आपका दोस्तों से झगड़ा हो गया, बॉस ने डांट दिया या बहुत ज्यादा काम के कारण आप थक गए। किसी भी कामकाजी व्यक्ति को इन स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। पर कुछ लोग इस सब की फ्रस्टेशन उस व्यक्ति पर निकालते हैं, जो उनसे प्यार करता है या उनकी परवाह करता है। मनोविज्ञान की भाषा में इसी को इमोशनल डंपिंग कहा जाता है। एक थकाऊ दिन के बाद घर लौटने पर हम सभी को सौम्य और स्नेहपूर्ण व्यवहार की आवश्यकता होती है। पर इसकी बजाए अगर आपका पार्टनर आप पर चिल्लाने, गुस्सा दिखाने या कमियां निकालने को अपना व्यवहार बनाता जा रहा है, तो ये सभी इमोशनल डंपिंग के संकेत हैं। इन्हें पहचानना (Signs of emotional dumping) और इसके बारे में उन्हें सचेत (How to avoid emotional dumping) करना जरूरी है।
मान लिजिए आप स्कूल, ऑफिस या काम से एक कठिन दिन बिताने के बाद घर आते है और आपके मन में बहुत सारी भावनाएं है जिसे आप व्यक्त करना चाहते है। आपके मन में भावनाओं का सैलब है। आप ये सारी भावनाओं को किसी को बताना चाहते है। उसी वक्त आर देखते है कि आपका साथी सोफे पर बैठा है और सब सुनने के लिए तैयार है। तो, आप सारी बातें उगल देते हैं, आपके दबी हुई शिकायत, कुंठा, भय और चिंताओं को आप एक साथ बाहर निकाल देते हैं – यह रिश्तों में इमोशनल डंपिंग है।
रिश्तों में इमोशनल डंपिंग तब होती है जब आप अपना भावनात्मक बोझ किसी और पर डाल देते हैं, अक्सर उनकी भावनाओं या इसे संभालने की क्षमता पर ज्यादा विचार किए बिना। यह उस तरह है कि आपके भावनाओं के कचरे से भरा ट्रक किसी के दरवारे के आगे डाल दिया उनकी अनुमति का बगैर।
यह किसी भी रिश्ते में तनाव और दूरियां पैदा कर सकती है। इससे दूसरे व्यक्ति को ऐसा महसूस हो सकता है कि वे लगातार एक इमोशनल डंपिंग ग्राउंड की तरह आपके लिए काम कर रहा है। वह हमेशा सुनता हैं लेकिन कभी भी खुद को व्यक्त करने का मौका नहीं मिलता है। इससे मजबूत संबंधों में भी तनाव आ सकता है।
इमोशनल डंपिंग के बारे में हमें ज्यादा जानकारी दी सीनियर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष श्रीवास्तव नें, आशुतोष श्रीवास्तव ने इमोशनल डंपिंग के कुछ संकेतों के बारे में जानकारी दी है।
आप किसी के साथ बातचीत कर रहे हैं, और अचानक, वे आप पर एकदम से आपनी भावनाओं का पहाड़ फोड़ दे। यह भावनाओं की सुनामी की तरह है जो आपको थका हुआ महसूस करा सकता है। यदि ऐसा बार-बार होता है, तो यह एक स्थिति में फंसने जैसा है, जिससे निकलने का कोई रास्ता नहीं है। लगातार तनाव और घबराहट आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकती है। जब भी आप उन्हें अपने पास आते देखेंगे तो आप तनावग्रस्त महसूस करेंगे।
यदि कोई भावनात्मक रूप से आप पर दबाव बना रहा है, तो वे आपके समय का सम्मान नहीं करते हैं या यह नहीं मानते हैं कि आपके पास करने के लिए अन्य काम भी हैं। वे उम्मीद करते हैं कि आप चौबीसों घंटे उनके पास रहें और जब भी उन्हें रोने के लिए कंधे की जरूरत होगी तो वो आपके पास आएंगे।
जब किसी को अपना गुस्सा जाहिर करने की जरूरत होती है, तो वे आम तौर पर पूछेंगे कि क्या बात करना ठीक है और यह सुनिश्चित करेंगे कि आपके पास उनकी बाते सुनने के लिए भावनात्मक ऊर्जा है। दूसरी ओर, इमोशनल डंपिंग में बिना किसी चेतावनी के आप पर एक बोझ डाला जाता है। अगर आपको अपना कुछ काम है या समस्या है तो भी वो आपसे उनकी ही समस्या को सुनने कहेगा।
इमोशनल डंपिंग की विशेषता आपकी व्यक्तिगत सीमाओं का सम्मान नहीं करना है। भले ही आप बात करते समय स्पष्ट रूप से तनावग्रस्त या असहज दिखें, डंपिंग करने वाला संकेतों को अनदेखा कर देगा और आपको अपनी बातों के बोझ से दबाता रहेगा। उदाहरण के लिए, वे अपने निजी जीवन को विस्तार से आपके साथ साझा कर सकते हैं या संवेदनशील जानकारी साझा कर सकते हैं जिसे आप सुनना नहीं चाहते हैं।