क्लिनिकल प्रैक्टिस एंड एपिडेमियोलॉजी जर्नल के अनुसार, पुराने समय में हिस्टीरिया का इलाज उपलब्ध नहीं था। यह सिर्फ को होने वाला मानसिक विकार माना जाता था काफी समय बाद हिस्टीरिया को महिला और पुरुष दोनों को होने वाला रोग माना जाने लगा। भारत में 20 वीं सदी तक इसका इलाज झाड़-फूंक, टोन-टोटके से किया जाता था। हिस्टीरिया के बारे में मनस्थली संस्थान की फाउंडर-डायरेक्टर और सीनियर साइकेट्रिस्ट डॉ. ज्योति कपूर से विस्तार (hysteria) से जानते हैं।
डॉ. ज्योति कपूर कहती हैं, ‘हिस्टीरिया एक मानसिक विकार (metal health problem) है। इससे पीड़ित व्यक्ति को बहुत अजीब तरह का एक भ्रम हो जाता है। यह बहुत गंभीर समस्या होती है, जिसमें रोगी को बार-बार दम घुटने जैसा एहसास होने लगता है। इसकी वजह से वह बेहोश हो जाता है।
यह रोग पुरुषों में भी देखा जा सकता है, लेकिन लक्षण अलग होने के कारण इसे महिलाओं को होने वाले हिस्टीरिया से जोड़कर नहीं देखा जा सकता है। महिलाओं में जब इस रोग के दौरे पड़ते हैं, तो उसके हाथ-पैर अकड़ जाते हैं। उसके चेहरे की आकृति भी बिगड़ने लगती है, जिसकी वजह से वह बिना किसी कारण के चिल्लाने लगती है। इसमें रोगी खुद कुछ-कुछ बड़बड़ाती रहती है। आगे वह दूसरों को मारना-पीटना भी शुरू कर देती है।’
1. तनाव और चिंता (stress and anxiety) के कारण
2. कमजोर व्यक्तित्व (weak personality)
3. सेक्स (sexuality or emotional distress)
4. सदमा (traumatic shock)
हिस्टीरिया से पीड़ित व्यक्ति बहुत अधिक जिद्दी और गुस्सैल हो जाता है। ब कोई बात या चीज उनके मन के अनुरूप नहीं होती है, तो वे बहुत परेशान हो जाते हैं।
जब कोई व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हो जाता है तो उस व्यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं। वह अचानक या धीरे-धीरे अचेत हो जाता है और जमीन पर गिर जाता है। दौरे पड़ने के बावजूद उस व्यक्ति की सांसे चलती रहती हैं, लेकिन उसे ऐसा लगता है कि जैसे वह मर गया हो।
जब किसी व्यक्ति को हिस्टीरिया का दौरा पड़ता है, तो उस व्यक्ति का पूरा शरीर ढीला पड़ जाता है। उस व्यक्ति के दांत बहुत कसकर भिंच जाते हैं, जो कुछ समय बाद अपने आप खुल जाते हैं।
दौरा पड़ने के बाद व्यक्ति बेहोश हो जाता है। यह कई मिनटों से लेकर आधे घंटे भी हो सकता है। कुछ समय बाद रोगी अपने-आप उठकर खड़ा हो जाता है। वह ऐसे दिखाता है कि जैसे उसे कुछ हुआ ही नहीं था।
व्यक्ति बहुत जोर-जोर से सांसे लेने लगता है और बार-बार अपनी छाती और गला पकड़ता है। रोगी को देखने वाले व्यक्ति को ऐसा लगता है जैसे उसका दम घुट रहा हो।
हजारों सालों तक महिलाओं की हेल्थ प्रॉब्लम को अक्सर फीमेल हिस्टीरिया कहा जाता रहा। ऐसा माना जाता था कि यह स्थिति वान्डरिंग यूटरस और सेक्सुअल फ्रस्टेशन के कारण होती है। इसे ठीक करने के लिए मरीजों को घुड़सवारी करने, वाइब्रेटर का इस्तेमाल करने या अपने पति के साथ नियमित यौन संबंध बनाने की भी सलाह दी जाती थी।
अब हिस्टीरिया को पूरी तरह मेंटल डिसआर्डर माना जाता है। हिस्टीरिया की विभिन्न अभिव्यक्तियों को सिज़ोफ्रेनिया, बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर, कॉनवर्शन डिसआर्डर(conversion disorder) और एंग्जाइटी अटैक (anxiety attacks) के रूप में पहचाना जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंरोग से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन दिन में दो बार एक चम्मच शहद का सेवन करना चाहिए। मेंटल हेल्थ को मजबूती देने वाले शहद में इस रोग को कम करने के गुण पाए जाते हैं।
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन जामुन का सेवन करना चाहिए। जामुन में कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, फास्फोरस, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन बी और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये इस रोग से लड़ने में मदद करते हैं।
केले के तने का ताजा रस लेकर दिन में दो या तीन बार इसका सेवन करना चाहिए। केले के तने में पोटैशियम, विटामिन-बी 6 भी होते हैं। इन दोनों पोषक तत्वों से सोडियम कंट्रोल होता है।
सबसे पहले गर्म पानी लें। इसमें नींबू का रस, नमक, जीरा, भूनी हुई हींग और पुदीना अच्छी तरह से मिलाएं। अब इसका सेवन प्रतिदिन दिन में एक बार करने से दौरे पड़ने की समस्या ठीक हो सकती है।
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