पिछले दो दशकों में वर्क कल्चर में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। 9 से 5 की नौकरी करने वाले लोग अपने काम को काफी मेहनत से करते थे। इसके साथ ही वे परिवार के साथ समय बिताने का भी भरपूर वक्त निकाल लेते थे। मगर बदल रहे लाइफस्टाइल ने अब युवाओं को वर्क फ्राम होम के कल्चर से बांधकर उनके हाथों में लेपटॉप थमा दिए हैं। एक तरफ इसके कारण जहां कुछ लोगों के लिए काम करना ज्यादा आसान हुआ है, वहीं दूसरी और कुछ लोगों ने इसे अतिरिक्त अवसर के रूप में भी लिया है।
दिन भर काम करने के बाद युवा अब रात की जॉब भी हाथ में लेने लगे हैं। जिसे मूनलाइटिंग कहा जाता है। यह आपका बैंक बैलेंस भले ही थोड़ा बढ़ा दे, पर सेहत के खाते में अच्छा-खासा नुकसान कर रही है। आइए जानते हैं सेहत के लिए मूनलाइटिंग के साइड इफैक्ट्स (Moonlighting side effects on health)।
इससे वे अब साइड बाए साइड दूसरी जॉब के ऑपशन के साथ भी आगे बढ़ने लगे हैं। अब बिना वक्त की चिंता किए 12 से 15 घंटों तक काम में व्यस्त रहते हैं। इसका प्रभाव जहां काम पर दिखता है, तो उनकी सेहत भी कई प्रकार से प्रभावित हो रही है। मोटापे से लेकर डायबिटीज़ तक हर समस्या से वे घिरे हुए नज़र आने लगे हैं। जानते हैं एक्सपर्ट से कि वे कौन सी समस्याएं हैं, जो मूनलाइटिंग के कारण पैदा हो रहीं हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक दिन में 11 से 12 घंटे तक काम करने से आप मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं। एक रिसर्च के मुताबिक वे लोग जो लंबे वक्त तक काम करते हैं, वे साइकॉलोजिकल तनाव का शिकार होने लगते हैं। ऐसे मामलों में महिलाओं में पुरूषों के मुकाबले अधिक तनाव देखा गया है।
इस बारे में डॉ युवराज का कहना है कि मून लाइटिंग का प्रभाव आपकी सेहत के अलावा सोशल लाइफ पर भी नज़र आने लगता है। लगातार घंटों काम करने से काम के प्रति आपकी रूचि कम होने लगती है। आपके व्यवहार में चिड़चिड़ापन नज़र आने लगता है। सोशल लाइफ खत्म हो जाती है और आप खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं। वर्क फ्रॉर्म होम के कल्चर का असर वर्क प्रोडक्टिविटी पर भी दिखने लगा है। कई बार लोग मूनलाइटिंग के कारण अपनी प्राइमरी जॉब से भी ऊबने लगते हैं।
अगर आप दिन में 12 घंटों से ज्यादा काम कर रही है। इसका असर वर्क प्रोडक्टिविटी पर दिखने लगता है। दरअसल, देर तक काम करने से आप का दिमाग थक जाता है। इसका प्रभाव आपके काम पर होने लगता है। आप पहले की तुलना में कम काम करने लगते हैं। साथ ही काम की गुणवत्ता पर भी उसका प्रभाव पड़ता है।
बिना रूके लंबे वक्त तक काम करने से आपके व्यवहार में चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। धीरे धीरे ये समस्या तनाव का रूप ले लेती है। इसके चलते शरीर में कोर्टिसोल, एड्रेनालाईन और नॉरपेनेफ्रिन जैसे निगेटिव हार्मोन का लेवल हाई हो जाता है। इसके चलते आपको शरीर के विभिन्न अंगां में दर्द की अनुभूति महसूस होने लगती है। साथ ही आपके व्यवहार में से नरमी गायब होने लगती है। तनाव के चलते आप अपना गुस्सा दूसरों पर निकालने लगते हैं।
दिनभर काम की व्यवस्तता के चलते आप लोगों से मिलजुल नहीं पाते है। इससे रिश्तों में दूरियां आने लगती हैं। इसका असर आपकी मेंटल हेल्थ पर भी दिखने लगता है। स्क्रीन के सामने घंटों गुजारने के चलते आपका सोशल सर्कल कम होने लगता है, जिससे इंटर पर्सनल रिलेंशस धीरे धीरे खत्म होने लगते हैं। आउटिंग के लिए समय न मिल पाने के चलते आप दोस्तों से दूर होने लगते हैं।
देर तक स्क्रीन के सामने बैठे रहने से आपके शोल्डर्स, गर्दन और पीठ में दर्द महसूस होने लगती है। साथ ही घटों बैठे रहने से स्ट्रोक, कोरोनरी हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और हाईपर टेंशन आदि का खतरा बढ़ने लगता है। साथ ही बहुत से लोग मोटापे का भी शिकार होने लगते हैं। ऐसे में कुछ वक्त वर्कआउट के लिए अवश्य निकालें। नियमित तौर पर योग, एक्सरसाइज़ व वॉक करने से आपका शरीर फिट और तंदरूस्त बना रहता है।
अगर आप 12 घंटे से भी ज्यादा काम कर रहे हैं, तो उसका प्रभाव आपकी हेल्थ और काम दोनों पर भी दिखने लगता है। धीरे धीरे आपका मन अपनी प्राइमरी जॉब से उबने लग जाता है। आप तनाव की स्थिति में पहुंच जाते हैं। जहां आपको इतना काम करने के बाद भी सेटिसफेक्शन नहीं मिल पाती है। इसके चलते काम पर पूरी तरह से फोक्स नहीं कर पाते हैं।
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