आज हम सभी स्मार्टफोन के इतने आदी हो चुके हैं कि हमें ‘स्मार्टफोन बेबी’ (Smartphone baby) कहना ज्यादा ठीक होगा। इसमें हमारी पुरानी पीढ़ी भी शामिल है, जो धीरे-धीरे स्मार्टफोन एडिक्ट (smartphone addict) बनती जा रही है। जहां हमारी नई पीढ़ी डिजिटल नेटिव बन चुकी है, वहीं पुरानी पीढ़ी डिजिटल नेटिव में परिवर्तित हो रही है। आज नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी को बांधने वाला एक ही धागा है, वह है आधुनिक डिजिटल डिवाइस (digital device)। बेशक, आज इंटरनेट के बूम ने हमारा जीवन बेहद आसान कर दिया है।
डिजिटल पर आज सूचनाओं का अंबार है, वहीं आप घर बैठे एक क्लिक पर दुनिया के किसी कोने से कोई चीज़ मंगा सकते हैं। यह बेहद सुलभ तो है, लेकिन एडिक्ट होने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि महामारी के इस दौर में कई लोग अपने मन को शांत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन चीजें खरीदी। ऐसे में आईविल के सीनियर काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट देविशा बत्रा से जानते हैं कि क्या ऑनलाइन शॉपिंग महामारी के दौर में लोगों के लिए फायदेमंद रही।
हेल्थशॉट्स से बात करते हुए डॉ. बत्रा का कहना है कि दुनिया भर में कोविड -19 महामारी के बाद लगे लॉकडाउन (covid-19 lockdown) और प्रतिबंधों के कारण कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। महामारी में प्रत्येक व्यक्ति का जीवन भावनात्मक रूप से उतारचढावों भरा यानी रोलर-कोस्टर की तरह रहा है। भले ही इससे मुकाबला करने का तरीका अलग-अलग रहा हो। जहां कुछ लोगों ने अपने नये शौक को पूरा करने में सुकून महसूस किया, वहीं कुछ लोगों ने अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताया। वहीं, कई लोगों ने ऑनलाइन खरीदी करके इस नाजुक समय में खुद तनाव मुक्त रखने की कोशिश की।
डॉ. बत्रा का कहना हैं कि शोधों से पता चला है कि लोगों ने इस अनिश्चित समय के दौरान खुद को एक्टिव और तनाव मुक्त रखने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग का रुख किया। वैसे तो ऑनलाइन शॉपिंग कई सालों से लोकप्रिय है, लेकिन महामारी के समय में लोगों ने इसको लेकर एक अलग अनुभव महसूस किया। लॉकडाउन और विभिन्न प्रतिबंधों के कारण लोग खुद को कैद होने के अहसास कर रहे थे। ऐसे ऑनलाइन शॉपिंग ने ऐसे लोगों को ऊब, अकेलेपन और तनाव से निपटने में सकारात्मक भूमिका निभाई। वहीं, ऑनलाइन शॉपिंग ने लोगों को भीड़, लंबी कतारों से बचने में मदद की। जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में मदद मिली। हालांकि, लोगों पूरी तरह तनाव मुक्त तो नहीं हुए लेकिन उन्हें एक सकारात्मक ऊर्जा जरूर मिली।
चूंकि कई लोग महामारी के दौरान अकेले रह रहे थे, उनका कोई सोशल सर्कल नहीं था। ऐसे लोगों को ऑनलाइन शॉपिंग करने से भावनात्मक सपोर्ट जरूर मिला। उनके आनंद और खुशी के पलों में इजाफा हुआ। वह कई बार अपने द्वारा खरीदी गई नई चीजों को देखने के लिए डिलीवरी का इंतजार करने लगे। वहीं, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट के रिव्यूज पढ़ने का विकल्प है, इससे लोगों को अपने प्रोडक्ट को खरीदने में आसानी होती है। लोग दूसरों की प्रतिक्रिया पढ़कर अपने लिए प्रोडक्ट खरीदने में सकारात्मकता का अहसास करते हैं।
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