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जानिए आपका आहार कैसे करता है आपके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित

हमारी भोजन परंपरा में हर तरह के आहार के लिए एक खास दिन और समय निश्‍चित है। क्‍योंकि आहार हमारे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के साथ-साथ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर भी असर डालता है।
भोजन करता है आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित. चित्र : शटरस्टॉक
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”जैसा खाएं अन्न वैसा होगा मन” आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी। जिसका अर्थ है कि आप जैसा अन्न खाएंगे वैसा ही आपका मन या स्वास्थ्य हो जाएगा। खानपान का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कभी खाना अच्छा न मिले, तो हमारा मूड खराब हो जाता है और कभी मूड स्विंग में हम मन पसंद खाकर अपनी क्रेविंग्स को दूर करते हैं। भोजन ही हमारा मूड बनाता और बिगाड़ता है। आयुर्वेदक के अनुसार हम किस प्रकृति का भोजन कर रहें हैं, यह हमारा मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर गहरा असर डालता है।

आयुर्वेद के अनुसार तीन प्रकार का होता है आपका भोजन

हम जो भोजन करते हैं उसे तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है – सात्विक, राजसिक और तामसिक। प्रत्येक का हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर अलग- अलग प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले जानते हैं कि इन प्रकार का क्या मतलब है –

1 सात्विक आहार

सात्विक आहार का सीधा सा अर्थ है हल्का और स्वस्थ भोजन। यह न तो बहुत मीठा, न ही बहुत नमकीन या मसालेदार होता है- इसमें केवल हल्के मसाले और स्वाद होता है। सीधे शब्दों में कहें, सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांत करता है।

एक सात्विक आहार में शुद्ध भोजन होता है (प्रोसेस्ड नहीं) जो शक्ति में हल्का होता है, और प्राण (जीवन शक्ति) से भरपूर होता है। यह तन और मन को ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही, आयुर्वेद के अनुसार तीन से चार घंटे के भीतर पका हुआ भोजन सात्विक माना जा सकता है।

सात्विक खानपान ही बेहतर है . चित्र : शटरस्टॉक

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर सात्विक आहार का असर

सात्विक भोजन के सेवन से मानसिक स्वास्थ्य और ऊर्जा में सुधार होता है, जिससे हमारी चेतना की स्थिति में सुधार होता है। यह हमारे शरीर और दिमाग के सामंजस्य और संतुलन को बेहतर करने में मदद करता है। नियमित रूप से सात्विक आहार लेने से उच्च गुणवत्ता वाले शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद मिल सकती है।

2 राजसिक आहार

राजसिक खाद्य पदार्थों में मसालेदार, गर्म, कड़वा, खट्टा और तीखा भोजन शामिल होता है, जो सात्विक भोजन की तरह आसानी से पचने योग्य नहीं होता। रेड मीट, लाल दाल, तूर दाल, सफेद उड़द की दाल, काले और हरे चने, छोले, मसाले जैसे मिर्च और काली मिर्च और उत्तेजक जैसे ब्रोकली, फूलगोभी, पालक, प्याज और लहसुन, चाय, कॉफी, तंबाकू जैसी चीजें इसमें शामिल हैं।

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर राजसिक आहार का असर

राजसिक भोजन दोपहर के समय ही करना चाहिए। रात के खाने में राजसिक भोजन से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह पाचन को रोकता है। कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार, सात्विक भोजन भी जो तेल में तला हुआ या अधिक पका हुआ होता है, राजसिक गुण का होता है।

अपने शुद्ध रूप में राजसिक भोजन ताजा और पौष्टिक हो सकता है। परेशानी तब शुरू होती है जब तेल या मसाले डाल दिए जाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सलाह है कि राजसिक भोजन प्रतिदिन नहीं करना चाहिए।

यह राजसिक भोजन की श्रेणी में अता है . चित्र : शटरस्टॉक

3 तामसिक आहार

यह राजसिक भोजन के समान ही होता है मगर जब सात्विक भोजन तामसिक या विषाक्त वातावरण में तैयार किया जाता है, तो यह तामसिक हो जाता है। इसलिए इसका सेवन
नहीं करना चाहिए। जैसे रात का तेल मसाले वाला खाना सुबह दोबारा गर्म करने खाना। आयुर्वेद में शराब, मांस, मछली, लहसुन, प्‍याज आदि को भी तामसिक भोजन माना गया है। इनमें से कुछ आहार आपकी यौन क्षमता को भी प्रभावित करते हैं।

तामसिक भोजन करने से क्या होता है?

तामसिक भोजन वे हैं जो मन को अशांत कर देते हैं और मन में भ्रम और भटकाव लाते हैं। बासी या फिर से गरम किया हुआ भोजन, बहुत अधिक तैलीय या पेट पर भारी वस्तुएं और प्रोसेस्ड, जंक या आर्टिफिशियल खाद्य पदार्थ इस श्रेणी में आते हैं।

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जंक फूड नहीं खाने चाहिए। Gif: giphy

अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सात्विक भोजन अपनाना सबसे बेहतर है –

चावल, गेहूं और जई, फलियां, मूंग दाल (साबुत हरे चने) जैसे अनाज

ताजी हरी सब्जियां जैसे पालक, हरी बीन्स, मध्यम मसाले वाली उबली सब्जियां

फल जैसे अनार, सेब, केला, संतरा और अंगूर

ताजे या हल्के भुने हुए बीज और मेवे

ताजा छाछ, ताजा दही (दही), मक्खन, और घी

मसाले जैसे अदरक, इलायची, दालचीनी, सौंफ, धनिया, और हल्दी

अब आपको समझ आ गया होगा कि सात्विक भोजन आपके शरीरिक और मानसिक स्वास्थ दोनों के लिए बेहतर है! हां कभी-कभी मॉडरेशन में आप क्रेविंग्स को पूरा करने के लिए राजसिक या तामसिक भोजन भी ले सकती हैं। पर इन्‍हें नियमित आहार में शामिल करने से बचना चाहिए।

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ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं। ...और पढ़ें

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