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गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क विकास में मदद करता है मां का अपने पेट को छूना, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

गर्भ में पल रहे बच्चे के मस्तिष्क विकास पर ध्यान देना जरूरी है। यहां बताये जा रहे 6 टिप्स को आजमाने से बेबी ब्रेन डेवलपमेंट सही तरीके से हो सकता है।
प्रेगनेंसी में इन्फेक्शन से कैसे करें बचाव। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 3 Nov 2022, 21:00 pm IST
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भारत यह सदियों से मानता आया है कि हमारे भोजन के साथ-साथ हमारे विचारों का भी गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रभाव पड़ता है। अब पश्चिम के शोध भी इस विषय को मान्यता देने लगे हैं। स्वस्थ आहार और स्वस्थ विचार का प्रभाव शिशु के शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी पड़ता है। इसलिए प्रेग्नेंट होने के साथ ही बच्चे के गुड ब्रेन डेवलपमेंट के लिए कोशिश (baby brain development in womb) शुरू कर देनी चाहिए। इससे बच्चा तेज और बुद्धिमान (smart and intelligent) होता है। बच्चा इंटेलिजेंट हो, इसके लिए हमें कुछ बातों पर ध्यान देना होगा।

गर्भ में पल रहे बच्चे का दिमाग कैसे प्रभावित होता है

मां से बच्चा गर्भनाल (placenta) से जुड़ा होता है। इसके माध्यम से बच्चे तक जरूरी खुराक पहुंचती है। यदि हम गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ जीवनशैली अपनाते हैं, तो गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। बच्चे के मस्तिष्क के विकास का प्रारंभिक कार्य गर्भ में ही शुरू हो जाता है। बैलेंस डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल से बच्चे का ब्रेन और पर्सनालिटी डेवलपमेंट भी सही तरीके से होता है।

यहां हैं गर्भधारण के दौरान बच्चे के सही ब्रेन डेवलपमेंट के लिए आजमाए जाने वाले 6 टिप्स

1 सही समय पर करें शुरुआत

क्लो मिज़े अमेरिका की एक ख्यातिप्राप्त लेखिका और गायनेकोलोजिस्ट हैं। उन्होंने प्रेगनेंसी पर कई किताबें लिखी हैं। वे अपनी किताब प्रेगनेंसी ब्रेन : द अल्टीमेट गाइड तो प्रेगनेंसी एंड चाइल्डबर्थ में लिखती हैं,

‘गर्भधारण से पहले खुद को तैयार कर लेना चाहिए। क्योंकि किसी भी प्रकार का नशा सबसे पहले बच्चे के मस्तिष्क को ही प्रभावित करता है। स्मोकिंग, ड्रिंकिंग गंभीर रूप से बच्चे के मस्तिष्क के विकास को बाधित कर सकते हैं और बच्चा दिमागी तौर पर कमजोर भी हो सकता है। इनमें न्यूरो-केमिकल होते हैं, जो नयूरोंस में परिवर्तन कर देते हैं।’

2. पोषक तत्वों से भरपूर आहार

क्लो मिज़े अपनी किताब में बताती हैं, गर्भावस्था के दौरान एक अच्छा आहार न केवल आपके बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, बल्कि आपके अजन्मे बच्चे के मस्तिष्क के विकास को भी बढ़ावा देता है। कैल्शियम, आयरन, सोडियम, मैग्नीज, मैग्नीशियम से भरपूर सब्जियां और मछलियां विशेष रूप से आहार में शामिल करें।

फोलिक एसिड बच्चे के स्वस्थ मस्तिष्क कोशिकाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फोलिक एसिड के स्रोत होलेग्रेन, दाल और पत्तेदार सब्जियां लें। ओमेगा 3 फैटी एसिड का एक प्रकार डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (डीएचए) है, जो न्यूरॉन प्रोडक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर वालनट, सालमन और अलसी लें।

3 फूड ऐसा लें, जो ऑक्सीजन की आपूर्ति करे

लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) के माध्यम से बच्चे के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है, जो ब्रेन डेवलपमेंट के लिए जरूरी है। आयरन से भरपूर आहार लेकर आरबीसी की वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है। गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस आम बात है। लेकिन इससे बच्चे के गुड ब्रेन डेवलपमेंट के लिए की जा रही कोशिश नहीं कम होनी चाहिए।

गर्भ में पल रहे बच्चे के गुड ब्रेन डेवलपमेंट के लिए  खूब सलाद खाएं । चित्र शटरस्टॉक।

गुड ब्रेन डेवलपमेंट के लिए जरूरी खाद्य पदार्थों को किसी न किसी रूप में ले लेना चाहिए। इन्हें आप सलाद, सूप, स्टू या प्यूरी बनाकर भी ले सकती हैं।

4 तनाव पहुंचा सकता है नुकसान

अमेरिकी लेखिका रेबेका फेट भी बच्चे के मस्तिष्क विकास पर अपनी किताब ब्रेन हेल्थ फ्रॉम बिर्थ नरचरिंग ब्रेन डेवलपमेंट में प्रेगनेंट लेडी को सुझाव देती हैं। वे कहती हैं, बच्चे के जन्म देने के समय हर प्रकार के तनाव से दूर रहें। यह इमोशनल डेवलपमेंट और बच्चे के आईक्यू स्तर को खतरनाक रूप से बाधित करता है। तनाव की स्थिति में हमारे शरीर में हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है, जो बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकता है। तनाव दूर करने के लिए अच्छी किताबें पढ़ें, अपनी रुचि का काम करें, वाकिंग करें, डॉक्टर के सुझाए योग करें।

5 मां का स्पर्श महसूस करता है गर्भ में शिशु

रेबेका कहती हैं, ‘प्रेगनेंसी के दौरान अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को जरूर स्पर्श करें। एक कोमल स्पर्श बच्चे को आराम और बढ़िया महसूस कराता है। यह बच्चे के मस्तिष्क के बढ़िया विकास में मदद करेगा।‘

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6 . आवाजों को सुन सकता है गर्भस्थ शिशु

भारत में यह पौराणिक कहानी प्रसिद्ध है कि अभिमन्यु ने गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदना सीख लिया था। रेबेका अपनी किताब में बताती हैं, “गर्भावस्था जब 3-4 महीने से अधिक हो जाती है, तो बच्चा आवाज़ों को सुन और प्रतिक्रिया कर सकता है।

गर्भावस्था जब 3-4 महीने से अधिक हो जाती है, तो बच्चा आवाज़ों को सुन और प्रतिक्रिया कर सकता है। चित्र: शटरस्टॉक

इसलिए प्रेरणादायक कहानियों का पाठ करें और सॉफ्ट म्यूजिक सुनें। ये दोनों काम मां और बच्चे दोनों के मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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