एक पौराणिक कहानी है। पौराणिक पात्र नचिकेता की आयु कम थी। लेकिन वह लंबे समय तक जीने में सफल हुए, क्योंकि जरूरत पड़ने पर वे स्वयं को सकारात्मक भावों से लगातार भरते रहे और दूसरे लोगों से भी आशीर्वाद के रूप में सकारात्मक भाव ही पाए। मनोविज्ञान भी कुछ ऐसा ही कहता है। बेहतर स्वास्थ्य, लंबी आयु और वेलनेस के लिए पॉजिटिव इमोशंस बेहद महत्वपूर्ण हैं। अब साइकोलॉजिस्ट इसे थेरेपी के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो गंभीर बीमारियों के दुष्प्रभावों से उबरने में मदद कर रही है। आइए जानते हैं इस थेरेपी (Positive emotions therapy) के बारे में सब कुछ।
वर्ष 2005 में अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोशिएसन ने एक स्टडी में पाया कि ऐसे बुजुर्ग, जो सकारात्मक सोच रखते थे और पॉजिटिव इमोशंस के साथ दूसरों से बर्ताव करते थे, वे न सिर्फ फिट पाए गए, बल्कि उन्होंने लंबी आयु भी पाई। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का भी हंसते हुए मुकाबला किया।
बीमारियों के ठीक होने और वेलनेस पर पॉजिटिव इमोशंस के प्रभाव को जानने के लिए हमने नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के साइकोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी से बात की।
डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी ने बताया कि हेल्थ साइकोलॉजी, मेडिकल साइकोलॉजी और बिहेवियर मेडिसिन सभी मिलते-जुलते शब्द हैं। हेल्थ साइकोलॉजी शारीरिक स्वास्थ्य, साइकोलॉजिकल बिहेविर और समाज के साथ व्यक्ति के व्यवहार से जुड़ा हुआ है।
हालांकि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कई कारणों से होती हैं। किसी अंग के सही तरह से काम न करने के साथ-साथ जेनेटिक वजहें भी बीमारी का कारण बनती हैं। हेल्थ साइकोलॉजी बढ़िया हेल्थ के साथ-साथ बीमारी के कारणों पर भी काम करती है। हेल्थ साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि मरीज अपनी बीमारी के प्रति कैसी प्रतिक्रिया करता है, उसी के हिसाब से वह रिकवर भी करता है। यदि वह सोचता है कि वह ठीक नहीं हो पाएगा, तो उसे ठीक होने में ज्यादा समय लग जाते हैं।
डॉ. सैयद जफर सुल्तान रिजवी के अनुसार, हेल्थ साइकोलॉजिस्ट मरीज को बीमारी और बीमारी से ठीक होने के बारे में बताते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि विल पावर और पॉजिटिव इमोशंस के बल पर गंभीर बीमारी से भी आपको निजात मिल सकती है। इसके अंतर्गत कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनमें पॉजिटिव इमोशंस अच्छी तरह काम करते हैं।
यदि कोई व्यक्ति स्ट्रेस के कारण हमेशा रेस्टलेस फील करता है, तो साइकोलॉजिस्ट पॉजिटिव बातों के कुछ सेशंस के माध्यम से उन्हें रिलैक्स करते हैं। पॉजिटिव बातें उनके लिए स्ट्रेस बस्टर का काम करती हैं।
यदि आप स्वयं से यह बात कहेंगी कि मैं वेट लॉस करने में सक्षम हूं या मेरा वजन कम होकर रहेगा, तो ऐसा जरूर हो पाएगा। निगेटिव विचारों के साथ शुरू किए गए काम की सफलता हमेशा संदिग्ध होती है।
जैसे ही आप स्वयं को इन विचारों से लैस करती हैं कि मैं स्मोकिंग छोड़ सकती हूं, वैसे ही आप उसके अनुरूप काम करना शुरू कर देती हैं। असंभव जैसा लगने वाला कार्य भी संभव लगने लगता है।
हम लोगों ने यह खबर कभी न कभी जरूर पढ़ी होगी कि बलात्कार औशर दूसरे यौनाचार में लिप्त लोगों को पॉजिटिव इमोशंस थेरेपी दी जाती है। इसके अंतर्गत उन्हें क्रिएटिव वर्क से जोड़ना भी होता है।
यदि मेंटल या बॉडी हीलिंग की बात होती है, तो सबसे पहले व्यक्ति को अच्छी-अच्छी बातें सुनाई जाती हैं। अच्छे संगीत, अच्छे नृत्य भी व्यक्ति में पॉजिटिव वाइब्स भरते हैं और वह जल्दी रिकवर होता है।
हेल्थ साइकोलॉजिस्ट अपने साइकोलॉजिकल अप्रोच की मदद से फिजिशियन, नर्स, न्यूट्रीशनिस्ट और दूसरे हेल्थ प्रोफेशनल के साथ मिलकर भी स्वास्थ्य सुधार के लिए बेहतर कार्य कर सकते हैं।
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