दुनिया भर में तनावग्रस्त लोगों की संख्या लगातर बढ़ती जा रही है। ऐसे में हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर मानसिक तनाव को कैसे कम किया जाए। दरअसल, मेंटल स्ट्रेस का नकारात्मक प्रभाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। हाल ही में हुए एक शोध से पता चलता है कि तनाव के बारे में हमारे सोचने के तरीके का असर हमारे स्वास्थ्य पर दिखाई देता है। जो लोग तनाव को सकारात्मक तरीके से लेते हैं, उन्हें इससे निजात पाने में मदद मिल सकती है।
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में हुए शोधों में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि हमारे सोचने का नजरिया तनावपूर्ण परिस्थितियों से निपटने में मददगार है। रिसर्च में यह बात सामने आई कि आम लोगों की तुलना में एथलीट्स अपने तनाव को सकारात्मक तरीके से लेते हैं। नतीजतन, वे तनावपूर्ण परिस्थितियों से आसानी से बाहर निकल जाते हैं। तो आइए जानते हैं एथलीट की तरह आप अपने स्ट्रेस को कैसे हैंडल कर सकते हैं।
हम सभी कभी न कभी तनावपूर्ण परिस्थितियों से जरूर गुजरते हैं। शोध में यह बात सामने आई है कि लोग अपने स्ट्रेस को लेकर दो तरह की राय रखते हैं। एक वो लोग होते हैं जो सोचते हैं कि तनाव का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और हमें इससे बाहर निकलना चाहिए। वहीं, एक वे लोग होते हैं जो अपने तनाव को सकारात्मक व्यू में लेकर इसे एक चुनौती की तरह लेते हैं। जैसे एक एथलीट किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले होने वाले स्ट्रेस को अपने प्रदर्शन से जोड़कर देखते हैं।
ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में हुई स्टडी में यह बात सामने आई है कि जो लोग तनाव को चुनौती की तरह स्वीकार करते हैं, उनके काम, मानसिक स्वास्थ्य और प्रदर्शन पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है। ऐसे लोग कठिन से कठिन काम को एक खतरे की बजाय चुनौती के रूप में देखते हैं।
खबरों के मुताबिक, इस स्टडी में 400 एथलीटों का डेटा एकत्र किया गया था। इनमें अलग-अलग खेलों के प्लेयर्स और कुछ इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लोग शामिल थे। अध्ययन के लिए इन एथलीटों से तनाव और मेंटल हेल्थ को लेकर सवाल-जवाब किए गए। इस दौरान एथलीटों की उम्र और उससे संबंधित खेल का भी ध्यान रखा गया था।
अध्ययन में यह पाया गया है कि आम लोगों की तुलना में एथलीट अपने तनाव को सकारात्मक और चुनौतीपूर्ण रूप में देखते हैं। नतीजतन, एथलीट खुद को अधिक एनर्जेटिक और कम अवसादग्रस्त पाते हैं।
जो लोग तनावपूर्ण परिस्थितियों से गुजरते हैं, उन्हें पता चलता है कि यह कितना कष्टपूर्ण होता है। बेशक, हम तनाव को सकारात्मक रूप में नहीं देख सकते हैं। क्योंकि इसका हमारे स्वास्थ्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि, यह सही है कि एथलीटों को अत्यधिक तनाव की स्थिति उनके बेहतर प्रदर्शन और मेंटली हेल्दी रहने में मददगार है। जैसे कोई एथलीट किसी प्रतियोगिता के तनाव को फायदेमंद मानता है, तो इससे उसे अपने खेल पर फोकस करने और सक्सेस होने की प्रेरणा मिल सकती है।
हम सभी जानते हैं कि एथलीट आम लोगों से काफी अलग होते हैं। वह नियमित रूप से शारीरिक एक्टिविटी करने के साथ एक हेल्दी डाइट को फॉलो करते हैं। इसके बावजूद हम मेंटल हेल्थ को बढ़ावा देने और मानसिक तनाव को अलग नजरिए से देख सकते हैं। अध्ययनों से बात सामने आई है कि यदि एक सामान्य व्यक्ति भी तनाव को सकारात्मक रूप में महसूस करें, तो इससे उसके मानसिक स्वास्थ्य में इजाफा हो सकता है।
उदाहरण के लिए आप किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे हैं या किसी से बिजनेस डील के लिए मीटिंग करने जा रहे हैं। इस समय आप जो तनाव महसूस कर रहे हैं, उसे स्वीकार करें। जैसे कई लोगों की दिल की धड़कन बढ़ जाती है। इससे आपको अपने काम को ठीक तरीके से करने में मदद मिलेगी। आपको ऐसा करना पहली बार मुश्किल लग सकता है, लेकिन बाद में आप इसके अभ्यस्त हो जाएंगे।
रिश्तों का तनाव एक अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। पार्टनर या पति-पत्नी में छोटी-मोटी बात पर तकरार होना आम बात है। पर जब ये तकरार हर रोज होने लगे तो यह तनाव का कारण बन सकती है। जिसका असर आप दोनों के रिश्ते के साथ परिवार के अन्य सदस्यों पर भी आ सकता है। इस तरह के तनाव को किस तरह लेना चाहिए, इसके लिए हमने मनोवैज्ञानिक डॉ. अदिति कुंटे से बात की।
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कस्टमाइज़ करेंडॉ. अदिति कहती हैं, “रिश्तों में नजरिया और संवाद दोनों ही बहुत महत्वपूर्ण हैं। किसी भी रिश्ते से जरूरत से ज्यादा अपेक्षा और संवाद की कमी तनाव और संघर्ष का कारण बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि अपनी अपेक्षाओं का बोझ दूसरे पर न डालें और विवाद को संवाद से सुलझाने की कोशिश करें।
रिश्ते में ताजगी लाने के लिए सकारात्मक रवैया अपनाना बेहद जरुरी है। यदि आप अपने रिश्ते के बारे पॉजिटिव सोचेंगे तो इससे रिश्तें फिर से पहले जैसे होने की संभावना अधिक है। इसके अलावा आप मैरिज काउंसलिंग और रिलेशनशिप काउंसलिंग से मदद ले सकते हैं।”
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