आजकल व्यस्तता भरी जीवन शैली में कई प्रकार के कार्य छूट जाते हैं। जब हम ऑफिस में होते हैं या फिर किसी दूसरे काम में होते हैं तब उस काम के दरमियान हम अन्य कामों को लेकर के भी सोचते रहते हैं। इससे बचने के लिए लोग अक्सर एक साथ एक से अधिक काम करने की कोशिश करते हैं और धीरे-धीरे यह एक आदत बन जाती है। जबकि एक साथ कई काम करने की आदत या मल्टीटास्किंग न केवल आपका फोसक बिगाड़ती है, बल्कि आपकी मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकती है। हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हमने एक साइकोथेरेपिस्ट से जाने मल्टीटास्किंग (Multitasking side effects) के मेंटल हेल्थ को होने वाले नुकसान।
नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कंसल्टेंट साइकिएट्रिस्ट एंड साइकोथेरेपिस्ट, डॉ. राहुल राय कक्कड़ कहते हैं कि “यह एक मानसिक समस्या है जिसमें व्यक्ति को अपने विचारों को नियंत्रित करने में परेशानी होती है। यह समस्या तब होती है जब व्यक्ति के विचार उसके दिमाग में लगातार चलते रहते हैं और उसे शांति से नहीं बैठने देते।
इसमें अत्यधिक चिंता, तनाव, थकान, नींद की कमी, एकाग्रता की कमी, आत्मविश्वास की कमी, अवसाद, चिड़चिड़ापन, मानसिक थकान, आत्महत्या के विचार जैसे लक्षण प्रतीत होते हैं।
जब आप कोई काम कर रहे हैं औऱ उस दरमियां अन्य काम को लेकर के भी चिंतित रहते हैं तो ऐसे में आपके मस्तिष्क पर अत्यधिक तनाव पड़ता है। इसके साथ ही आप जो काम कर रहे हैं वह काम भी आप ढंग से कर नहीं पाते जिस कारण तनाव की स्थिति और बढ़ जाती है।
तनाव बढ़ने के कारण आपको भूख भी कम लगती है और हाई बीपी भी हो सकता है। इसलिए आपको सावधानी बरतने की आवश्यकता है और यदि ऐसी आदत है तो इससे दूर जाने की जरूरत है।”
इस स्थिति को नियंत्रित करने के उपाय सुझाते हुए डा. राहुल कहते हैं कि “इस के लिए आपको सबसे पहले अपने कामों की लिस्ट बनानी होगी, जो जो काम अधूरे रह गए हैं उनको स्टेप के हिसाब से आपको पूरा करना होगा। एक से अधिक काम को एक बार में न उठाएं। यदि किसी कारणवश काम छूट जाते हैं तो अगले दिन प्राथमिकता के हिसाब से सबसे पहले उन्हे पूरा कर लें पर इसका अपने दिमाग के उपर दबाव न पड़ने दें।
इसके अलावा प्रतिदिन योगाभ्यास और ध्यान अवश्य करें, स्वस्थ आहार लें, पर्याप्त नींद लें, तनाव को प्रबंधित करें, सकारात्मक सोच रखें, आत्मविश्वास बढ़ाएं। यह आपको मानसिक तौर पर शांति प्रदान करता है और इस प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए आप तैयार हो पाते हैं।”
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इस प्रकार की आदत को छोड़ने के लिए डा. राहुल कहते हैं कि “आपको सबसे पहले अपने मन को कंट्रोल में करना होगा, काम में व्यस्तता के बीच आपको अपने लिए भी समय निकालना होगा, आप इसके लिए कहीं बाहर भी घूमने जा सकते हैं जिससे आपका मन कुछ देर के लिए रिफ्रेश हो जाता है।
बचे हुए कामों को बांटना सीखें, आप के यदि कोई काम अधिक हो गए हैं और वह पूरे नहीं हो पा रहे औऱ दिनों दिन आप इस बारे में सोचते चले जा रहे हैं, तो इससे बेहतर है कि आप उन कामों को अपने किसी परिचित दोस्त या फिर घर के सदस्य में बांट दें। इस प्रकार की आदत को छोड़ने के लिए आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि आप इस मल्टीटास्किंग सोच में फंसे हुए हैं, और किसी मनोचिकित्सक डॉक्टर से संपर्क करने में संकोच नहीं करना होगा।
ज्यादातर लोग इस बारे में समझने के बाद से ही इस पर नियंत्रण करने के लिए एक टाइम मैनेजमेंट शुरू कर देते हैं। टाइम मैनेजमेंट से मतलब है आपके जो भी काम बचे हैं, जो भी काम बाद में होने वाले हैं या फिर जो काम पहले करने हैं उनको मैनेजमेंट के हिसाब से सेट करते हैं कि किन काम को पहले प्राथमिकता के आधार पर करना है। इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि कोई कामों को साथ करने की कोशिश करें।
इसके अलावा कुछ समय अपने परिवार के साथ, अपने दोस्तों के साथ बिताएं। कुछ देर स्वयं के लिए मनोरंजन हेतु समय निकालें या फिर कहीं बाहर घूमने चले जाएं। जिससे आप यदि इसमें उलझे भी हैं तो बाहर जाकर जब आते हैं तो आपका मन रिफ्रेश हो जाता है।
इस समस्या से निजात पाने के लिए डॉक्टर से संपर्क करने में संकोच नहीं करते हैं और डॉक्टर के द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करते हैं इसलिए आपको भी यदि इस प्रकार की समस्या है तो आप डॉक्टर से संपर्क करने में संकोच न करें। आप किसी मनोचिकित्सक से संपर्क कर सकते हैं।
आवश्यकता से अधिक सोचने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एक प्रभावी उपाय है “माइंडफुलनेस” या सचेत ध्यान। माइंडफुलनेस का अभ्यास करने के लिए, सबसे पहले एक शांत स्थान पर बैठें और अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। गहरी सांस लें और धीरे-धीरे छोड़ें। जब भी आपका मन भटकने लगे, विचारों को बिना जज किए देखें और उन्हें जाने दें, फिर वापस अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें।
यह अभ्यास न केवल मानसिक शांति लाता है बल्कि विचारों के जाल में उलझने से भी बचाता है। जब आप माइंडफुलनेस का अभ्यास करते हैं, तो आप अपने विचारों को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं और उन पर प्रतिक्रिया देने की बजाय उन्हें देखना सीखते हैं।
इससे मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है। प्रतिदिन कुछ मिनटों का माइंडफुलनेस अभ्यास ओवरथिंकिंग की आदत को कम कर सकता है। इससे आपका मस्तिष्क अधिक स्पष्ट और शांत रहता है, और आप अपने विचारों को नियंत्रित कर पाते हैं। इस प्रक्रिया से धीरे-धीरे अनावश्यक सोच से छुटकारा पाया जा सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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