“क्या बच्चों को भी हाई बीपी होता है?” एक असहाय मां ने हाल के एक अध्ययन को पढ़ने के बाद पूछा। शारीरिक एक्टिविटी कम होने, चीनी और नमक के अत्यधिक सेवन और मोटापा के कारण दस में से नौ बच्चों और किशोरों में हाई ब्लड प्रेशर हो रहा है। चूंकि बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, इसलिए यह लंबे समय तक बिना निदान के रह जाते हैं। इसके कारण बच्चों में किडनी की समस्या, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और यहां तक कि हार्ट फेलियर जैसी घातक बीमारियां हो रही हैं। आइए जानते हैं परफॉर्मेंस प्रेशर कैसे आपके बच्चे (Performance pressure in kids) को बीमार बना रहा है।
मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन हॉस्पिटल, नई दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट पेडिएट्रिक्स डॉ. पवन कुमार कहते हैं, ब्लड प्रेशर की नॉर्मल लिमिट अलग-अलग आयु समूहों में भिन्न होती है। एक छोटे बच्चे की अपर लिमिट कम होगी, जबकि वयस्कों के लिए 130/80 से ऊपर को हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि बच्चों में ब्लड प्रेशर की नियमित रूप से जांच नहीं की जाती है, इसलिए बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की लिमिट का पता ही नहीं चलता है।
डॉ. कुमार यह भी कहते हैं कि कुछ लक्षण जो हाई ब्लड प्रेशर का संकेत दे सकते हैं, उनमें लगातार सिरदर्द, उल्टी, सीने में दर्द, तेज धड़कन, सांस लेने में तकलीफ या विशेष मामलों में दौरे भी शामिल हैं।
छोटे बच्चों में हाई बीपी हार्ट प्रॉब्लम, किडनी की बीमारी, हार्मोनल इंबैलेंस या जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण भी हो सकता है।
यदि कोई बड़ा बच्चा हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित है, तो इसका प्रमुख कारण मोटापा, असंतुलित आहार, हाई शुगर या हाई शॉल्ट का सेवन, निष्क्रियता, तनाव या हाई ब्लड प्रेशर का पारिवारिक इतिहास, हाई कोलेस्ट्रॉल और धूम्रपान हो सकता है। इस प्रकार को प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है जिसका कोई अंतर्निहित कारण नहीं होता है। यह खराब जीवनशैली के कारण अपने-आप हो जाता है।
छोटे आयु समूहों में हाई ब्लड प्रेशर किडनी प्रॉब्लम, पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज, एक्टिव थायराइड, नींद विकार, दवाएं, हृदय रक्त वाहिकाओं में अवरोध आदि जैसे कारकों के कारण हो सकता है। बच्चों में उच्च रक्तचाप उन्हें जोखिम में डाल सकता है।
वंदना अवस्थी और डॉ अभिनव वर्मा द्वारा 12 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के 5000 छात्रों पर किए गए एक सर्वेक्षण में गंभीर निष्कर्ष सामने आए। बच्चे इन दिनों घर के बने टिफिन की बजाय बाहर का खाना पसंद कर जंक फूड का अधिक सेवन करते हैं। इसके अतिरिक्त, आज के बच्चे बढ़िया कैरियर बनाने में सक्षम होने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने के अत्यधिक प्रेशर में रहते हैं। उन पर सामाजिक दबाव भी होता है।
बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या गंभीर चिंता का विषय है। इस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। जिन मामलों में बच्चों में हाई बीपी की कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति नहीं है, उन्हें सरल जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित कर आसानी से ठीक किया जा सकता है।
परिवार को अपने बच्चों को हेल्दी वेट मैनेजमेंट के लिए कम से कम एक घंटे की दैनिक शारीरिक गतिविधि में शामिल होने और उनके स्क्रीन समय को सीमित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बच्चे के डेली शुगर और सॉल्ट के सेवन को कम कर देना चाहिए। परिवार के सदस्यों को भी अपने बच्चों से अधिक अपेक्षाएं निर्धारित नहीं करनी चाहिए।
यदि नियमित जांच से बच्चे में हाई ब्लड प्रेशर का संकेत मिलता है, तो नियमित निगरानी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। लगातार हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए बच्चे को डॉक्टर की देखरेख में दवाएं दी जानी चाहिए। ऐसे मामलों में जहां मौजूदा चिकित्सीय स्थितियां बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर का कारण हैं, तो उन स्थितियों में जो हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ा देती हैं, उसी के अनुसार इलाज किया जाना चाहिए।
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