मोटे लोग जब भी आसपास से गुजरते हैं, तो लोग उन्हें देखकर अजीब इशारे करना शुरू कर देते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, लोग ये जानना चाहते हैं कि वे अपने डेली रुटीन और निजी जीवन से जुड़े काम कैसे निपटाते हैं। ये सभी चीजें मिलकर किसी भी मोटापे के शिकार व्यक्ति के लिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या खड़ी कर सकते हैं। जिसे हम वेट स्टिग्मा (Weight Stigma) से जोड़कर देखते हैं। वेट स्टिग्मा उनकी सोशल लाइफ को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे वे लो सेल्फ एस्टीम के भी शिकार होने लगते हैं।
जब ओबेसिटी के कारण बॉडी शेप बिगड़ जाता है, तो इससे न सिर्फ शारीरिक समस्याएं बढ़ जाती हैं, बल्कि सोसायटी में इस शेप के साथ फिट होना भी मुश्किल हो जाता है। इसके कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करना, शादी-समारोहों में आना-जाना भी तकलीफदेह लगने लगता है। क्योंकि जब आप असामान्य मोटापे की शिकार होती हैं, तो सभी लोगों की नजरें आपकी ओर ही लगी रहती हैं। आपकी हर एक्टिविटी को वे लगातार देखते रहते हैं। दरअसल, वे जान लेना चाहते हैं कि मोटे थुलथुले शरीर के साथ आप किस तरह अपने हर काम को अंजाम देती हैं।
यह आपकी मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है। वेट स्टिगमा के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने बात की नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी से।
डॉ सैयद जफर सुल्तान रिजवी कहते हैं, वेट स्टिग्मा का भी शरीर पर उतना ही बुरा असर पड़ता है, जितना कि मोटापे का शरीर पर पड़ता है। सोशल रिजेक्शन और डीवैल्यूएशन के कारण मोटा व्यक्ति वेट स्टिग्मा को झेलता है। व्यक्ति के शेप और वजन को लेकर समाज के अपने जो मानदंड हैं, यदि उसमें व्यक्ति फिट नहीं बैठता है, तो वह वेट स्टिग्मा का शिकार हो जाता है।
सीधे शब्दों में कहें तो, किसी व्यक्ति के शेप और वेट के आधार पर समाज में जो पूर्वाग्रह बने होते हैं, उसे वेट स्टिग्मा कहते हैं।
व्यक्ति के कोर्टिसोल के स्तर में वृद्धि के कारण मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। इससे व्यक्ति का वजन बढ़ जाता है और वह असामान्य रूप से मोटा हो जाता है। वेट स्टिगमा व्यक्ति की मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है।
जब व्यक्ति को बार-बार उसके मोटापे की ओर इंगित किया जाने लगता है, तो वेट स्टिग्मा के कारण ओबीज व्यक्ति में आलस्य, इच्छाशक्ति की कमी, मॉरल कैरेक्टर की कमी, पूअर हाइजीन, लो आईक्यू और अनएट्रैक्टिवनेस की फीलिंग भी हो सकती है।
वेट स्टिग्मा तब व्यक्ति पर अधिक हावी हो जाता है जब आंख घुमाकर उनके वजन और बॉडी शेप को लेकर इशारे किए जाते हैं। वे दूसरे लोगों की इन सूक्ष्म व्यवहारों का अवलोकन कर लेते हैं। परिणामस्वरूप वे तनाव और डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
बहुत अधिक मोटे लोगों को देखकर अक्सर समाज में बुरी टिप्पणियां की जाती हैं। उन्हें चिढ़ाया जाता है। उन्हें शारीरिक हिंसा का निशाना भी बनाया जाता है। इससे व्यक्ति डिप्रेशन में आ जाता है। वह भी गलत टिप्पणियां करने, चिढ़ाने और हिंसा में संलग्न हो सकता है।
एयरक्राफ्ट सीटें और मूवी थियेटर सीटें मोटे लोगों के अनुकूल नहीं बनी होती हैं। यहां तक कि मोटे व्यक्तियों के लिए अस्पतालों में कुर्सियों, गाउन या जांच की मेज भी उनके अनुकूल नहीं बनी होती हैं। इसकी वजह से भी उन्हें परेशान होना पड़ता है।
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