महात्मा बुद्ध ने ज्ञान पाने का रास्ता मेडिटेशन को बनाया था। उनके लिए ज्ञान पाने का मतलब अपनी बुद्धि को जगाना था। बुद्धि को जगाने के लिए उन्होंने अपने मन के हर विकारों जैसे कि चिंता, क्रोध, तनाव आदि को दूर किया। मन के इन विकारों को भी दूर करने के लिए उन्होंने ध्यान का ही सहारा लिया। जिस दिन बुद्ध ने ज्ञान पाया या खुद की बुद्धि को जगा लिया वह दिन विश्व में बोधि दिवस (8 December) के रूप में मनाया जाने लगा। वैज्ञानिक भी अब यह मान चुके हैं कि ध्यान के माध्यम से इंटेलिजेंस को बढ़ाया (Meditation can increase Intelligence) जा सकता है। आइये जानते हैं इस बारे में।
हर साल 8 दिसंबर को बौद्ध बोधि दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन सिद्धार्थ गौतम ने ध्यान के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया था। बोधि शब्द का अर्थ है जागृति या आत्मज्ञान। इसी वजह से बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के नाम से जाने गये।
योग विशेषज्ञ आचार्य डॉ.कौशल किशोर बताते हैं, ‘ध्यान तनाव को कम करने, ब्लड प्रेशर कम करने और मूड को बेहतर बनाने में फायदेमंद है। नियमित रूप से ध्यान करने से याददाश्त और आईक्यू भी बढ़ सकती है।’
कॉन्शियसनेस एंड कॉग्निशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जिन प्रतिभागियों ने चार दिनों तक 20 मिनट तक ध्यान किया, उनमें तनाव के स्तर में कमी के साथ-साथ मेमोरी में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया। जिन लोगों ने ध्यान किया, उन्होंने फंक्शनल मेमोरी वर्क में 10 गुना बेहतर स्कोर प्राप्त किया।
मेंटल हेल्थ जर्नल बताता है कि केवल दो सप्ताह तक माइंडफुलनेस मेडिटेशन से फनक्शनल मेमोरी क्षमता, पढ़ने की समझ और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।
एसोसिएशन फॉर एप्लाइड साइकोफिजियोलॉजी एंड बायोफीडबैक के शोध परिणाम इस ओर इशारा करते हैं। शोध के अनुसार, जिन प्रतिभागियों ने ध्यान किया, उनमें आई क्यू में औसतन 23 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
इसका कारण यह माना गया कि गहरा ध्यान मस्तिष्क की गतिविधि को धीमा कर देता है। धीमी मस्तिष्क तरंगों के साथ मस्तिष्क खुद को री जुवेनेट करने की क्षमता बढ़ाता है। जब दिमाग को थोड़ा आराम दिया जाता है, तो वह अपने आप बेहतर हो जाता है।
मस्तिष्क के दोनों हेमिस्फ़ेयर के साथ काम करने से लेकर याददाश्त बढ़ाने तक, मस्तिष्क के आकार को बढ़ाने और इमोशनल कोशनट (EQ) को बढ़ाने तक में मदद करता है।
ज्यादातर लोग एक मस्तिष्क का दूसरे की तुलना में आधा अधिक उपयोग करते हैं, जिससे असंतुलन पैदा होता है। ध्यान मस्तिष्क के दोनों हेमिस्फ़ेयर को समन्वयित करता है। इससे तेज नर्व कम्युनिकेशन होता है।
जब बायां मस्तिष्क और रचनात्मक दायां मस्तिष्क सामंजस्य में काम करना शुरू करते हैं, तो समस्या को हल करना आसान हो जाता है। रचनात्मकता कई गुना बढ़ जाती है।
गहरी सोच मानक बन जाती है। इससे ध्यान और एकाग्रता बढ़ जाती है।
अत्यधिक सफल लोगों में संपूर्ण मस्तिष्क सिंक्रनाइज़ेशन दिखाया जाता है। और आप भी ध्यान के माध्यम से इस स्थिति को प्राप्त कर सकती हैं।
अमेरिकी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि ध्यान मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों की तंत्रिका ग्रे मैटर की मोटाई को बढ़ा देता है।
ध्यान मस्तिष्क को बड़ा, होशियार और तेज़ बनाता है। उसी तरह जैसे शारीरिक व्यायाम मांसपेशियों को अधिक मजबूत और डेंस बनाता है।
मस्तिष्क तरंगों को सबसे लाभकारी आवृत्तियों – अल्फा, थीटा और डेल्टा में निर्देशित करके, अनगिनत लाभ सामने आते हैं, जिनमें सुपर रचनात्मकता, शक्तिशाली विचार निर्माण, बढ़ी हुई संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली और विकास के लिए समग्र बौद्धिक क्षमता शामिल है।
ध्यान इन लाभकारी मन की अवस्थाओं तक पहुंचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है। यह आपके जीवन को कई अलग-अलग तरीकों से बदल देता है।
आचार्य डॉ.कौशल किशोर बताते हैं, ‘आंतरिक बुद्धिमत्ता आंतरिक आवाज़ को विकसित करने और सुनने से प्राप्त होती है। अंतर्दृष्टि और अंतर्ज्ञान के रूप में जाना जाने वाला ध्यान इन दोनों अव्यक्त क्षमताओं को बढ़ा सकता है।
इस विशिष्ट प्रकार की बुद्धिमत्ता को क्विज़ या परीक्षणों से नहीं आंका जा सकता है, यह सभी स्तरों पर अत्यधिक मूल्यवान है। बिना सिखाए अंतर्दृष्टि रचनात्मकता और प्राकृतिक समझ को उत्तेजित करता है।’
आचार्य डॉ.कौशल किशोर के अनुसार, शुरुआत करने के लिए आराम से बैठने के लिए एक शांत जगह ढूंढें। यह सुनिश्चित करें कि आपका फोन बंद हो। कोई भी चीज़ आपको परेशान नहीं कर रही हो।
अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करें। स्थिर होने के लिए कुछ क्षण का समय लें।
अपना ध्यान शुरू करें। अपनी आंखें बंद करके सांस लेने और सांस छोड़ने पर ध्यान केंद्रित करें।
अगले लगभग 20 मिनट तक जितना संभव हो सके, सांस लेने और छोड़ने पर दिमाग केंद्रित करना है।
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