रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई अनुभवों से होकर गुज़रते हैं। जहां कुछ अच्छे होते हैं, तो कुछ बुरे। बुरे अनुभव कई बार हमारे जहन पर अपनी ऐसी छाप छोड़ जाते हैं, तो सालों तक हमारे ख्यालों में कैद रहते हैं। मगर वहीं एकपीरिएंस हमें जीवन में बहुत कुछ सिखाने में भी मददगार साबित होते हैं। कई लोग इस प्रकार की स्थिति से गुजरने के बाद जहां पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं। तो कुछ पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ को चुनते हैं। जो जीवन में आने वाली चुनौतियों में हमारे लिए मददगार साबित होता है। जानते हैं लाइफ में होने वाली पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ (post traumatic growth) के फायदे।
राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि जब किसी व्यक्ति के जीवन में कोई साइकॉलोजिकल ट्रॉमा (psychological trauma) होता है, जिससे वो मानसिक तौर पर हार जाता है। उस बड़ी घटना या ट्रॉमा से बाहर आने की सिचुएशन को पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ (traumatic growth) कहा जाता है। पोस्ट ट्रॉमेटिक ग्रोथ के दौरान व्यक्ति के आचार और व्यवहार से लेकर उनके विचारों में भी परिवर्तन महसूस होने लगता है।
अचानक से जब कोई करीबी हमारे जीवन से विदा ले लेता है, तो उससे बिछड़ने का दर्द व्यक्ति को अंदर से खोखला बना देता है। किसी व्यक्ति से आप मेंटली अटैच होते है और हर वक्त उसकी कमी आपको खलने लगती है। जो व्यक्ति को तनाव में डाल देता है।
वे लोग जो किसी गंभीर बीमारी से गुज़र चुके है या गुज़र रहे हैं। वो स्थिति बेहद तनाव पूर्ण होती है। ऐसे में मनोबल (confidence) का वापिस लौटना न केवल मुश्किल होता है बल्कि कई बार नामुमकिन सा लगने लगता है। ऐसे में व्यक्ति एक अजीब से उलझन में उलझा रहता है।
अक्सर दो प्यार करने वाले जब किन्हीं कारणों से अलग हो जाते हैं। तो उसका असर दो लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। जहां कुछ लोग आसानी से मूव ऑन कर लेते हैं। तो कुछ लोग उस सदमे या ट्रॉमा से बाहर निकलने में वक्त लेते है।
बहुत बड़ा फाइनेंशियल लॉस (financial loss) आपके अंदर जीने की उम्मीद को खत्म कर देता है। आप कर्जदार बन जाते हैं, जिससे जीवन जीने में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। इस सिचएुशन में कुछ लोग तनाव (stress) के शिकार हो जाते हैं और जीवन से हार जाते हैं।
जब आप किसी बड़े संकट से बाहर आ जाते हैं। तो किसी भी सिचुएशन को हैंडल करने का आपका नज़रिया पूरी तरह से बदल जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अब लाइफ में गंभीर हो जाता है। वो किसी भी डिसीज़न को मेच्योरिटी से लेने लगता है। उसके अंदर आसपास की चीजों को लेकर समझ बढ़ने लगती है।
अब लोग इस बात को बेहतर तरीके से जान पाते हैं कि जीवन में उनके लिए क्या सही हैं। वे हर प्रकार की उलझनों से बाहर आकर बेहद सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ने लगते है और अच्छा बुरा जान पाते हैं। साथ ही दूसरों को दुख पहुंचाने में विश्वास नहीं रखते हैं।
वे अब रिर्सोसिज़ का मिसयूज करने की जगह उनकी वैल्यू समझ जाते हैं। वे जीवन की अहमियत को पहचानकर आगे बढ़ने लगते हैं। चीजों को अहमियत देते हैं। कोई बड़ा हादसा जीवन में होने से आपके अंदर इस प्रकार के बदलाव आ जाते हैं कि अब आप दूसरों से ईर्ष्या और गुस्सा करने से भी परहेज करते हैं।
अब तक खुद को सुपीरियर समझने वाले ये लोग दूसरों के प्रति उदार या हंबल हो जाते हैं। वे दूसरे लोगों को अपने से ज्यादा अहमियत देते हैं। सामाजिक रिश्तों को मज़बूत करने में विश्वास रखते हैं।
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