लंबे वक्त तक किसी कार्य के लिए कोशिश करते रहना और फिर अचानक से उसका पूरा न होना पाना मन में कहीं न कहीं झुंझलाहट का कारण बनने लगता है। मगर जिस प्रकार व्यक्ति अपनी जीत को सेलिब्रेट करता है, ठीक उसी प्रकार से रिजेक्शन यानि फेलियर को भी स्वीकारना आवश्यक है। जीवन में कुछ नया सीखने और आगे बढ़ने के लिए हर व्यक्ति को जीवन में हार का सामना करना पड़ता है। मगर रिजेक्शन के बाद न केवल लोग पूरी तरह से बिखर जाते हैं बल्कि खुद को भी नुकसान पहुंचाने का प्रयास करने लगते हैं।
इस बात को स्वीकारना होगा कि रिजेक्शन यानि हार चाहे छोटी हो या बड़ी उसका दर्द एक जैसा ही रहता है। इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ युवराज पंत बताते हैं कि चाहे रिश्ते हों, कामकाम हो या जीवन में होने वाली छोटी बड़ी घटनाएं व्यक्ति को किसी न किसी रूप में रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग जहां उसे स्वीकार आगे बढ़ जाते हैं, तो कुछ लोग हार का सामना नहीं कर पाते हैं। हार का सामना करने के लिए सबसे पहले रिजेक्शन के कारणों को खोजना आवश्यक है और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना भी ज़रूरी है।
इस सिचुएशन जब कोई व्यक्ति दोस्ती करने से इंकार कर दें या किसी पार्टी या गेट टुगेदर में इनवाइट न करें। उसे सोशल रिजेक्शन कहा जाता है। आमतौर पर ऑटिस्टिक लोगों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। जहां वे इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि वो किस प्रकार से अन्य लोगों से दूर होते जा रहे हैं।
ऐसी स्थिति में व्यक्ति को मन मुताबिक काम न मिल पाना या बार बार प्रोमोशन डिले होना प्रोफेशनल रिजेक्शन कहलाता है। इसके अलावा सभी आइडियाज़ और प्रेजेंटेशन का रिजेक्ट होना गुस्सा और चिंता बढ़ा देता है। कई बार युवाओं को अपना मनपंसद कालेज न मिल पाना भी उनकी एबीलिटीज़ और इंटेलिजेंस के लिए सवालिया निशान लगा देता है, जिसे एक्सेप्ट करना उनके लिए मुश्किल हो जाता है।
इसमें व्यक्ति अगर किसी अनजान व्यक्ति के संपर्क में आता है और उसे रिजेक्शन का सामना करना पड़ता है, तो वो पीढ़ा बहुत बड़ी नहीं होती है। मगर वही रिजेक्शन जब किसी करीबी दोस्त या लॉन्ग टर्म पार्टनर से मिलता है, तो उससे व्यक्ति डिप्रेशन और तनाव का शिकार होने लगता है।
व्यक्ति को जीवन में कभी ही और कहीं भी रिजेक्शन से होकर गुज़रना पड़ सकता है। फिर चाहे वो पार्टनर से मिला हुआ रिजेक्शन हो या ऑफिस में किसी प्रोजेक्ट पर। जो व्यक्ति जीवन में जितने लंबे वक्त से साथ होता है। उससे मिला रिजेक्शन उतना ही टची और भुलाने में मुश्किल लगने लगता है। ऐसे में सबसे पहले रिजेक्ट होने के कारणों की तलाश करें, ताकि खुद की कमियों को सुधारा जा सके।
हर व्यक्ति में कोई न कोई कमी मिल ही जाती है। काम को समय पर पूरा न कर पाना, उम्मीदों पर खरा न उतरना या झूठ बोलना समेत कई कारणों से रिजेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में रिजेक्शन के पीछे मौजूद अपनी कमी को स्वीकारने का प्रयास करें और फिर खुद में बदलाव लाएं। कमी को सुधारकर व्यक्ति न केवल रिश्तों को मज़बूत बना सकता है बल्कि अपने कार्य के स्तर को भी इंप्रूव करने में मदद मिल जाती है।
रिजेक्शन के दौरान व्यक्ति के मन में कई प्रकार के भाव उठने लगते हैं। कई बार व्यक्ति अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पाता और कई स्वीकार करने के बाद पूरी तरह से टूटकर बिखरने लगता है। दोनों ही सिचुएशन में व्यक्ति कामयाबी की ओर बढ़ने में नाकामयाब साबित होता है। ऐसे में अपनी भावनाओं को नियंत्रित करके आगे बढ़ने का प्रयास करें और डिप्रेशन, एंग्जरइटी व तनाव को छोड़कर नए सिरे से अपनी यात्रा आरंभ करें।
अगर कोई व्यक्ति किसी भी कारणवश दूसरे व्यक्ति को रिजेक्ट कर देता है, तो इसका अर्थ है कि वो व्यक्ति खुद को इंव्रूव कर सकता है। अपनी क्षमताओं पर आशंका जताने की जगह आगे बढ़े और नियमित रूप से रूटीन वर्क को करते हैं और आशावादी बने रहें। अपने आत्मविश्वास को खोकर व्यक्ति जीवन में कुछ भी नहीं पा सकता है। निरंतर कोशिश करते रहने से व्यक्ति जीवन में बहुत कुछ सीख पाता है।
ये भी पढ़ें- फिजिकल ही नहीं, इमोशनल भी हो सकता है इंटीमेसी फियर, जानिए इसके कारण और इससे उबरने के उपाय
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करें