आम तौर पर हम खाना कैसे खाते हैं? हममें से ज्यादातर लोग या तो टीवी देखते हुए खाना खाते हैं या बातचीत के दौरान खा लेते हैं। कुछ लोग तो सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हुए तथा अपने गैजेट्स को देखते हुए खा लेते हैं। क्या हमें कुछ देर बाद यह याद रह पाता है कि हमने क्या खाया या कितना खाया या भोजन का स्वाद कैसा था? कई बार हम तेजी से वजन कम करना चाहते हैं, लेकिन ज्यादा खा लेते हैं या रुक-रुक कर खाते हैं। यदि आप इस पर विचार करें कि आपका वर्कआउट बेकार क्यों जा रहा है, तो पाएंगी कि खाना खाने का हमारा जो स्टाइल है वह गलत है। गलत ढंग से खाना खाने की आदत हममें गहराई से समाई हुई है। दरअसल, खाते समय हमारी चेतना मौजूद ही नहीं होती है। हमारा माइंड कहीं और डायवर्ट रहता है। इसीलिए हम अक्सर ज्यादा खा लेते हैं या यह याद नहीं रख पाते कि हमने कितना या कब खाया।
यह जानने के लिए हेल्थशॉट्स ने हिप्नोथेरेपिस्ट, एनर्जी हीलर और इमोशनल वेलनेस कोच नीरज मलिक से बात की। उन्होंने बताया कि कुछ कारणों से एक्सरसाइज और बैलेंस डाइट लेने के बावजूद हम तेजी से वजन घटाने में असफल हो जाते हैं।
मलिक बताते हैं, “ऊर्जा वहीं प्रवाहित होती है, जहां हमारा ध्यान जाता है। जब हम एक समय में बहुत सी चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते हैं, तो हमारी एनर्जी कई जगह बंट जाती है। इससे हम जो कुछ भी करते हैं, उससे संतुष्ट नहीं हो पाते हैं और हमारी एनर्जी बेकार चली जाती है। क्या आपने गौर किया है कि ज्यादातर काम करने में हमें खुशी की अनुभूति नहीं होती है। हम अक्सर एक काम छोड़कर दूसरा काम करने लग जाते हैं। इससे न सिर्फ काम में देरी होती है, बल्कि काम पूरा भी नहीं हो पाता है। इस तरह कई चीजें अधूरी छूट जाती हैं। यही बात हमारे खाने की आदतों पर भी लागू है। जगह-जगह बिखरी ऊर्जा के कारण हम अधिक खा लेते हैं।”
बचपन से ही हम बड़ों को मल्टीटास्किंग करते हुए देखते हैं। मल्टीटास्किंग को बढ़िया माना जाता है। एक बच्चा अपने आसपास के लोगों से ही खाना, बोलना, नाचना, चलना सीखता है। बंदर के वंशज होने के नाते हम स्वाभाविक रूप से दूसरों की नकल कर ऐसा करने लग जाते हैं!
जब हम देखते हैं कि लोग एक ही समय में कई चीजों को मैनेज करते हैं, तो हम बिना सोचे-समझे उनकी तरह करने की कोशिश करने लगते हैं। वर्तमान समय में जब समय कम होता है और हमें बहुत कुछ करना होता है, तो हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि जीवन जीने का यही सही तरीका है।
मलिक कहते हैं कि बौद्ध भिक्षु भोजन करते समय दूसरा कोई काम नहीं करते हैं। उनका पूरा ध्यान और उनकी चेतना भोजन पर होती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप अपने भोजन को निगलने से पहले 32 बार चबाती हैं, तो यह न केवल डायजेशन में मदद करता है, बल्कि आप कभी भी अधिक भोजन नहीं करेंगी। यह हमारी चेतना को भोजन में वापस लाता है। जब भोजन करते समय हमारा ध्यान कहीं और होता है, तो वह ठीक से पच नहीं पाता है और एक्स्ट्रा फैट भी शरीर में जमा हो जाता है।
हमारे टेस्ट बड्स बहुत सेंसेटिव होते हैं। जैसे ही भोजन हमारी जीभ को छूता है, मस्तिष्क द्वारा भोजन को चबाने और उसे पचाने के लिए शरीर में विभिन्न प्रकार के जूस सीकरेट होने लगते हैं। जब हमारा ध्यान कहीं और होता है, तो हमारी ऊर्जा भी बंट जाती है। पाचन की प्रक्रिया से माइंड का ध्यान भंग हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप हम अधिक खा लेते हैं और शरीर भोजन को अच्छी तरह पचाने की क्रिया नहीं कर पाता है जिस तरह होना चाहिए।
मलिक के अनुसार, हमारा वजन कम होना भी दिमाग का एक काम है। स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर में ही रहता है। हमारा मन, वर्तमान क्षण में होने के बजाय यदि अतीत और भविष्य के बीच दौड़ लगा रहा है, तो वैसी ही नकारात्मक भावनाएं भी उत्पन्न हो जाती हैं। क्रोध, अपराधबोध, चिंता, तनाव और भय- ये भावनाएं नकारात्मक ऊर्जा धाराएं हैं, जो आंत और मेटाबॉलिज्म रेट को प्रभावित करती हैं, जिससे पाचन तंत्र प्रभावित होता है।
जब हम अतीत और भविष्य की बातों में उलझने की बजाय ध्यान से खाते हैं, तो हम अपने दिमाग को खाने पर केंद्रित कर पाते हैं। हम क्या खाते हैं, हम कैसे खाते हैं या भोजन का स्वाद कैसा है, यह सभी हम जान पाते हैं। फिर हमारे मस्तिष्क को पाचन के लिए सही रसायनों को छोड़ने की अनुमति मिलती है।
हमारा शरीर भोजन से न्यूट्रीएंट्स को ग्रहण करने और बैड फैट तथा एक्स्ट्रैक्ट को बाहर निकालने का सही काम करता है। इससे हमारा वजन जल्दी और आसानी से कम होता है। ध्यान से खाने से आपको बार-बार मंचिंग करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। यहां तक कि थकावट भी कम हो जाती है। हमारा मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है और हमारी ऊर्जा पाचन पर केंद्रित होती है।
यदि समय-समय पर ध्यानपूर्वक खाने का अभ्यास करेंगी, तो आप न केवल उन अतिरिक्त किलो को कम करने में सक्षम होंगी, बल्कि आपका शरीर भी हेल्दी होगा।
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