मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े होते हैं, इसके बारे में तो आप सभी ने सुना होगा। साथ ही बहुत से ऐसे लोग भी होंगे जिन्होंने ईसे महसूस भी किया होगा। तो क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है कि आखिर मानसिक समस्या शारीरिक स्वास्थ्य को और शारीरिक समस्या मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करती है। तो आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। आपकी नियमित दिनचर्या में होने वाली कुछ छोटी मोटी दिक्कतें आपके इस सवाल का स्वयं जवाब हैं। यदि आप यह नहीं समझ पा रहीं, तो चिंता न करें।
आज हम लेकर आए हैं आपके लिए इससे जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट जिसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है। ताकि आगे से आप अपनी सेहत के प्रति सावधानी बरतना शुरू कर दें।
कई लोगों में यझ समस्या जेनेटिकली मौजूद होती है। जैसे ही आपका मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है, तो उसका प्रभाव सीधा आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। वहीं शारीरिक स्वास्थ्य के साथ में बिल्कुल ऐसा ही होता है।
कभी कबार मानसिक स्वास्थ्य के प्रभावित होते ही हम ऊर्जा शक्ति खो देते हैं। जिस वजह से हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाते। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य हो या शारीरिक स्वास्थ्य हो, दोनों ही केस में कई बार आसपास के लोग और परिवार के लोग ऐसे व्यक्ति को नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं। जो उनकी स्थिति को और ज्यादा गंभीर कर देता है। ऐसे में देखभाल की कमी के कारण कई बार मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति शारीरिक बीमारियों का शिकार होने लगता है। वहीं शारीरिक रूप से बीमार व्यक्ति मानसिक बीमारियों से ग्रसित हो जाता है।
जब आप मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित होती है, तो कई बार आप अनहेल्दी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर देती हैं जैसे कि ड्रिंकिंग और स्मोकिंग। यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ आपके समग्र सेहत को प्रभावित कर सकता है। यदि आप एक अच्छे मेंटल स्टेट में हैं तो आप कई गंभीर शारीरिक समस्याओं को हरा सकती हैं। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार पॉजिटिव साइकोलॉजिकल हेल्थ हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना को कम कर देता है।
शारीरिक स्वास्थ्य पर मानसिक स्वास्थ्य के प्रभाव को लेकर चौकने। वाली बात बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से उदाहरण ले सकती है। जैसे कि तनाव, डिप्रेशन, इत्यादि सिर दर्द को अपने साथ लेकर आते हैं।
इसी के साथ थकान आपको पाचन क्रिया से जुड़ी समस्याएं दे सकता है। साथ ही साथ एंग्जाइटी में कई लोग लूज मोशन जैसी समस्या का सामना करते हैं। वहीं डिप्रेशन एंजायटी में नींद की कमी, बॉडी पेन और अन्य शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सिजोफ्रेनिया एक प्रकार की मानसिक बीमारी है जिसमें हार्ट और रेस्पिरेट्री समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है।
पब मेड सेंट्रल की माने तो मानसिक तौर पर बीमार लोगों को नींद से जुड़ी समस्या जैसे कि इनसोम्निया और स्लीप एपनिया का सामना करना पड़ता है। इनसोम्निया की समस्या में आमतौर पर व्यक्ति को कम नींद आती है। साथ ही वह कभी कभी पूरी रात नहीं सोते।
साथ ही एपनिया में सांस से जुड़ी समस्या होती है, जिसकी वजह से व्यक्ति बार बार सांस रुकने की वजह से सोते-सोते बीच में उठ जाता है। नींद की कमी त्वचा, बाल, से जुडी समस्यायों का एक बड़ा कारण होती है। वहीं यह समग्र सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है।
विश्व में नींद की समस्या से पीड़ित व्यक्ति में से 50 से 80% व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार हैं। वहीं 10 से 18% लोग ऐसे है जो बिना किसी मानसिक बीमारी के नींद से जुड़ी समस्या का अनुभव कर रहे हैं।
किए गए एक अध्ययन के अनुसार मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में ज्यादा स्मोकिंग करता है। वहीं स्मोकिंग आपके शारीरिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
आपका शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। जो लोग शारीरिक स्वास्थ्य से पीड़ित है उन्हें मानसिक रूप से भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
सोरायसिस त्वचा से जुड़ी एक प्रकार की समस्या है जिसमें त्वचा पर लाल रंग के घाव हो जाते हैं जो काफी ज्यादा दर्दनाक होते हैं। जिस वजह से तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है। यह बीमारी इमोशनल और साइकोलॉजिकल हेल्थ को भी प्रभावित करती है।
इसी के साथ कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियां भी मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। क्योंकि इस दौरान डिप्रेशन और एंग्जाइटी होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। वहीं एक रिसर्च में कैंसर से जुझ रहे कइ व्यक्ति में डिप्रेशन की गंभीर स्थिति देखने को मिली। साथ ही लो मूड, नींद से जुड़ी समस्याएं और सभी गतिविधियों से मन हटने जैसी परेशानी भी सामने आई।
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