जब हम स्ट्रेस में होते हैं, तो आंखें बंद करने मात्र से शांति मिलती है। यदि साथ में कोई सूदिंग-सा म्यूजिक चलने लगे, तो यह हमारे माइंड को रिलैक्स कर देता है। संगीत की फ्रीक्वेंसी, लय और ध्वनि को चिकित्सा जगत शारीरिक बमारियों के उपचार में भी प्रयोग करता है।
भारत में आदिकाल से संगीत की महत्ता रही है और मानसिक चिकित्सा में इसका प्रयोग किया जाता रहा है। यहां के शास्त्रीय संगीत को तो धरती पर वर्षा के लिए भी आजमाया जाता था। गुरुकुल काल में शस्त्र-शास्त्र की शिक्षा के साथ-साथ संगीत की शिक्षा भी अनिवार्य थी। अब तो पश्चिम जगत भी म्यूजिक थेरेपी की महत्ता को जान व समझ चुका है। कई रिसर्च भी इस दिशा में किए जा चुके हैं।
कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर के मैकगिल यूनिवर्सिटी में म्यूजिक के न्यूरोसाइंस पर एक अध्ययन किया गया। 400 लोगों पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया कि संगीत न सिर्फ इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, बल्कि तनाव को भी कम करता है। सर्जरी से पहले जिन मरीजों को सूदिंग म्यूजिक सुनाया गया, उनमें स्ट्रेस लेवल कम पाया गया।
लेखक डेनियल लेविटिन अपनी किताब “दिस इज योर ब्रेन ऑन म्यूजिक’ में बताते हैं कि इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि म्यूजिक इंटरवेंशन ऑपरेटिंग रूम से लेकर पारिवारिक मामलों में भी हेल्थ केयर की भूमिका निभाते हैं।
डेनियल लेविटिन के अनुसार, संगीत सुनने और बजाने से शरीर से इम्युनोग्लोबुलिन ए एंटीबॉडी और नेचुरल किलर सेल्स का प्रोडक्शन अधिक होता है। नेचुरल किलर सेल्स बाहरी बैक्टीरिया व वायरस से लड़ते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के लेवल को भी म्यूजिक कम करता है।
यही कारण है कि म्यूजिक रिलेक्सेशन से जुड़ा हुआ है। दूसरी ओर, कनाडा की अल्बर्टा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने 3-11 वर्ष की उम्र के 42 बीमार बच्चों पर शोेध किया। जिन बच्चों ने संगीत सुना था, उन्होंने सर्जरी के समय न सिर्फ दर्द कम महसूस किया, बल्कि डॉक्टर को परेशान भी कम किया।
लाउड नहीं, बल्कि सूदिंग म्यूजिक टेंस यानी तनावग्रस्त मसल्स को रिलैक्स करता है। जब मसल्स को आराम करने के लिए शरीर को ढीला छोड़ दिया जाता है, तो हमारा दिमाग भी आराम करने लगता है। यह उन सभी स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन के कारक को कम कर देता है, जिनके बारे में हम जानते भी नहीं है।
इस थेरेपी के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इसे किसी भी समय आजमाया जा सकता है। आप योग करते हुए या घर के काम करते हुए भी सूदिंग म्यूजिक सुन सकती हैं। हर समय इसका इफेक्ट बढ़िया आता है।
आप स्ट्रेस फ्री तभी होंगी, जब आप स्वयं से प्यार करना सीख जाएंगी। स्वयं पर कुछ समय देने की आदत को रूटीन में शामिल कर लेंगी। संगीत इस काम को बहुत जल्दी और अच्छी तरह सिखा देता है।
हम तनाव मुक्त तभी होते हैं, जब हमारा मस्तिष्क आराम की मुद्रा में आ जाता है। मस्तिष्क को विश्राम की स्थिति में पहुंचने में ध्यान हमारी मदद करता है। हमें ध्यानस्थ होने में मदद संगीत करता है।
म्यूजिक थेरेपी स्ट्रेस के कारण होने वाली इनसोमनिया, डिप्रेशन आदि जैसी मानसिक बीमारियों को दूर करने में मदद करती है। यहां तक कि सिजोफ्रेनिया जैसे मनोवैज्ञानिक विकार के लक्षणों को कम करने में मदद करता है संगीत।
बुजुर्गों में अवसाद और अन्य लक्षणों को कम करती है म्यूजिक थेरेपी। यह पार्किंसंस और अल्जाइमर के रोगियों के लिए भी प्रभावी हो सकती है।
यदि आपको स्वयं की अभिव्यक्ति और दूसरों से संवाद स्थाापित करने में दिक्कत होती है, तो म्यूजिक थेरेपी निश्चित तौर पर आपकी मदद करेगी। जिन बच्चों में एंग्जाइटी के कारण मनोविकार पैदा हुए, उन बच्चों में भी म्यूजिक थेरेपी ने अविश्वसनीय रूप से सुधार लाया।
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