हर व्यक्ति जीवन में कुछ ऐसे अनुभवों से होकर गुज़रता है, जिसमें वो खुद को भावनात्मक रूप में कमज़ोर और मज़बूर मानने लगता है। इसका असर व्यक्ति की मेंटल हेल्थ पर दिखने लगता है। ऐसी स्थिति में छोटी छोटी बातें भी व्यक्ति को चिंतित और इनसिक्योर बना देती है, जिसके चलते व्यक्ति इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर पाता है। कभी परिस्थितियों को तो कभी खुद को मन ही मन कोसने लगता है। गुस्सा, असफलताएं, ब्रेकअप या अनहोनी घटना इमोशनल हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके चलते व्यक्ति तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो जाता है और मेंटली कमज़ोर महसूस करता है। जानते हैं खुद को इमोशनली स्ट्रांग बनाने के उपाय (ways to emotionally stronger)।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जीवन में कई बार फेलियर, जल्दबाज़ी में लिए गए गलत निर्णय और रिश्तों में बढ़ने वाली तकरार किसी व्यक्ति को इमोशनली वीक बना देती है। ऐसे में व्यक्ति का बार बार रोना, खुद पर विश्वास न कर पाना और फैसले लेने में असमर्थता जताना भावनात्मक रूप से कमज़ोर व्यक्ति के कुछ लक्षण है।
ऐसे में खुद को इमोशनली स्ट्रांग बनाने और आत्मविश्वास बनाए रखने के लिए भावनात्मक रूप से मज़बूत होना ज़रूरी है। इसके लिए खुद पर विश्वास करने के अलावा अपनी स्ट्रेंथ को जाना भी आवश्यक है।
बार बार किसी कार्य में असफलता की प्राप्ति
मेंटल सपोर्ट की प्राप्ति न हो पाना
ब्रेकअप से होकर गुज़रना और खुद को संभाल न पाना
किसी भी कारण से वर्कप्लेस या घर पर मेंटल टॉचर का सामना करना
किसी लंबी बीमारी या अनहोनी घटना के कारण जीवन में नकारात्मकता का बढ़ जाना
ऐसा ज़रूरी नहीं है कि जीवन के हर लक्ष्य में सफलता की प्राप्ति हो। कई कारणों से टारगेट्स अचीव न हो पाने या कार्य की असफलता से व्यक्ति मायूस होने लगता है। खुद को भावनात्मक रूप से मज़बूत बनाए रखने के लिए फेलियर से सीखें और अपनी कमियों पर फोकस करके उसे निखारें और फिर आगे बढ़ें। इससे मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में मदद मिलती है और व्यक्ति जीवन में सकारात्मक होने लगता है।
डॉ युवराज पंत के अनुसार बिना सोचे समझे कार्य करने से व्यक्ति गलत राह पर बढ़ने लगता है, जहां उसे अपनी मंजिल नहीं मिल पाती है। ऐसे में किसी भी कार्य को करने या कोई फैसला लेने में जल्दबाज़ी से बचें। किसी भी निर्णय को लेने से पहले उसके अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं को जांच लें और उसके बाद ही आगे बढ़ें। इससे व्यक्ति अपनी भावनाओं को नियंत्रित करके खुद को दुविधाओं से बाहर निकाल पाने में सक्षम होता है और इमोशनली मज़बूत बनता है।
किसी के बताए राह पर चलकर जोखिम लेने से जीवन में कई समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है। ऐसे में परिणाम को जानकर ही किसी भी कार्य के लिए आगे बढ़ना चाहिए। किसी भी कार्य को करने से पहने अपनी भावनाओं को एकत्रित करें और उस पर चिंतन के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचे। इससे आप जीवन में आने वाली समस्याओं को अपनी सूझ बूझ से निपटाने में सफल साबित होंगे।
अपनी शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक क्षमता के अनुरूप ही किसी कार्य को करने के लिए आगे बढ़े। वे लोग जो भावनात्मक रूप से कमज़ोर होते हैं, उनके लिए हर छोटी परेशानी बड़ी समस्या में बदल जाती है। ऐसे में अपनी कैपेबीलिटी को समझना आवश्यक है, जिसके चलते आप परिस्थितियों को बेहद ढ़ग से हैंडल कर पाएं।
अगर कोई गलती जीवन में हो चुकी है, तो उस पर हल पल आंसू बहाने की जगह उससे कुछ सीखने का प्रयास करें। साथ ही अपनी गलतियों को जांचे और उससे सीखकर आगे बढ़ने का प्रयास करें। जीवन में हर कदम पर मिलने वाला नया अनुभव व्यक्ति को भावनात्मक रूप से मज़बूती प्रदान करता चला जाता है। इससे व्यक्ति के अंदर न केवल आत्मविश्वास की वृद्धि होती है बल्कि वो सेल्फलव की वैल्यू भी समझने लगता है।
इमोश्ंस को नियंत्रित करने के लिए खुद को समझना आवश्यक है और उसके लिए अपने साथ वक्त बिताना ज़रूरी है। जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव एक व्यक्ति को कई अनुभव प्रदान करते हैं। हर स्थिति में खुद को पॉजिटिव बनाए रखने और आगे बढ़ने के लिए मी टाइम बेहद ज़रूरी है।
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