15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष (Pitru paksha 2022) में हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं। हम सभी अपने पूर्वजों से जुड़े हुए हैं। हमारा न सिर्फ चेहरा, बल्कि कई आदतें, जीने का नजरिया यहां तक कि सेहत संबंधी समस्याएं भी हमारे जीन्स को प्रदर्शित करती हैं। यही वजह है कि जब भी हम किसी बीमारी को लेकर डॉक्टर से कंसल्ट करते हैं, तो उनका पहला सवाल होता है, क्या आपके माता-पिता में से किसी एक को यह बीमारी है। डायबिटीज, अर्थराइटिस, हार्ट डिजीज यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों के लिए भी फैमिली हिस्ट्री (Family history) खंगाली जाती (genes effect on personality) है।
बायोलॉजिकल संरचना जीन हमें अपने पूर्वजों से जोड़ता है। इसकी वजह से हमारी आदतें और व्यवहार माता-पिता से ही प्राप्त होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति के बिहेवियरल और साइकोलॉजिकल गुण को पूरी तरह जीन प्रभावित करते हैं। व्यक्ति की इंटैलेक्चुअल एबिलिटी और पर्सनैलिटी पेरेंट्स पर निर्भर करती हैं।
इसे साइंस में बिहेवियरल जेनेटिक्स (behavioural genetics) या साइकोजेनेटिक्स (psychogenetics) कहा जाता है। बिहेवियर और जेनेटिक्स में संबंध बताने वाले वैज्ञानिक सर फ्रांसिस गाल्टन ने वैज्ञानिक आधार पर इस बात को प्रमाणित कर दिया था कि हम जैसा भी अच्छा या बुरा व्यवहार करते हैं, उसके पीछे काफी हद तक पेरेंट्स के जीन जिम्मेदार हैं।
पबमेड सेंट्रल की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि मेंटल हेल्थ भी प्रभावित करते हैं माता-पिता। वर्ष 2015 में डी पॉल लॉ की एक रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित की गई। इसमें लेखक स्पष्ट रूप से बताते हैं कि मानसिक बीमारियों का रिस्क (Mental health disease risk) कई गुणा बढ़ जाता है, जब पेरेंट्स की भी मेंटल हेल्थ ठीक नहीं रहती हो।
आक्रामक व्यवहार, दूसरों के साथ हिंसा करना या एंटी सोशल व्यवहार (Anti social behaviour) प्रदर्शित करने जैसे गुणों के लिए जीन जिम्मेदार हो सकते हैं। हालांकि परिवेश भी इनमें भूमिका निभा सकता है। डिप्रेशन (Depression), सिजोफ्रेनिया (schizophrenia) जैसे मानसिक रोग के लिए जीन जिम्मेदार होते हैं।
कई रिसर्च और स्टडी यह बात प्रमाणित कर चुकी है कि क्रोमोसोम संरचना में आई खराबी के कारण स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हमें माता-पिता से प्राप्त हो जाती हैं। डाउन सिंड्रोम में क्रोमोसोम की गलत संरचना होती है। इससे बॉडी और ब्रेन का सामान्य विकास बदल जाता है। इससे फिजिकल और इंटेलेक्चुअल दोनों तरह की समस्याएं होती हैं।
कुछ स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि कुछ कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस, हाई कोलेस्ट्रॉल, हीमोफीलिया, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, बर्थ डिफेक्ट जैसे कि स्पाइना बिफिडा या चिपके या कटे-फटे होंठ के लिए क्रोमोसोम जिम्मेदार होते हैं।
थ्योरी एंड रिसर्च में लेखक रॉबर्ट्स, वुड और कैस्पी बताते हैं कि मनुष्यों के कुछ व्यवहार जीन पर निर्भर करते हैं। वे इस प्रकार हैं
विश्वास, परोपकार, दया, स्नेह, और अन्य सामाजिक व्यवहार का प्रदर्शन बच्चे पेरेंट्स की तरह ही करते हैं।
गहन विचार, चीजों को अच्छे तरीके से नियंत्रित करना, लक्ष्य के अनुसार कार्य करने का गुण हमें विरासत में मिलती हैं।
समाज में घुलना-मिलना, बातूनीपन, मुखर होना और किसी बात पर उत्तेजित हो जाना भी जीन पर निर्भर करता है।
उदासी, मूड स्विंग, भावनात्मक अस्थिरता, कई सारी चीजों के लिए चिंतित होने का गुण भी हम पूर्वजों से लेते हैं।
माता-पिता की तरह ही हम रचनात्मक, नई चीजों को आजमाने की कोशिश करना, किसी भी नए काम को करने में खुशी महसूस करना आदि जैसे गुण विकसित करते हैं।
यदि आपमें ये सारे गुण हैं या कुछ कम-ज्यादा हैं, तो समझ लीजिए आपने ये गुण अपने माता-पिता से विरासत में लिए हैं। हालांकि वातावरण या परिवेश भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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