कभी-कभार पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ भी स्वास्थ्य समस्या का कारण बन जाते हैं। इनसे हमें पेट दर्द (Stomach pain) हो सकता है या उल्टी जैसा महसूस हो सकता है। जबकि कुछ खाद्य पदार्थों के खा लेने के बाद स्किन रैशेज (Skin rashes) भी हो जाते हैं। पर शायद आप नहीं जानती कि फूड एलर्जी गुस्सा, चिड़चिड़ापन और अनिद्रा का भी कारण बन सकती है। जानना चाहती हैं क्या है फूड और मूड (psychological effects of food allergies) का कनेक्शन? तो इसे अंत तक पढ़ती रहें।
दरअसल, अभी तक हमें यही लगता था कि फूड एलर्जी पाचन और स्किन संबंधी समस्याएं दे सकती हैं। पर विशेषज्ञ फूड एलर्जी के साइकोलॉजिकल इफैक्ट्स के बारे में भी लगातार आगाह कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी खास तरह के फूड से एलर्जी होने पर आपको गुस्सा, एंग्जाइटी और अनिद्रा जैसी समस्या भी हो सकती है।
पोलैंड के वायोलेटा एग्निएस्का, पाउला रोब्ल्यूस्का, पिओट्र एडमज़ुक और प्रेज़ेमीस्लाव कोपज़ीस्की शोधकर्ताओं ने फ़ूड एलर्जी के कारणों और उपाय पर शोध किया। इस शोध के निष्कर्ष को वर्ष 2013 में एडवांसेज इन डर्मेटोलॉजी एंड एलर्जोलॉजी जर्नल और पबमेड सेंट्रल में भी प्रकाशित किया गया।
इस शोध के अनुसार, वर्तमान में फ़ूड एलर्जी को कॉमन डिजीज माना जाने लगा है। यह जीवन की बदलती परिस्थितियों और पर्यावरणीय परिवर्तनों के परिणामस्वरूप होता है। मानव जीवन की सबसे मुख्य गतिविधि है आहार और खाने का तरीका। कोई भी व्यक्ति क्या खाता है और कैसे खाता है, यह पूरी प्रक्रिया उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
व्यक्ति की अनुवांशिक प्रवृत्ति प्रमुख रूप से फ़ूड एलर्जी को प्रभावित करती है। यह पाया गया है कि स्वस्थ माता-पिता के बच्चों में एलर्जी के विकास का जोखिम 5% से 15% तक होता है। जब माता-पिता में से किसी एक को एलर्जी होती है, तो यह जोखिम 40% तक बढ़ जाता है। यदि माता-पिता दोनों को फ़ूड एलर्जी है, तो यह 60-80% तक बच्चों में हो सकता है।
नियमित रूप से खाया गया भोजन एनर्जी और मेटाबोलिज्म, दोनों के लिए आवश्यक है। एलर्जी के विकास में पर्यावरणीय कारक भी महत्वपूर्ण हैं, जैसे- बेहतर स्वच्छता, जीवन शैली, आहार और पोषण। इसके कारकों में सिजेरियन डिलीवरी की बढ़ती लोकप्रियता और नवजात-शिशु के पालन-पोषण के तरीके भी शामिल हैं।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के आंकड़ों के अनुसार, 400 से अधिक प्रकार की फ़ूड एलर्जी हो सकती है।
यदि सैद्धांतिक रूप से देखा जाए, तो सभी खाद्य पदार्थ एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बन सकते हैं। अक्सर बचपन में दूध, अंडे, गेहूं, मछली, सोया और मूंगफली एलर्जी से जुड़े होते हैं। वयस्क मनुष्यों में, मछली, लॉबस्टर, क्रैब, क्रेफ़िश और कुछ फलों, विशेष रूप से चेरी, आड़ू, आलूबुखारा, खुबानी और वसा वाले नट्स, सीड्स, मूंगफली से भी एलर्जी हो सकती है।
आमतौर पर फूड एलर्जी दो तरह की होती है। पहले प्रकार में तुरंत प्रतिक्रिया होती है। इसके लक्षण कुछ मिनटों के भीतर या भोजन के सेवन के कुछ सेकंड बाद ही मिलने लगते हैं। यह एनाफिलेक्सिस (shock), पित्ती, एंजियोन्यूरोटिक एडिमा (skin inflammation) के रूप में सामने आता है। अंडे, नट्स, मूंगफली, मछली अक्सर इस प्रकार की एलर्जी का कारण बनते हैं।
दूसरे प्रकार की खाद्य एलर्जी में देर से प्रतिक्रिया मिलती है। इसमें थकान, चिड़चिड़ापन, अवसाद, अनिद्रा, सिरदर्द, खुजली, अस्थमा, कोल्ड, कफ, इनडायजेशन, सूजन, स्किन इरिटेशन जैसे लक्षण कुछ घंटे और कुछ दिनों बाद भी दिखाई देते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंइस प्रकार की प्रतिक्रिया का कारण बनने वाले खाद्य पदार्थ दूध, चॉकलेट, लेगुम, साइट्रस फ़ूड हो सकते हैं।
फ़ूड एलर्जी से बचाव के लिए सिर्फ एक उपाय ही कारगर है। वह है इन खाद्य पदार्थों से बचना, जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण बनते हैं। इसके लिए खाद्य पदार्थों का चयन सावधानीपूर्वक करना होगा।
एलर्जेन कई खाद्य पदार्थों में मौजूद हो सकता है। एक खाद्य उत्पाद में कई एलर्जेंस पाए जा सकते हैं। एलर्जेनिक गुणों में खाद्य पदार्थों और जोड़े गए दोनों घटकों में स्वाभाविक रूप से होने वाले घटक हो सकते हैं।
शोध बताते हैं कि मोनोसोडियम ग्लूटामेट में एलर्जेनिक गुण होते हैं। यह प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। टमाटर, मशरूम, मक्का, मटर, यीस्ट में यह पाया जाता है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट से एलर्जी के लक्षण खुराक के आकार पर निर्भर करते हैं।
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