जब हम खाली बैठे होते हैं और कुछ समझ नहीं आता है कि क्या करें, तो मन में जो पहला ख्याल आता है वो है गाने सुनने का। यदि आपका मूड खराब है, तो संगीत एक ऐसा माध्यम है जो आपके मूड को इन्सटेंटली लिफ्ट कर सकता है। यह आपके मन मस्तिष्क पर किसी थेरेपी की तरह काम करता है। मगर क्या आप जानती हैं कि ये सिर्फ आपके लिए ही नहीं, बल्कि आपके बच्चे के लिए भी फायदेमंद है।
जी हां… जब आपके गर्भ में बच्चा होता है तो आपका संगीत सुनना उसके लिए भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। ऐसी कई रिसर्च हैं, जिनमें ब्रेन पर म्यूजिक के प्रभाव को दिखाया गया है। तो चलिये जानते हैं कि आखिर गर्भ में बेबी पर क्या होता म्यूजिक का प्रभाव।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर लर्निंग एंड ब्रेन साइंसेज (I-LABS) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि गर्भ में बच्चे को संगीत सुनने से बेबी के ब्रेन फंकशन (brain function) में सुधार हो सकता है।
इसके अलावा, अध्ययन में यह भी सामने आया कि यदि एक साल जितने छोटे बच्चे को संगीत सुनाया जाए तो यह उनके उचारण और उनकी स्पीच में कई तरह से सुधार कर सकता है। इससे उन्हें बोलने और गाना गाने का पैटर्न समझ आने लगता है।
यह सिद्ध हो चुका है कि जन्म से पूर्व मस्तिष्क के विकास में संगीत की अहम भूमिका होती है।
यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार – गर्भावस्था के दौरान संगीत सुनने से न केवल गर्भवती महिला पर अच्छा प्रभाव पड़ता है, बल्कि अजन्मे बच्चे पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
लगभग 16─18 सप्ताह की गर्भावस्था में, शिशु अपनी पहली आवाज सुनता है। 24 सप्ताह तक, छोटे कान तेजी से विकसित होने लगते हैं और गर्भावस्था (Pregnancy) के पिछले कुछ महीनों में शिशुओं को आवाज़ और शोर के जवाब में अपना सिर घुमाते हुए देखा जा सकता है। एक अजन्मा बच्चा अपनी मां की आवाज़, उसकी मूल भाषा और शब्दों को बोलने का पैटर्न गर्भ में ही पहचान सकता है।
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रकाशित किए गए इस अध्ययन में यह भी सामने आया कि संगीत की तरह, भाषा में भी कई लयबद्ध पैटर्न (pattern) होते हैं। अक्षरों को बोलने में लिया गया समय श्रोताओं को एक ध्वनि को दूसरे से परिभाषित करने में मदद करता है, जिससे यह समझ आता है कि एक व्यक्ति क्या कहना चाह रहा है। ठीक इसी तरह संगीत की मदद से बेबी भी बोलना सीख सकते हैं।
अच्छा संगीत सुनना और साथ ही, इसे अन्य लोगों के साथ गाना और बजाना लोगों को एक दूसरे और समाज के साथ सोशलाइज करने में मदद करता है। इसकी वजह से आप अपने आस-पास के लोगों से जुड़ाव महसूस करते हैं।
छोटी उम्र में संगीत बच्चों को खुद को अभिव्यक्त करने और भावनाओं को साझा करने में मदद करता है। कम उम्र में भी, वे अपने द्वारा सुने जाने वाले संगीत पर रीएक्ट करके झूम सकते हैं। इसके अलावा, काफी बार ऐसा देखा गया है कि बच्चे अपने खुद का गाना भी बनाकर गाने लगते हैं।
तीसरी तिमाही में, बच्चा निश्चित रूप से आपके द्वारा चलाए जाने वाले संगीत को सुन सकता है। ऐसे समय में शास्त्रीय संगीत, हल्की ध्वनियां जैसे लोरी, पॉज़िटिव म्यूजिक (positive music) जो खुशी दे, किसी भी बेबी को सुनाने के लिए बहुत अच्छे होते हैं।
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