ब्रेन के सभी जटिल कार्यों के लिए मिनरल जरूरी हैं। आयरन हीमोग्लोबिन के उत्पादन के लिए जरूरी है। यह हमारे ब्लड सेल्स का हिस्सा बनता है, जो ऑक्सीजन और प्रोटीन ले जाता है। मैग्नीशियम नर्वस सिस्टम के सुचारु रूप से कार्य करने के लिए जरूरी है। मेमोरी और लर्निंग के लिए शरीर में समुचित मात्रा में मैग्नीशियम रहना (Magnesium for Brain Health) जरूरी है। यदि आपकी मेमोरी घट रही है, तो भोजन में मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें।
न्यूट्रीएंट जर्नल में अमेरिकी विश्वविद्यालय के कॉग्निशन एंड न्यूरोसाइंस विभाग के शोधकर्ता अन्ना ई. किर्कलैंड के नर्वस सिस्टम पर मैग्नीशियम के प्रभाव पर आधारित शोध प्रकाशित किये गये। शोधकर्ता ने अपने शोध के निष्कर्ष में बताया कि शरीर के भीतर मनोविज्ञान, व्यवहार, अनुभूति और नर्वस सिस्टम को अलग-अलग क्रियाओं के माध्यम से मैग्नीशियम प्रभावित करता है।
न्यूरोलॉजिकल दृष्टिकोण से मैग्नीशियम तंत्रिका संचरण और न्यूरोमस्कुलर संचालन में जरूरी भूमिका निभाता है। अत्यधिक उत्तेजित होने पर यह नर्वस सिस्टम के लिए सुरक्षात्मक भूमिका भी निभाता है। इससे न्यूरोनल सेल डैमेज (Excitotoxicity ) हो सकती है। माइग्रेन, क्रोनिक पेन, एपिलेप्सी, अल्जाइमर, पार्किंसंस और स्ट्रोक के साथ-साथ एंग्जायटी और अवसाद के लक्षणों को भी मैग्नीशियम प्रभावित करता है।
सिनैप्टिक ट्रांसमिशन और न्यूरोनल प्लास्टिसिटी में मैग्नीशियम मदद करता है। इसका सीधा प्रभाव सीखने की क्षमता और स्मृति पर पड़ता है। मस्तिष्क में मैग्नीशियम के बढ़े हुए स्तर को सिनैप्टिक प्लास्टिसिटी के कई तंत्रों को बढ़ावा देने के लिए दिखाया गया है। यह सीखने और मेमोरी को बढ़ाते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में द यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के सेंटर फॉर न्यूरोसाइंस रिसर्च के शोधकर्ता रॉबर्ट विंक ने अपने शोध के निष्कर्ष में यह बताया कि मैग्नीशियम की स्थिति तनाव के स्तर से बहुत अधिक जुड़ी हुई है। तनाव और हाइपोमैग्नेसीमिया दोनों एक दूसरे को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। हाइपोमैग्नेसीमिया के कारण तनावपूर्ण स्थितियों जैसे कि फोटोसेंसिटिव सिर दर्द, फाइब्रोमायल्जिया, क्रोनिक फेटिग सिंड्रोम, ऑडियोजेनिक स्ट्रेस और फिजिकल स्ट्रेस भी हो सकता है।
मैग्नीशियम की कमी या अधिकता से ग्लूटामेटेरिक, सेरोटोनर्जिक और एड्रीनर्जिक न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम के साथ-साथ कई न्यूरो-हार्मोन भी प्रभावित हो जाते हैं। जर्नल ऑफ़ न्यूरो साइंस के अध्ययन बताते हैं कि जो लोग मैग्नीशियम से भरपूर आहार लेते हैं, उनमें अवसाद और उम्र से संबंधित मस्तिष्क की सिकुड़न कम होती है। मेनोपॉज के बाद मैग्नीशियम से भरपूर आहार का प्रभाव महिलाओं पर विशेष रूप से देखा गया। इसके कारण अवसाद के लक्षण और ब्रेन एजिंग में कमी देखी गई।
यूरोपियन जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में मैग्नीशियम की पूर्ति के लिए पालक, बीन्स और अन्य हरी सब्जियों को लेने कहा गया। ड्राई फ्रूट्स, सीड्स और साबुत अनाज को भी मैग्नीशियम की आपूर्ति वाला स्रोत बताया गया। जर्नल के अनुसार वयस्कों को प्रति दिन लगभग 320 मिलीग्राम से 430 मिलीग्राम मैग्नीशियम खाना चाहिए। स्टडी में देखा गया कि जिन प्रतिभागियों ने 550 मिलीग्राम से अधिक मैग्नीशियम खाया, उनका दिमाग सबसे अधिक स्वस्थ पाया गया।
जर्नल ऑफ़ न्यूरो साइंस के अनुसार, दिमाग के लिए मैग्नीशियम सप्लीमेंट की बजाय मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ लेना चाहिए। सप्लीमेंट में डाले गए पोषक तत्वों की तुलना में भोजन में मौजूद पोषक तत्वों को शरीर बेहतर तरीके से सिंथेसिस करता है।कुछ लोगों में सप्लीमेंट दस्त और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या का कारण भी बन सकते हैं। बहुत अधिक मात्रा में लिया गया मैग्नीशियम लो ब्लड प्रेशर, सुस्ती, अवसाद और भ्रम का भी कारण बन सकता है। पालक, बादाम, एवोकाडो, ब्राउन राइस, सैल्मन फिश, बीन्स, टोफू, डार्क चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ मैग्नीशियम से भरपूर हो सकते हैं।
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