साथ ही ब्रेक टाइम एक साथ लेकर बातचीत के लिए समय निकाल सकते हैं। इस बात को समझें कि बातचीत से ज़रूरी एक दूसरे की फीलिग्ंस को समझना है। अगर आप इमोशनली एक दूसरे से अटैच है, तो धैर्य रखना ज़रूरी है।
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