यदि आपकी मां मन से बीमार(Mother’s Mental health) हैं, यानी किसी काम को करने का उन्हें ऑब्सेशन (Obsession) हो गया है या किसी पर वे शक करने लगी हैं, तो ये संकेत है कि उनके मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। अगर इसमें लापरवाही की जाए तो ये भविष्य में डिप्रेशन (Depression), डिमेंशिया (Dementia) जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ा सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है कि आप उनके साथ समय बिताएं और विशेषज्ञ से परामर्श लें।
पोस्ट कोविड लोगों में साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम बढ़ी हैं। भूल जाना, किसी काम को बार-बार करना, बिना बात के किसी पर शक करना आदि समस्याएं इनके शुरुआती लक्षण हैं। यदि आपकी मां तन से स्वस्थ मालूम होती हैं, लेकिन उनमें इस तरह की समस्याएं दिख रही हैं, तो इसका मतलब है कि वे मन से बीमार हैं।
आमतौर पर हम इन बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। संभव है कि ये लक्षण आगे चलकर किसी गंभीर मनोरोग में बदल जाएं। ऐसी स्थिति में यह आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप मां की समस्याओं पर अभी से ध्यान देना शुरू कर दें। उनकी समस्या गंभीर है, तो तुरंत किसी साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें। ऐसा करने पर उनके कुछ सेशंस में ही वे स्वस्थ अनुभव करने लगेंगी। इस विषय पर हमने बात की सर गंगाराम हॉस्पिटल में कंसल्टेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आरती आनंद से।
जब परिवार के किसी सदस्य का साइकोलॉजिस्ट के यहां इलाज चलता है, तो लोगों में अकसर यह गलतफहमी पैदा हो जाती है कि साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम पागलपन की पहली सीढ़ी है। इसके इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवाइयां नशे के समान होती हैं। दवाओं के कारण लोग मोटे हो जाते हैं। उन्हें ज्यादा नींद आती है। ये सभी बातें मिथ्स हैं। ज्यादातर साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम मरीज से लगातार बातचीत करने और नाम मात्र की दवाइयों से ठीक हो जाती हैं। यदि किसी समस्या के लिए दवाई दी जाती है और इसकी वजह से बॉडी वेेट गेन करता है, तो दिन भर ढेर सारी एक्टिविटीज करवाएं। नियमित एक्सरसाइज और बैलेंस डाइट लेने पर भी वेट लॉस होता है।
डॉ. आरती आनंद ने बताया कि यदि आपकी मां को किसी भी तरह की सामान्य बात पर चिंता होने लगती है, तो यह जनरलाइज्ड एंग्जाइटी का लक्षण है। देश में महंगाई की समस्या, भ्रष्टाचार का बढ़ना, बारिश के कारण कपड़े न सूखने की समस्या से वे परेशान हो सकती हैं। इन विषयों पर वे लगातार चिंता करती पाई जा सकती हैं।
यदि वे किसी खास परिस्थिति जैसे ऊंचाई वाली जगहों पर उन्हें नीचे गिरने का डर हो जाए या फिर किसी खास पशु जैसे कि कुत्ते या किसी खास सामान जैसे कि टैडी बियर से उन्हें डर लगने लगा हो, तो वे स्पेसिफिक एंग्जाइटी की शिकार हो सकती हैं। कुछ लोग इसके कारण भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे कि शादी, पार्टी या किसी समारोह में जाने से भी बचने लगते हैं।
यदि इस तरह की कोई समस्या आपकी मां में दिखती है, तो तुरंत उन्हें क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं। कुछ दवाओं और काउंसलिंग से उनकी यह समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो सकती है।
कुछ लोगों में शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस होती है। पर यदि यह समस्या लंबे समय से हो रही हो, तो दिक्कत बढ़ सकती है। यदि आपकी मां लोगों के नाम, पते और चेहरे बार-बार भूलने लगी हैं या घर का कोई जरूरी सामान रखकर वे दोबारा उन्हें ढूंढ न पाएं, तो आगे चलकर उनकी परेशानी बढ़ सकती है। उम्र बढ़ने के साथ मस्तिष्क की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। इससे डिमेंशिया होने का खतरा होता है।
ब्रेन डिजेनरेशन की प्रक्रिया शुरू होने और सही इलाज न होने पर उन्हें अल्जाइमर भी हो सकता है। यदि आपकी मां लंबे समय से इन समस्याओं से जूझ रही हैं, तो आपको उन्हें न्यूरोलॉजिस्ट के पास भी ले जाना चाहिए।
इससे ग्रस्त व्यक्ति किसी भी काम को बार-बार करने लगता है। यदि आपकी मां बार-बार हाथ धोने लगी हैं या टॉयलेट यूज करने पर बार-बार नहाने लगी हैं या फिर बेडशीट्स को बार-बार साफ करने व धोने लगी हैं, तो आप सतर्क हो जाएं। ये ओसीडी (OCD) यानी आब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर के लक्षण हैं। आप उन्हें किसी अच्छे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं।
इनके अलावा, वे आपके पिता या परिवार के किसी सदस्य पर शक करने लगी हैं या फिर देर तक कमरे बंद रखने लगी हैं या फिर अकेले बैठना पसंद करने लगी हैं और उदास रहने लगी हैं, तो संभव है कि वे डिप्रेशन की शिकार हो गई हैं। डिप्रेशन आगे चलकर सुसाइड करने के लिए भी उकसाता है। उन्हें तुरंत किसी अच्छे साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाएं। अपनी मां के मन को स्वस्थ करने का यह सही समय है।
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