हम सभी किसी न किसी स्तर पर परीक्षार्थी होते हैं। जीवन का हर पड़ाव, हर नया दिन एक नई परीक्षा है। परीक्षा, प्रतियोगिता या किसी भी स्तर पर असफल होना उतना ही स्वभाविक है, जितना सफल होना। पर क्या आपने असफलता को निराशा, अवसाद और दुख से जोड़ लिया है? तो आप उन सफलताओं को नहीं देख पाएंगी, जिसके बीज किसी भी असफलता में छुपे होते हैं। जी हां, कई बार असफल होना एक बड़ी सफलता का आधार बनता है। जानना चाहेंगी कैसे, तो से पढ़ती रहिए।
राजनीति और दर्शन में चाणक्य को बहुत बड़ा ज्ञाता माना जाता है। चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को कभी भी असफलताओं से घबराना नहीं चाहिए। जीवन में कई बार ऐसे अवसर आते हैं, जब कठोर परिश्रम के बाद भी हमें मन मुताबिक़ परिणाम प्राप्त नहीं होता।
चाणक्य कहते हैं कि ”जो परिणामों का शोक मानते हैं वे कायर होते हैं और मनुष्य वही है जो गिरने के बाद भी खड़े होने का हौसला न छोड़े।”
2012 की लैंसेट रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15 से 29 वर्ष की आयु के युवाओं की आत्महत्या का दर दुनिया में सबसे अधिक है। इसका मतलब है कि भारत में हर घंटे एक छात्र आत्महत्या करता है!
अगर आप भी जीवन में हार का सामना कर रहे हैं, तो उससे डरने या घबराने की बजाय आगे की सोचें। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं – जब छोटी असफलताओं के बावजूद बड़ी सफलता ने उनका दामन थामा। ऐसे भी लोग हैं, जो शुरुआत में पढ़ाई में कमज़ोर थे मगर आगे जाकर उन्होंने एक अच्छा पद प्राप्त किया, क्योंकि उन्होंने निरंतर प्रयास करना जारी रखा।
कभी-कभी हार, हमें एक बेहतर इंसान बनने का मौका देती है। अपनी असफलता का दुख मनाने या अवसाद में जाने की बजाए हमें उसका विश्लेषण करना चाहिए। भले ही आप किसी परीक्षा में फेल हो गये हों, मगर उसे दिल से न लगाएं। बल्कि, आपसे क्या चूक हुई इसका विश्लेषण करें। खुद को एक नई शुरुआत दें और दोबारा उन्ही गलतियों को न दोहराएं।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने मन को न हारने दें! अगर आपको जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफलता मिलती है तो उससे घबराएं नहीं बल्कि उसे एक चुनौती की तरह स्वीकार करें। आपको यह संकल्प लेना चाहिए कि अपनी असफलता को सफलता में बदलने के बाद ही हम चैन से बैठेंगे।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करें! क्या कमी रह गई, देखें और उसे सुधारें!
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